आधुनिक भारतीय कृषि का ऐतिहासिक कदम कृषि संकल्प अभियान

आधुनिक भारतीय कृषि का ऐतिहासिक कदम कृषि संकल्प अभियान

भारत की कृषि नीति और उसके क्रियान्वयन में एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की व्यापक समीक्षा बैठक नई दिल्ली स्थित पूसा कैंपस में की। इस समीक्षा बैठक में न केवल अभियान के अनुभवों और उपलब्धियों का विश्लेषण हुआ, बल्कि रबी सीजन की भावी योजनाओं और रणनीतियों पर भी गहन चर्चा की गई। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह भारत सरकार के ‘लैब टू लैंड’ विजन को मूर्त रूप देने की दिशा में एक ठोस प्रयास साबित हो रही है।

अभियान की पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ यह अभियान 29 मई से 12 जून 2025 के बीच चलाया गया। इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों, विभागीय अधिकारियों, केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) और राज्य कृषि विभागों की लगभग 2,170 टीमों ने देश के 60,000 से अधिक गांवों में जाकर किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यावहारिक जानकारी को खेतों तक पहुँचाने के उद्देश्य से यह अभियान आज स्वतंत्र भारत की कृषि इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक बन चुका है।

समीक्षा बैठक का प्रारंभ और नोडल अधिकारियों की प्रस्तुति

पूसा कैंपस में आयोजित इस समीक्षा बैठक में सभी टीमों के नोडल अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए। ये अधिकारी न केवल भौतिक रूप से उपस्थित रहे, बल्कि बड़ी संख्या में वर्चुअल माध्यम से भी बैठक से जुड़े। उन्होंने अभियान के दौरान प्राप्त सूचनाओं, अनुभवों, फीडबैक और समस्याओं का विस्तृत विवरण दिया। इस प्रस्तुतीकरण के जरिए यह स्पष्ट हुआ कि भारत की कृषि प्रणाली में सुधार की अपार संभावनाएं हैं, बशर्ते प्रयास ज़मीनी स्तर पर केंद्रित हों।

शिवराज सिंह चौहान का उद्घाटन संबोधन: ‘स्वतंत्र भारत की अद्भुत घटना’

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में अभियान को स्वतंत्र भारत की ‘अद्भुत घटना’ बताया। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल एक सरकारी योजना नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जो किसानों की आय बढ़ाने, देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और भारत को वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला का केंद्र बनाने की दिशा में एक ठोस पहल है। उन्होंने वैज्ञानिकों, अधिकारियों और किसानों को एक टीम के रूप में सतत कार्य करने का आह्वान किया।

उन्होंने बायो-फोर्टिफाइड फसलों के विकास और उनके उत्पादन प्रणाली में समावेश पर जोर देते हुए कहा कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित रखने का भी अभियान है।

अभियान के प्रमुख उद्देश्य

  1. किसानों की आय में वृद्धि

  2. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना

  3. विश्व खाद्य आपूर्ति शृंखला में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करना

  4. बायो-फोर्टिफाइड फसलों के विकास को बढ़ावा देना

  5. व्यावहारिक समस्याओं के समाधान हेतु खेतों को प्रयोगशाला बनाना

  6. छोटी जोतों में अधिक उत्पादन के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करना

  7. अप्रासंगिक योजनाओं का मूल्यांकन कर उन्हें समाप्त करना और नई योजनाओं को शुरू करना

क्रॉप वॉर की अवधारणा

श्री चौहान ने समीक्षा के दौरान एक और नवीन पहल ‘क्रॉप वॉर’ की संभावना पर विचार व्यक्त किया। यह एक रणनीतिक अभियान होगा, जो विशेष फसलों जैसे दलहन, तिलहन, सोयाबीन, कपास, गन्ना आदि के उत्पादन, गुणवत्ता और विपणन से संबंधित समस्याओं के समाधान पर केंद्रित होगा। इसके अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य, समुचित कीटनाशक प्रयोग, जल प्रबंधन, यंत्रीकरण और क्लीन प्लांट्स की दिशा में गहन कार्य किया जाएगा।

