India-UK CETA Agreement : भारत-ब्रिटेन सीईटीए समझौते से वैश्विक व्यापार में नया अध्याय, 99% निर्यात को मिलेगा शुल्क-मुक्त प्रवेश
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India-UK CETA Agreement : भारत-ब्रिटेन सीईटीए समझौते से वैश्विक व्यापार में नया अध्याय, 99% निर्यात को मिलेगा शुल्क-मुक्त प्रवेश

दिनांक : 25.07.2025 | Koto News | KotoTrust |

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच 24 जुलाई, 2025 को एक ऐतिहासिक व्यापारिक साझेदारी को औपचारिक रूप मिला, जब दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA – Comprehensive Economic and Trade Agreement) पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री की उपस्थिति में इस समझौते पर भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर ने न केवल भारत की वैश्विक व्यापार में स्थिति को मज़बूत किया, बल्कि दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।

भारत-ब्रिटेन सीईटीए भारत के उन प्रमुख मुक्त व्यापार समझौतों में से एक है जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ किया गया है। यह करार 6 मई 2025 को घोषित वार्ता के सफल समापन के पश्चात अंतिम रूप से हस्ताक्षरित हुआ। भारत और ब्रिटेन, जो क्रमशः विश्व की चौथी और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं, ने इस समझौते के माध्यम से अपने द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 56 अरब अमेरिकी डॉलर से 2030 तक 100 अरब डॉलर से अधिक तक पहुँचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

इस समझौते के माध्यम से ब्रिटेन ने भारत को 99% निर्यात वस्तुओं पर शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान की है। यह प्रावधान भारत के कपड़ा, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, जूते, खिलौने, खेल सामग्री, रत्न एवं आभूषण, जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों के लिए एक नई वैश्विक बाजार उपलब्धता सुनिश्चित करता है। साथ ही, इंजीनियरिंग उत्पाद, ऑटो पार्ट्स और जैविक रसायन जैसे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्रों को भी व्यापक लाभ मिलने की आशा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों को भी यह समझौता अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध होगा।

भारत का सेवा क्षेत्र, जो देश की अर्थव्यवस्था का एक मज़बूत स्तंभ है, इस समझौते से विशेष रूप से लाभान्वित होगा। ब्रिटेन में आईटी एवं आईटी-सक्षम सेवाएँ, वित्तीय और कानूनी सेवाएँ, पेशेवर और शैक्षिक सेवाओं के लिए बाज़ार पहुँचना अब और अधिक सरल और सुगम होगा। इस समझौते में भारतीय पेशेवरों की गतिशीलता पर विशेष बल दिया गया है, जिसमें आर्किटेक्ट, इंजीनियर, शेफ, योग प्रशिक्षक, संगीतज्ञ और आईटी विशेषज्ञों के लिए सरल वीज़ा प्रक्रिया और उदार प्रवेश श्रेणियाँ सुनिश्चित की गई हैं।

नीतिगत नेतृत्व और वक्तव्य

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने इस ऐतिहासिक समझौते को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतिफल बताया। उन्होंने कहा:
“यह समझौता भारत की आर्थिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें आत्मनिर्भरता और वैश्विक एकीकरण दोनों को संतुलित रूप में समाहित किया गया है। यह दो महत्त्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार संबंधों में एक मील का पत्थर है, जो हमारे उद्यमियों, कारीगरों और श्रमिकों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारत-ब्रिटेन सीईटीए न केवल व्यापार में सुगमता लाएगा, बल्कि दोहरा सामाजिक सुरक्षा अंशदान जैसे नवाचार भी लाएगा, जिससे भारतीय पेशेवरों और कंपनियों को ब्रिटेन में तीन वर्षों तक सामाजिक सुरक्षा भुगतान से छूट मिलेगी। इससे भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता और लाभप्रदता में वृद्धि होगी।

