दिनांक : 02.08.2025 | Koto News | KotoTrust |
किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष निर्देश जारी किए हैं। यह अभियान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मूल्यांकन के आधार पर तैयार किया गया है, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार राज्यों को आवश्यक मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराती है, जबकि यह सुनिश्चित करना राज्यों की जिम्मेदारी है कि किसानों को सही समय, सही स्थान और उचित मात्रा में उर्वरक प्राप्त हों।
अभियान के केंद्र में उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ), 1985 है, जो स्पष्ट रूप से यह प्रावधान करता है कि निर्धारित मानकों के अनुरूप न होने वाले किसी भी उर्वरक का निर्माण, आयात या बिक्री प्रतिबंधित है। एफसीओ के तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार प्राप्त है कि वे मानकों का उल्लंघन करने वाले निर्माताओं, विक्रेताओं या आयातकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करें। इसके लिए राज्यों को निरीक्षण, नमूना संग्रह, परीक्षण और आवश्यकता पड़ने पर छापेमारी जैसी प्रक्रियाएं अपनानी होती हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार राज्यों द्वारा की जा रही प्रवर्तन कार्रवाई की नियमित निगरानी कर रही है। अप्रैल 2025 से 25 जुलाई 2025 के बीच देशभर में कई छापेमार कार्रवाई की गई हैं। इस अवधि में 5,302 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 2,172 लाइसेंस निलंबित या रद्द किए गए और 170 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि नकली और निम्नस्तरीय उर्वरकों के खिलाफ सरकार शून्य सहिष्णुता की नीति पर काम कर रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सख्त कार्रवाई न केवल किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद दिलाने में मदद करेगी, बल्कि देश की कृषि उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाएगी। उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं, फसलों की पैदावार में वृद्धि करते हैं और किसानों के आर्थिक नुकसान को रोकते हैं। वहीं, निम्नस्तरीय उर्वरक फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, मिट्टी की सेहत बिगाड़ते हैं और किसानों को आर्थिक हानि में डालते हैं। यही कारण है कि सरकार इस दिशा में व्यापक स्तर पर सक्रिय हुई है।
भारत में कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यहां के अधिकांश किसान अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक एवं जैविक उर्वरकों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नकली और निम्नस्तरीय उर्वरकों की समस्या ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने उर्वरकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बहुस्तरीय निगरानी प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है।
अभियान के तहत न केवल बाजार में उपलब्ध उर्वरकों के नमूने लिए जा रहे हैं, बल्कि निर्माण इकाइयों पर भी सघन निरीक्षण किया जा रहा है। राज्य स्तरीय कृषि विभाग और जिला स्तर के कृषि अधिकारी किसानों तक सही गुणवत्ता के उर्वरक पहुंचाने की व्यवस्था को लगातार मॉनिटर कर रहे हैं।
एफसीओ, 1985 का महत्व
उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ), 1985 को इस उद्देश्य से लागू किया गया था कि किसानों को मानक गुणवत्ता के उर्वरक मिलें और बाजार में किसी भी प्रकार की मिलावट या नकली उत्पादों की बिक्री न हो। इस आदेश में उत्पादन, पैकेजिंग, परिवहन, भंडारण और बिक्री तक के प्रत्येक चरण के लिए मानक तय किए गए हैं।
एफसीओ के अनुसार, यदि कोई उर्वरक निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाया जाता, तो निर्माता, विक्रेता या आयातक के खिलाफ न केवल लाइसेंस निलंबन या रद्दीकरण की कार्रवाई की जा सकती है, बल्कि आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
