श्रद्धा, साहस और समर्पण के इस अद्वितीय संगम में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का दूसरा जत्था, जिसमें 47 श्रद्धालु यात्री शामिल हैं, ने आज सफलतापूर्वक नाथूला दर्रे को पार कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण चरण पूरा किया। यह यात्रा सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, साहसिक धैर्य और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं का जीवंत प्रमाण है।
इस अवसर पर यात्रियों ने सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC), विभिन्न सहायक विभागों और सिक्किम सरकार द्वारा की गई बेहतरीन व्यवस्थाओं के लिए हार्दिक आभार प्रकट किया। उन्होंने गंगटोक और अन्य अनुकूलन केंद्रों (acclimatisation centres) पर मिले सहज वातावरण, सत्कार और चिकित्सा सुविधाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
अध्यात्मिक यात्रा का दूसरा चरण
नाथूला दर्रा भारत-चीन सीमा पर स्थित एक महत्वपूर्ण दर्रा है, जो सिक्किम राज्य के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है। इस मार्ग को 2015 में फिर से चालू किया गया था, ताकि बुजुर्ग यात्रियों और स्वास्थ्य संबंधी सीमाओं वाले श्रद्धालुओं को कम चुनौतीपूर्ण विकल्प प्रदान किया जा सके। नाथूला मार्ग की विशेषता यह है कि यात्री अधिकतर भाग बसों और गाड़ियों से तय करते हैं, जिससे शारीरिक दबाव कम होता है और स्वास्थ्यगत जटिलताओं की संभावना घट जाती है।
इस वर्ष का दूसरा जत्था सुरक्षा, सुविधा और सावधानी की सभी कसौटियों को पार करता हुआ आज चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में प्रवेश कर गया, जहां से यह जत्था मानसरोवर झील और पवित्र कैलाश पर्वत की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा।
संपूर्ण सहयोग और सुरक्षा प्रबंधों की मिसाल
यात्रा की सफलता में सिक्किम सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सेना, स्थानीय प्रशासन, और STDC का सराहनीय योगदान रहा। यात्रियों के अनुसार, गंगटोक में पहुँचने के बाद उन्हें हर स्तर पर सहायता, चिकित्सा जांच, ऊंचाई के अनुसार अनुकूलन, भोजन एवं विश्राम की उत्तम सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) ने यात्रियों के प्रशिक्षण, ऊँचाई पर अनुकूलन, भौगोलिक जानकारी और मेडिकल चेकअप जैसी प्रक्रियाओं को बहुत ही सुव्यवस्थित ढंग से अंजाम दिया। यात्रा से पहले यात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सुरक्षित रहने और चलने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
यात्रियों का अनुभव: ‘यह केवल यात्रा नहीं, एक साधना है’
नाथूला दर्रा पार करने के उपरांत यात्रियों की भावनाएं स्पष्ट थीं — यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना और आत्म-अवलोकन की प्रक्रिया है। दिल्ली से आए यात्री श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा,
“नाथूला मार्ग से यात्रा एक अद्भुत अनुभव है। सिक्किम सरकार और स्थानीय अधिकारियों ने हमें घर जैसा वातावरण दिया। हमारी हर ज़रूरत, चाहे वो स्वास्थ्य से जुड़ी हो या भोजन से, सबका ध्यान रखा गया।”
वहीं, बेंगलुरु से आए यात्री श्री रवि अय्यर ने कहा,
“इस कठिन लेकिन दिव्य यात्रा की सफलता के पीछे सिक्किम प्रशासन और भारतीय अधिकारियों का अद्भुत समर्पण है। हमने यहाँ केवल सेवा नहीं, एक दिव्य भाव और सच्ची श्रद्धा महसूस की।”
प्राकृतिक चुनौतियाँ और उनका सफलता से सामना
नाथूला मार्ग से होकर जाने वाली यात्रा उच्च हिमालयी क्षेत्रों से गुजरती है, जहाँ तापमान, ऑक्सीजन स्तर और मौसम की अनिश्चितता जैसी कई प्राकृतिक चुनौतियाँ उपस्थित होती हैं। बावजूद इसके, यात्रियों के अनुकूलन और उनकी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक चरण की योजना विशेषज्ञ डॉक्टरों और पर्वतारोहण विशेषज्ञों द्वारा तैयार की जाती है।
अनुकूलन केंद्रों में यात्रियों को कम से कम दो दिन का विश्राम, ऑक्सीजन स्तर की निगरानी, और विशेष ऊंचाई प्रशिक्षण के सत्र प्रदान किए जाते हैं, जिससे उनके शरीर को उच्च हिमालयी वातावरण में ढलने का अवसर मिलता है।
इस वर्ष विशेष रूप से आधुनिक मेडिकल उपकरण, डिजिटल स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली और ट्रैकिंग सुविधाओं को जोड़ा गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता संभव हो सके।
सरकार की प्रतिबद्धता: धार्मिक पर्यटन को सुरक्षित बनाना
भारत सरकार कैलाश मानसरोवर यात्रा को न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में देखती है, बल्कि इसे भारत-चीन संबंधों, पर्यटन, और सांस्कृतिक कूटनीति के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में भी मान्यता देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यात्रा मार्गों को अधिक सुरक्षित, सुविधा-युक्त और समावेशी बनाने के लिए अनेक प्रयास किए हैं।
नाथूला मार्ग का विकास इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसने बुजुर्ग, महिलाएं, और विशेष रूप से दिव्यांग यात्रियों के लिए इस यात्रा को अधिक सुगम बना दिया है। साथ ही, यह पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है।
स्थानीय समुदाय और पर्यटन को बढ़ावा
नाथूला मार्ग से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा के संचालन ने स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक अवसर भी प्रदान किए हैं। गंगटोक और अन्य पड़ावों पर स्थानीय लोगों को लॉजिस्टिक, होटलों, वाहनों, भोजन व्यवस्था, दुभाषिया सेवाओं और हस्तशिल्प के माध्यम से लाभ हो रहा है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है।
आगे की यात्रा: मानसरोवर और कैलाश की ओर
नाथूला दर्रा पार करने के पश्चात यात्री तिब्बत में प्रवेश कर चुके हैं। यहाँ से यात्रा उन्हें मानसरोवर झील और पवित्र कैलाश पर्वत की ओर ले जाएगी, जो हिन्दू, बौद्ध, जैन और बोन परंपराओं में पवित्र माने जाते हैं। मानसरोवर झील में स्नान करना और कैलाश पर्वत की परिक्रमा करना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य होता है।
चीन सरकार की अनुमति और सहयोग से यह यात्रा सीमा पार करके तिब्बत क्षेत्र में सम्पन्न होती है। यात्रियों को वहाँ पर स्थानीय गाइड, चिकित्सा सहायता और परिवहन की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
निष्कर्ष: एक प्रेरणादायक अध्याय
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का दूसरा जत्था न केवल आध्यात्मिक प्रेरणा का प्रतीक है, बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता, सामाजिक सहभागिता, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। सिक्किम सरकार, भारत सरकार, सेना, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सुविधा, सुरक्षा और सम्मान मिले।
यह यात्रा हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को एक नई चेतना, नई दिशा और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। नाथूला मार्ग से यात्रा का सफल संचालन यह दर्शाता है कि भारत, अपनी धार्मिक परंपराओं को आधुनिक व्यवस्था और सुरक्षित तकनीकों के साथ कैसे जोड़ सकता है।