ओसाका, जापान में आयोजित हो रहे विश्वव्यापी Osaka Expo 2025 में भारत का मंडप ‘भारत’ वैश्विक दर्शकों का प्रमुख आकर्षण बन गया है। इस मंडप की भव्यता, सांस्कृतिक विविधता और कलात्मक प्रस्तुतियों ने न केवल पर्यटकों का ध्यान खींचा है, बल्कि भारत की गौरवशाली सभ्यता और समृद्ध परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत भी किया है।
मंडप की सजावट, उसकी वास्तुकला और वहां प्रदर्शित कलाकृतियों ने भारतीय संस्कृति की जीवंत झलक को जीवंत कर दिया है। विशेष रूप से, मंडप में प्रदर्शित सजावटी हाथी की मूर्ति दर्शकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई है, जो अपनी जटिल कलाकारी, जीवंत रंगों और पारंपरिक अलंकरणों के कारण विशेष पहचान बना रही है।
सजावटी हाथी की मूर्ति: भारतीय कला का प्रतीक
इस विशेष हाथी की मूर्ति को भारत के विभिन्न शिल्प परंपराओं से प्रेरित होकर तैयार किया गया है। इसे राजस्थान, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों की पारंपरिक शिल्प शैलियों का समावेश करके गढ़ा गया है। मूर्ति में की गई नक्काशी, जड़ाई, और उस पर प्रयुक्त रंग संयोजन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
मूर्ति के शरीर पर हाथ से की गई महीन नक्काशी में पौराणिक कथाएं, लोक नृत्य, और वन्य जीवन के दृश्य दर्शाए गए हैं। इसके ऊपर किया गया सुनहरा अलंकरण इसे शाही स्वरूप प्रदान करता है। इस कलाकृति में उपयोग हुए रंग जैसे लाल, पीला, नीला और हरा भारत की विविधता और उत्सवप्रियता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
संस्कृति और शांति का प्रतीक
भारत में हाथी को सदियों से बुद्धि, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। ओसाका एक्सपो में प्रस्तुत यह मूर्ति न केवल भारतीय हस्तशिल्प का परिचायक है, बल्कि एक सांस्कृतिक दूत के रूप में कार्य कर रही है। इस मूर्ति के माध्यम से भारत ने अपने शिल्प कौशल, सांस्कृतिक मूल्यों और पारंपरिक प्रतीकों को वैश्विक मंच पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
मंडप में आए जापानी दर्शक और अन्य अंतरराष्ट्रीय पर्यटक इस मूर्ति के साथ फोटो खिंचवाते हुए इसकी सुंदरता और संदेश की सराहना कर रहे हैं। कई दर्शकों ने इस मूर्ति को “जीवंत कलाकृति” की संज्ञा दी है।
भारत मंडप ‘भारत’ की थीम: एक भारत, श्रेष्ठ भारत
भारत मंडप का नामकरण ‘भारत’ इस वर्ष के विशेष अभियान “एक भारत – श्रेष्ठ भारत” से प्रेरित है। इस मंडप का उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियों को एक स्थान पर प्रस्तुत करना है। मंडप के प्रत्येक हिस्से में एक खास भारतीय अनुभव छिपा हुआ है — चाहे वह योग की शांति हो, आयुर्वेद की चिकित्सा हो, तकनीकी नवाचार हो, या फिर पारंपरिक कलाएं।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से यह मंडप तैयार किया गया है। इसका डिज़ाइन आधुनिकता और परंपरा का समन्वय करते हुए विकसित किया गया है, जिससे यह न केवल कलात्मक रूप से प्रभावशाली है, बल्कि संदेशात्मक दृष्टि से भी सार्थक है।
अन्य आकर्षण: कला, आयुर्वेद और नवाचार
भारत मंडप में सजावटी हाथी की मूर्ति के अलावा भी कई उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ हैं:
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योग और ध्यान अनुभूति कक्ष: जहाँ आगंतुक भारतीय योग परंपरा को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर सकते हैं।
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हस्तशिल्प और हथकरघा प्रदर्शनी: जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक कलाएं जैसे बनारसी सिल्क, कांचीपुरम साड़ी, मधुबनी पेंटिंग और कुम्हारी शिल्प शामिल हैं।
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आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र: जहाँ दर्शकों को भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लाभ बताए जा रहे हैं।
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डिजिटल भारत अनुभाग: जहाँ भारत के तकनीकी विकास, स्टार्टअप संस्कृति और अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रस्तुत किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
विश्वभर से आए पर्यटक भारत मंडप की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं। जापानी मीडिया ने इसे “अंतरराष्ट्रीय एक्सपो का सांस्कृतिक रत्न” बताया है। सोशल मीडिया पर भी भारत मंडप और विशेष रूप से सजावटी हाथी की मूर्ति की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउसों ने भारत मंडप की भव्यता पर विशेष रिपोर्ट प्रसारित की है।
एक जापानी पर्यटक ने कहा, “यह हाथी केवल एक मूर्ति नहीं है, यह एक अनुभव है। मैंने पहले कभी किसी वस्तु में इतनी गहराई और जीवंतता नहीं देखी।” वहीं भारतीय प्रवासी इस मंडप को देखकर गौरव और भावनात्मक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।
निष्कर्ष: भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का प्रभाव
Osaka Expo 2025 में भारत मंडप ‘भारत’ की प्रस्तुति एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि भारत केवल एक भूगोलिक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक सभ्यता है। सजावटी हाथी की मूर्ति जैसे प्रतीक भारत की कला, इतिहास और आत्मा को दर्शाते हैं।
यह मंडप भारत की “सांस्कृतिक कूटनीति” का जीवंत उदाहरण है, जिसके माध्यम से देश विश्व के साथ संवाद कर रहा है — कला की भाषा में, रंगों की लय में और परंपरा की गहराई में।