भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 9वीं संयुक्त रक्षा समिति (Joint Defence Committee – JDC) की बैठक 23-24 जून 2025 को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सफलतापूर्वक आयोजित की गई। इस बैठक में भारत के रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जबकि दक्षिण अफ्रीका की ओर से कार्यवाहक रक्षा सचिव डॉ. थोबेकिले गामेदे ने भागीदारी की।
बैठक में रक्षा विनिर्माण, निर्यात, पनडुब्बी सहयोग, सैन्य तकनीकी समझौते, और द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी के विस्तार पर चर्चा की गई। इस दौरान पनडुब्बी सहयोग के क्षेत्र में दो हालिया समझौतों का औपचारिक आदान-प्रदान भी किया गया, जो भविष्य के सामरिक सहयोग की दिशा में एक मील का पत्थर माने जा रहे हैं।
ऐतिहासिक संबंधों की पुनः पुष्टि
रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में भारत और दक्षिण अफ्रीका के ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, “भारत और दक्षिण अफ्रीका का रिश्ता केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भी है, जिसकी जड़ें उपनिवेशवाद के खिलाफ साझा संघर्ष में गहराई से निहित हैं।”
उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि दोनों देशों के बीच 1996 से चली आ रही रक्षा भागीदारी अब नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है। 1996 में दोनों देशों के बीच ‘रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग’ पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसे वर्ष 2000 में और अधिक उन्नत किया गया।
भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता पर विशेष बल
श्री सिंह ने दक्षिण अफ्रीका को भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं और निर्यात क्षमता से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भारत आज रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Aatmanirbhar Bharat) की भावना के अनुरूप स्वदेशी उत्पादन और वैश्विक निर्यात में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि भारत अब विश्व के कई देशों को रक्षा सामग्री निर्यात कर रहा है, जिसमें अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। श्री सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने में दृढ़ता से विश्वास करता है और दक्षिण अफ्रीका जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ रक्षा साझेदारी को विस्तार देना उसका प्रमुख लक्ष्य है।
जेडीसी की उप-समितियों का मार्गदर्शन
बैठक के पहले दिन, दोनों देशों के सह-अध्यक्षों द्वारा संयुक्त रक्षा समिति की दो उप-समितियों को व्यापक मार्गदर्शन दिया गया। ये उप-समितियाँ थीं:
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रक्षा नीति एवं सैन्य सहयोग पर आधारित समिति
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रक्षा अधिग्रहण, उत्पादन, अनुसंधान एवं विकास पर आधारित समिति
इन समितियों ने अपने-अपने विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया और दूसरे दिन जेडीसी को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को अपने रक्षा उद्योग की क्षमताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी और संभावित सहयोग के क्षेत्रों की पहचान की।
पनडुब्बी सहयोग: रणनीतिक साझेदारी की नई दिशा
बैठक के दौरान सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही पनडुब्बी सहयोग के क्षेत्र में दो हाल में हस्ताक्षरित समझौतों का आदान-प्रदान। यह भारत-दक्षिण अफ्रीका रक्षा संबंधों को एक नई रणनीतिक ऊँचाई तक ले जाने वाला कदम माना जा रहा है।
इन समझौतों के तहत प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग, रखरखाव, और संयुक्त विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा। यह क्षेत्र दोनों देशों के समुद्री सुरक्षा हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में, जहाँ दोनों देशों की भू-राजनीतिक उपस्थिति और रणनीतिक प्राथमिकता है।
भविष्य की रणनीति और सहयोग की दिशा
बैठक के दूसरे दिन व्यापक विचार-विमर्श के बाद दोनों पक्षों ने भविष्य की रणनीति और सहयोग के मार्ग तय किए। इसमें विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों पर सहमति बनी:
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संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम
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रक्षा उद्योग में संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures)
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अनुसंधान और विकास में तकनीकी सहयोग
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शांतिरक्षक अभियानों में संयुक्त भागीदारी
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समुद्री डोमेन में जानकारी साझा करना और निगरानी सहयोग
दोनों देशों ने यह भी तय किया कि नियमित द्विपक्षीय संवाद, उच्च-स्तरीय सैन्य अभ्यास, और तकनीकी समितियों के परस्पर दौरे जैसे उपायों से सहयोग को मजबूती दी जाएगी।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विविध विशेषज्ञों की भागीदारी
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा मंत्रालय के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, जिनमें रक्षा उत्पादन विभाग, सेना, और भारतीय उच्चायोग, प्रिटोरिया के अधिकारी प्रमुख थे। यह प्रतिनिधिमंडल भारत की ओर से एकीकृत और विशेषज्ञ दृष्टिकोण का प्रतीक था, जो द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को क्रियान्वयन स्तर तक पहुंचाने में सक्षम है।
रणनीतिक साझेदारी का अगला अध्याय
यह बैठक केवल द्विपक्षीय सहयोग तक सीमित नहीं थी, बल्कि इससे भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच वैश्विक मंचों पर रणनीतिक समन्वय को भी बल मिला है। दोनों देश ब्रिक्स (BRICS), आईओआरए (IORA) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोगी हैं और इस बैठक से इस बहुपक्षीय सहयोग को भी नई दिशा और ऊर्जा मिली है।
निष्कर्ष
जोहान्सबर्ग में आयोजित 9वीं संयुक्त रक्षा समिति की यह बैठक भारत-दक्षिण अफ्रीका के दीर्घकालिक रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हुई। भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं, रणनीतिक दृष्टिकोण, और दक्षिण-दक्षिण सहयोग की नीति ने दक्षिण अफ्रीका के साथ संबंधों को और गहरा करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
पनडुब्बी सहयोग जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में समझौतों का आदान-प्रदान और भविष्य की रणनीतिक दिशा तय होना दर्शाता है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका न केवल अतीत के साझेदार हैं, बल्कि भविष्य के रणनीतिक सहयोगी भी हैं।
यह बैठक दोनों देशों के रक्षा और सुरक्षा सहयोग में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक रक्षा संबंधों के नक्शे पर एक नई मिसाल कायम कर सकती है।