। इन कार्रवाइयों का उद्देश्य था — नकली, मिलावटी और निम्नस्तरीय उर्वरकों की पहचान करना, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना और यह सुनिश्चित करना कि किसानों तक केवल मानक गुणवत्ता के उर्वरक ही पहुँचें।
कुल कारण बताओ नोटिस जारी – 5,302
ये नोटिस मुख्य रूप से उन विक्रेताओं, डीलरों और निर्माण इकाइयों को जारी किए गए जो उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे थे।
कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद संबंधित पक्ष को एक निश्चित समयावधि में अपना जवाब देना होता है, अन्यथा आगे की कानूनी कार्रवाई की जाती है।
कई मामलों में, नोटिस के बाद भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर लाइसेंस निलंबन/रद्दीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई।
कुल लाइसेंस निलंबित/रद्द – 2,172
इसमें थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और निर्माताओं के लाइसेंस शामिल हैं।
निलंबन का अर्थ है कि जांच पूरी होने तक व्यवसायिक गतिविधियों को रोका जाता है, जबकि रद्दीकरण का मतलब है कि संबंधित व्यक्ति/संस्था अब उर्वरक का कारोबार नहीं कर सकती।
यह कार्रवाई इस संदेश को भी मजबूत करती है कि सरकार मानकों से समझौता बर्दाश्त नहीं करेगी।
दर्ज प्राथमिकी – 170
ये एफआईआर गंभीर उल्लंघनों, धोखाधड़ी और जानबूझकर नकली या निम्नस्तरीय उर्वरक बेचने के मामलों में दर्ज की गईं।
इनमें कई बड़े गोदामों पर छापेमारी के बाद मिली भारी मात्रा में नकली उर्वरक जब्ती के मामले भी शामिल हैं।
एफआईआर दर्ज होने के बाद संबंधित दोषियों के खिलाफ न्यायालय में मामला चलाया जाएगा।
किए गए निरीक्षण – हजारों की संख्या में
ये निरीक्षण सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला, तहसील और गाँव स्तर तक किए गए।
निरीक्षण टीमों में कृषि विभाग के अधिकारी, राज्य के उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी और पुलिस प्रतिनिधि शामिल रहे।
निरीक्षण के दौरान दस्तावेज़ों की जाँच, स्टॉक वेरिफिकेशन, पैकेजिंग लेबल की जांच और उत्पाद के नमूने लेना मुख्य गतिविधियाँ रहीं।
नमूना परीक्षण – कई सौ नमूने
लिए गए उर्वरक नमूनों को राज्य और क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में भेजा गया।
जिन नमूनों में गुणवत्ता मानकों से विचलन पाया गया, उन मामलों में तत्काल कार्रवाई की गई — जिसमें स्टॉक जब्त करना, विक्रेता/निर्माता के खिलाफ मामला दर्ज करना और लाइसेंस रद्द करना शामिल है।
किसानों के लिए लाभ
इस राष्ट्रव्यापी अभियान का किसानों पर सीधा और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। सरकार का उद्देश्य केवल दोषियों को सजा देना नहीं, बल्कि पूरी आपूर्ति श्रृंखला को साफ और पारदर्शी बनाना है, ताकि किसानों को सही समय पर सही उत्पाद मिल सके।
गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की गारंटी
मानक गुणवत्ता के उर्वरक पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सही अनुपात में उपलब्ध कराते हैं, जिससे फसलों की बढ़वार और उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
इससे किसानों को पैदावार में वृद्धि के साथ-साथ बाजार में बेहतर दाम भी मिल सकते हैं।
नकली उत्पादों से सुरक्षा
नकली या मिलावटी उर्वरक न केवल फसल को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर देते हैं।
अभियान के तहत नकली उत्पाद बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई से किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकेगा।
मिट्टी की सेहत में सुधार
निम्नस्तरीय या गैर-मानक उर्वरक मिट्टी के पीएच संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे उसकी उर्वरता घट जाती है।
गुणवत्तापूर्ण उर्वरक का उपयोग मिट्टी की सेहत को बनाए रखने और दीर्घकालीन कृषि उत्पादन को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
विश्वास की बहाली
लंबे समय से किसान नकली और घटिया उर्वरकों के कारण निराशा झेलते रहे हैं।
यह अभियान सरकार और किसानों के बीच विश्वास को पुनः स्थापित करेगा, जिससे किसान सरकारी आपूर्ति चैनलों और नीतियों पर अधिक भरोसा करेंगे।
Source : PIB