समावेशी विकास की दिशा में कदम

भारत-ब्रिटेन सीईटीए समझौता विशेष रूप से समावेशी और सतत विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह समझौता केवल कॉर्पोरेट जगत तक सीमित नहीं, बल्कि इसके लाभ सीधे महिला उद्यमियों, युवाओं, किसानों, मछुआरों, एमएसएमई, स्टार्टअप्स और नवप्रवर्तकों तक पहुँचाने का प्रयास करता है।

गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने, गुणवत्ता मानकों में पारदर्शिता, और स्थायी व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने जैसे प्रावधान इसे एक आधुनिक और बहुआयामी समझौता बनाते हैं।

प्रमुख प्रभाव और संभावनाएँ


भारत के श्रम-प्रधान और तकनीक-आधारित उद्योगों के लिए नए निर्यात बाज़ार खुलेंगे।

ग्लोबल सप्लाई चेन एकीकरण:
भारतीय उद्योगों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में गहराई से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

रोजगार सृजन:
सेवा क्षेत्र में नई नौकरियाँ उत्पन्न होंगी और विदेशी रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

प्रवासन सुविधा:
पेशेवरों के लिए ब्रिटेन में प्रवास और काम की प्रक्रिया अधिक सरल होगी।

व्यापारियों के लिए सरल प्रक्रियाएँ:
व्यापारियों और निवेशकों के लिए एक पारदर्शी, अनुमानयोग्य और सुरक्षित वातावरण तैयार होगा।

 


व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA – Comprehensive Economic and Trade Agreement)
यह एक मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) है, जो भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ और विस्तारित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह वस्त्र, सेवाओं, निवेश, डिजिटल व्यापार, बौद्धिक संपदा और श्रमिक गतिशीलता जैसे क्षेत्रों को कवर करता है।


25 जुलाई, 2025 – यह तारीख भारत-ब्रिटेन आर्थिक साझेदारी के इतिहास में मील का पत्थर मानी जा रही है। कई महीनों की गहन और बहु-आयामी वार्ता के सफल समापन के पश्चात यह समझौता अंतिम रूप में सामने आया।


नई दिल्ली – इस ऐतिहासिक करार पर हस्ताक्षर भारत की राजधानी में दोनों देशों के उच्च प्रतिनिधियों की उपस्थिति में हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हुए इस आयोजन ने द्विपक्षीय रिश्तों में एक नई गति दी।

हस्ताक्षरकर्ता:

भारत की ओर से: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल

ब्रिटेन की ओर से: व्यापार एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स
दोनों प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी सरकारों की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर कर इसे अमल में लाने की प्रक्रिया प्रारंभ की।

प्रधान उद्देश्य:
इस समझौते का मूल उद्देश्य है:

द्विपक्षीय वस्तु एवं सेवा व्यापार को सुगम और टैरिफ-मुक्त बनाना

निवेश की सुरक्षा और प्रोत्साहन देना

पेशेवरों की गतिशीलता को बढ़ाना

डिजिटल और हरित व्यापार में सहयोग

भारत और ब्रिटेन को वैश्विक व्यापार सहयोगियों के रूप में मजबूत करना

प्रमुख लाभ (विस्तारपूर्वक):

भारत को 99% निर्यात वस्तुओं पर शुल्क-मुक्त प्रवेश:
CETA के तहत ब्रिटेन ने भारत के लगभग 99% निर्यात वस्तुओं को शुल्क-मुक्त या बेहद रियायती शुल्क पर प्रवेश की अनुमति दी है। इसका लाभ विशेष रूप से निम्नलिखित उद्योगों को मिलेगा:

कपड़ा और वस्त्र

चमड़ा एवं जूते-चप्पल उद्योग

खिलौने और खेल सामग्री

रत्न एवं आभूषण

समुद्री उत्पाद और कृषि आधारित प्रसंस्करण उद्योग
यह शुल्क-मुक्त पहुंच भारत के MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का अवसर देगी।

सेवा क्षेत्र में बाज़ार पहुँच (आईटी, वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य):
भारत का सेवा क्षेत्र, जो GDP का एक बड़ा हिस्सा है, अब ब्रिटेन में व्यापक रूप से अपनी सेवाएं प्रदान कर सकेगा। मुख्य लाभार्थी होंगे:

आईटी और आईटी-सक्षम सेवाएं (ITES)

वित्तीय सलाह और बैंकिंग सेवाएं

कानूनी और शैक्षिक संस्थान

स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा पर्यटन
यह पहुँच भारत के टैलेंट पूल को वैश्विक स्तर पर विस्तार करने में मदद करेगी।

पेशेवरों के लिए सरल वीज़ा व्यवस्था:
समझौते में पेशेवरों की आवाजाही को प्राथमिकता दी गई है। इसके अंतर्गत:

आर्किटेक्ट, इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ, शेफ, योग शिक्षक और सांस्कृतिक कलाकारों के लिए विशेष वीज़ा श्रेणियाँ तय की गई हैं।

व्यावसायिक यात्रियों और अनुबंध पर नियुक्त पेशेवरों को त्वरित और पारदर्शी वीज़ा प्रणाली का लाभ मिलेगा।

इससे भारतीय पेशेवरों को ब्रिटेन में कार्य और निवास में अधिक सुविधा प्राप्त होगी।

सामाजिक सुरक्षा अंशदान से तीन वर्षों तक की छूट:
भारत और ब्रिटेन के बीच एक दोहरा योगदान (Double Social Security Contribution) सम्मेलन भी हुआ है। इसके तहत:

भारतीय पेशेवरों और उनके नियोक्ताओं को ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा अंशदान से तीन वर्षों तक छूट दी जाएगी।

इससे भारत की कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और निवेश लागत कम होगी।

भारतीय कामगारों को नेट इनकम में सीधा लाभ मिलेगा।

MSME, महिला उद्यमियों और स्टार्टअप्स को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़ना:
CETA में विशेष प्रावधान हैं जिनका उद्देश्य भारत के छोटे और मझोले कारोबारों को सशक्त बनाना है। इसके अंतर्गत:

महिला और युवा उद्यमियों के लिए क्षमता निर्माण और निवेश के अवसर

स्टार्टअप्स को विदेशी पूंजी, नवाचार सहयोग और साझेदारी में सहायता

किसानों, बुनकरों, मछुआरों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ने की योजना

सरल व्यापारिक प्रक्रियाएँ और डिजिटल व्यापार को बढ़ावा
यह समावेशी दृष्टिकोण भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था तक समझौते का लाभ पहुँचाएगा।

टारगेट (लक्ष्य):

2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100+ अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाना
वर्तमान में भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 56 अरब डॉलर के आसपास है। CETA का लक्ष्य है:

इस आंकड़े को 2030 तक दोगुना से अधिक करना

निर्यात में 80% की वृद्धि

सेवा क्षेत्र में निवेश और आउटसोर्सिंग को प्रोत्साहित करना

संयुक्त शोध, शिक्षा और तकनीकी विकास परियोजनाओं में बढ़ोतरी

यह लक्ष्य व्यापार में विविधता, गुणवत्ता और स्थिरता सुनिश्चित करेगा।

प्रभाव (बहुआयामी लाभ):

निर्यात वृद्धि:
भारत के उद्योगों को वैश्विक बाज़ार में और अधिक पहुँच मिलेगी, जिससे उत्पादन और निर्यात में उल्लेखनीय उछाल आएगा।

रोजगार सृजन:
श्रम-प्रधान क्षेत्रों और सेवाओं में वृद्धि के कारण लाखों नए रोजगार उत्पन्न होंगे, विशेषकर युवाओं और महिलाओं के लिए।

विदेशी निवेश में वृद्धि:
ब्रिटिश कंपनियाँ अब भारत में अधिक आत्मविश्वास के साथ निवेश करेंगी, जिससे FDI प्रवाह में बढ़ोतरी होगी।

भारत की वैश्विक स्थिति में सशक्तिकरण:
यह समझौता भारत को एक जिम्मेदार, प्रतिस्पर्धी और नवाचार-सक्षम व्यापारिक भागीदार के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा। साथ ही, यह “वसुधैव कुटुम्बकम्” के भारत के दृष्टिकोण को भी मजबूती देगा।

Source :PIB

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