अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: भारत की ऋषि परंपरा से विश्व को मिला ‘एक स्वास्थ्य’ का मंत्र

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: भारत की ऋषि परंपरा से विश्व को मिला ‘एक स्वास्थ्य’ का मंत्र

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर उत्तर प्रदेश सहित देशभर में उत्साह, आस्था और स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता का अद्भुत संगम देखने को मिला। भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा से उपजा योग अब पूरी दुनिया के लिए जीवन का विज्ञान और मानसिक-शारीरिक संतुलन का प्रभावशाली माध्यम बन चुका है। इस वर्ष की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” (Yoga for One Earth, One Health) के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों में देश-विदेश के करोड़ों लोगों ने भाग लिया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अवसर पर राज्यभर में व्यापक योग आयोजनों की योजना बनाई थी। सभी जिलों में जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, एनसीसी, एनएसएस, स्वयंसेवी संगठनों और योग संस्थानों के सहयोग से हजारों सामूहिक योग सत्र आयोजित किए गए। ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, हर वर्ग के लोगों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया संदेश: योग से बनेगा समर्थ समाज

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई देते हुए कहा,

“योग भारत की ऋषि परंपरा का अमूल्य उपहार है। यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलन में रखने का विज्ञान है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आज योग वैश्विक पहचान बन चुका है। आइए, हम सभी योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और एक स्वस्थ, सशक्त समाज के निर्माण में योगदान दें।”

मुख्यमंत्री स्वयं गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर परिसर में प्रातः योग अभ्यास में सम्मिलित हुए, जहाँ उन्होंने सैकड़ों साधकों के साथ सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान किया। उनके साथ संत समुदाय, अधिकारीगण, नागरिकों एवं विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।


राज्यभर में योग का जन-जागरण: गांव-गांव पहुंचा स्वास्थ्य का संदेश

प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी, आगरा, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर, झांसी, बरेली, मिर्जापुर, गोरखपुर, बलिया जैसे शहरों में भव्य योग कार्यक्रम आयोजित किए गए। ग्रामीण अंचलों में आशा कार्यकर्ताओं और पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से योग के लाभों पर विशेष जागरूकता चलाई गई। प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों तक छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की।

गांवों में खुले मैदानों, पंचायत भवनों और प्राथमिक विद्यालयों में सामूहिक योगाभ्यास हुआ। शिक्षकों ने योगासन के साथ-साथ बच्चों को योग के महत्व और इतिहास पर रोचक कहानियां सुनाईं। एक अनुमान के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस वर्ष योग दिवस पर 50 लाख से अधिक लोगों ने सामूहिक योगाभ्यास में भाग लिया।


विश्वभर में भारत का योग: एक वैश्विक आंदोलन

2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के बाद से यह दिवस हर वर्ष व्यापक रूप से मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर जब यह दिवस अस्तित्व में आया, तब से लेकर अब तक योग ने जन-जन को जोड़ने का कार्य किया है।

इस वर्ष 2025 में, दुनिया के 190 से अधिक देशों में योग दिवस का आयोजन हुआ। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लेकर जापान के क्योटो, ब्राज़ील के रियो डि जेनेरियो से लेकर ऑस्ट्रेलिया के सिडनी ओपेरा हाउस तक, योग के अभ्यास ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दी। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों एवं संस्कृति केंद्रों ने भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए।


थीम: “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का गहरा संदेश

इस वर्ष की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का उद्देश्य स्पष्ट था — यह हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि मानव, प्रकृति और पशु जीवन एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। जब एक का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, तो सभी पर उसका प्रभाव पड़ता है।

योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का साधन है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी है। यह जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, मानसिक तनाव, अवसाद, हृदय रोग, मधुमेह जैसी अनेक समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। आज की तनावपूर्ण जीवनशैली में योग आत्मशक्ति और धैर्य का अद्वितीय स्त्रोत बन चुका है।


बच्चों, युवाओं और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी

राज्य भर में आयोजित कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में छात्रों, युवाओं और महिलाओं ने भाग लिया। बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर उनके माध्यम से माताओं को योग की शिक्षा दी गई। विद्यालयों में ‘योग प्रशिक्षण सप्ताह’ मनाकर विद्यार्थियों को नियमित योग अभ्यास की ओर प्रेरित किया गया।

विश्वविद्यालयों में भी योग विभागों द्वारा विशेष व्याख्यान, संगोष्ठियां और पोस्टर प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य युवाओं को योग के वैज्ञानिक पक्ष से परिचित कराना था।


डिजिटल योग से जुड़ा नया युग

आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए, योग को डिजिटल माध्यमों से भी जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास हुआ। विभिन्न मोबाइल ऐप्स, यूट्यूब चैनल्स, और लाइव सोशल मीडिया सत्रों के माध्यम से लाखों लोगों ने घर बैठे योग सत्रों में भाग लिया। योग गुरुओं द्वारा लाइव ऑनलाइन सत्रों ने उन लोगों को भी इस उत्सव से जोड़ा, जो किसी कारणवश सामूहिक आयोजन में सम्मिलित नहीं हो सके।


विविध कार्यक्रम: योग के साथ संस्कृति का संगम

योग दिवस पर केवल आसनों और प्राणायाम तक ही आयोजन सीमित नहीं रहा। कई जिलों में स्थानीय कलाकारों द्वारा योग पर आधारित नाट्य प्रस्तुति, लोक संगीत, चित्रकला प्रतियोगिता और योग-परिचर्चा जैसे विविध कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इससे यह दिवस न केवल स्वास्थ्य, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक बन गया।


निष्कर्ष: योग से भारत बनेगा विश्वगुरु

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि भारत के पास जो सांस्कृतिक विरासत है, वह न केवल हमारे लिए उपयोगी है, बल्कि समूचे विश्व के लिए कल्याणकारी है।

आज जब दुनिया स्वास्थ्य संकट, तनाव और मानसिक असंतुलन की चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे समय में योग मानवता के लिए समाधान का मार्ग बन सकता है।
योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, यह जीवन जीने की कला है। यह शांति, अनुशासन, सामंजस्य और आत्मनियंत्रण की सीख देता है।

भारत के करोड़ों नागरिकों की भागीदारी यह बताती है कि अब योग केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि जन-आंदोलन बन चुका है। आवश्यकता है कि हम इस आंदोलन को अपनी जीवनशैली में उतारें और ‘स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ समाज, स्वस्थ राष्ट्र’ की दिशा में आगे बढ़ें।

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