अनुसंधान और योजना निर्माण की नई दिशा

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब से अनुसंधान कार्य प्राथमिकता और आवश्यकता के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए एक विषयवार सूची तैयार की जा रही है। साथ ही, अमानक खाद और कीटनाशकों के निर्माण और वितरण पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून लाए जाएंगे और विशेष टीमों का गठन किया जाएगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी योजनाएं अब केवल फाइलों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि जमीन पर उतरकर किसानों के अनुभवों से समन्वित होंगी।

‘नीचे से ऊपर’ नीति की पैरवी

श्री चौहान ने कहा कि इस अभियान ने यह सिद्ध कर दिया है कि कृषि योजनाएं ऊपर से नीचे नहीं बल्कि ‘नीचे से ऊपर’ की दिशा में बननी चाहिए। यानी समाधान खेत से निकलकर नीति निर्माण तक पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि असली प्रयोगशालाएं सरकारी भवनों में नहीं बल्कि किसानों के खेतों में होती हैं।

कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) की भूमिका

कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका को सशक्त करने पर भी बल दिया गया। श्री चौहान ने कहा कि केवीके के वैज्ञानिकों को सप्ताह में कम से कम तीन दिन खेतों में जाना होगा ताकि वे किसानों की वास्तविक जरूरतों को समझ सकें और तदनुसार समाधान प्रस्तुत कर सकें। केवीके के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो इस समस्त गतिविधि का पर्यवेक्षण करेगा।

भावी रणनीति: रबी सीजन के लिए विशेष सम्मेलन

बैठक के अंत में श्री चौहान ने घोषणा की कि रबी फसल के लिए दो दिवसीय विशेष सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। पहले दिन सचिव स्तर के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श होगा और दूसरे दिन कृषि मंत्रियों के साथ। इस दौरान एक समग्र रोडमैप तैयार किया जाएगा जो रबी सीजन के कार्यान्वयन में मार्गदर्शक सिद्ध होगा।

अभियान के बहुआयामी परिणाम

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि इसने वैज्ञानिकों और किसानों के बीच एक सेतु का कार्य किया। जहां एक ओर वैज्ञानिकों को खेतों में जाकर किसानों की समस्याओं को समझने का अवसर मिला, वहीं दूसरी ओर किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी प्राप्त हुई। यह परस्पर संवाद कृषि क्षेत्र में नवाचार और परिवर्तन की नींव बन सकता है।

नीति और कार्यक्रमों का पुनर्मूल्यांकन

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान में चल रही योजनाओं का व्यापक मूल्यांकन किया जाएगा। जो योजनाएं समय के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें समाप्त किया जाएगा और नई योजनाओं की शुरुआत की जाएगी जो व्यावहारिक और स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित होंगी।

एकीकृत दृष्टिकोण

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ केवल कृषि उत्पादन की बात नहीं करता, बल्कि एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने पर केंद्रित है जिसमें पशुपालन, जल प्रबंधन, क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर, कोस्टल एग्रीकल्चर, मूल्य संवर्धन, बाजार संपर्क और जैविक खेती जैसे घटक भी सम्मिलित हैं।

उच्चस्तरीय सहभागिता

इस समीक्षा बैठक में हरियाणा के कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, अपर महानिदेशक श्री रणबीर सिंह, विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक और नोडल अधिकारी उपस्थित रहे। साथ ही कई राज्य कृषि मंत्री और वैज्ञानिक वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

निष्कर्ष

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ एक नीति से अधिक एक राष्ट्रीय आंदोलन है। यह भारत के कृषि परिदृश्य को बदलने की सामर्थ्य रखता है। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में यह अभियान एक स्पष्ट दिशा की ओर बढ़ रहा है, जिसमें वैज्ञानिक सोच, स्थानीय आवश्यकताएं और किसान की भागीदारी तीनों का समावेश है।

अगर यह अभियान निरंतरता और गंभीरता से लागू होता है, तो आने वाले वर्षों में भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा का केंद्र भी बन सकता है। यह अभियान किसानों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाने का वादा करता है – एक ऐसा परिवर्तन जो खेतों से निकलकर नीति निर्धारण की मेज तक पहुंचे और अंततः भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा करे।

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