भारत के विकास पथ पर महिलाएं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं, एक निर्णायक शक्ति बनकर उभर रही हैं। ‘विकसित भारत @ 2047’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए जिस समावेशी और आत्मनिर्भर दृष्टिकोण की आवश्यकता है, उसमें महिला सशक्तिकरण एक केन्द्रीय स्तंभ है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने कृषि भवन, नई दिल्ली में एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य देशभर में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाओं को कौशल विकास, उद्यमिता प्रशिक्षण और बाजारोन्मुख आजीविका साधनों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है।
कार्यक्रम का प्रारंभ: नेतृत्व और दृष्टिकोण का समागम
इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी की उपस्थिति इस पहल को राष्ट्रीय महत्व का संकेतक बनाती है। कार्यक्रम में मंत्रालयों के सचिव, श्री शैलेश कुमार सिंह (ग्रामीण विकास) और श्री अतुल कुमार तिवारी (कौशल विकास) के साथ वरिष्ठ अधिकारी, विशेषज्ञ और संस्थानों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
‘लखपति दीदी’ से ‘मिलेनियर दीदी’ तक: श्री शिवराज सिंह चौहान का संकल्प
केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस समझौते को “महिला सशक्तिकरण के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होने वाला दिन” बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की उस परिकल्पना की चर्चा की जिसमें तीन करोड़ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
“हमारा अगला लक्ष्य है — मिलेनियर दीदी बनाना। और हम इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” — श्री चौहान
उन्होंने कहा कि यह समझौता MoU केवल एक कागजी औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक जीवंत और परिवर्तनकारी अभियान की शुरुआत है, जो ग्रामीण भारत की महिलाओं को न केवल सशक्त बनाएगा, बल्कि उन्हें वैश्विक मंचों पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
बदलता ग्रामीण भारत और महिला नेतृत्व
श्री चौहान ने बताया कि वर्तमान में दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत लगभग 10 करोड़ महिलाएं 91 लाख से अधिक SHGs के माध्यम से सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। ये महिलाएं अब कृषि, सेवा, उत्पाद निर्माण, परामर्श सेवाओं और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे विविध क्षेत्रों में नेतृत्व कर रही हैं।
उन्होंने दोनों मंत्रालयों से यह अनुरोध किया कि वे NSQF (National Skills Qualification Framework) के अनुरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रम तैयार करें जिससे इन महिलाओं को प्रशिक्षित, प्रमाणित और उनके कौशल को औपचारिक मान्यता दी जा सके।
फ्यूचर रेडी दीदियाँ: वैश्विक वर्कफोर्स की तैयारी
श्री चौहान ने कहा कि इस साझेदारी का उद्देश्य SHG महिलाओं को फ्यूचर रेडी बनाना है — उन्हें न केवल वर्तमान बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षित करना, बल्कि उन्हें वैश्विक वर्कफोर्स में शामिल करने लायक बनाना है।
यह एक ऐसा लक्ष्य है जो भारत की कार्यबल संरचना को लिंग-संवेदनशील और समावेशी बनाएगा। ग्रामीण महिलाएं अब केवल सहायक नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता की भूमिका में होंगी।
डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी: “यह समावेशी भारत की नींव है”
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी ने इस समझौते को समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा:
“यह साझेदारी ग्रामीण महिलाओं को आत्मविश्वासी उद्यमियों में बदलने की सरकार की प्रतिबद्धता को पुष्ट करती है।”
उन्होंने SHGs को सामुदायिक गतिशीलता, लचीलापन और साझेदारी की शक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि ऐसे समूहों को कौशल और पूंजी से जोड़कर ही समग्र विकास संभव है।
श्री जयंत चौधरी: “हर महिला को आगे बढ़ने, कमाने और नेतृत्व करने का अवसर”
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी ने कार्यक्रम में कहा:
“हम मिलकर कौशल विकास के बुनियादी ढांचे को ग्रामीण आकांक्षाओं के साथ जोड़ रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि यह साझेदारी SHG महिलाओं को आजीविका, नेतृत्व और उद्यमिता में निपुण बनाने की दिशा में निर्णायक सिद्ध होगी। उनका फोकस महिलाओं को सिर्फ प्रशिक्षित करने पर नहीं, बल्कि उन्हें प्रेरित करने और उन्हें अपने समुदायों में प्रेरणा का स्रोत बनाने पर था।
समझौता ज्ञापन की प्रमुख विशेषताएँ
इस ऐतिहासिक समझौते में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य SHG महिलाओं को एक समग्र, बाजारोन्मुख, और टिकाऊ आजीविका प्रदान करना है:
1. प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास
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डिजिटल और वित्तीय साक्षरता
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अनुपालन प्रक्रिया
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बाजार पहुंच
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उभरते आर्थिक क्षेत्रों पर आधारित प्रशिक्षण
2. प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (ToT)
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JSS, RSETI, NIESBUD, NSTI जैसे संस्थानों का उपयोग कर स्थानीय प्रशिक्षकों का निर्माण
3. कौशल मान्यता और प्रमाणीकरण
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स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH) के माध्यम से औपचारिक प्रमाणन की प्रक्रिया
4. जिला स्तरीय समन्वय
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जिला कौशल समितियों के माध्यम से स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजना और क्रियान्वयन
5. प्रचार, मार्गदर्शन और आयोजन
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आजीविका मेले, जागरूकता अभियान और मार्गदर्शन सत्रों के माध्यम से सूचना का प्रसार
6. संयुक्त समीक्षा समिति
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प्रगति की तिमाही समीक्षा और रणनीतिक मार्गदर्शन हेतु समिति का गठन
महिलाओं के लिए बहुआयामी लाभ
यह समझौता न केवल प्रशिक्षण या प्रमाणन तक सीमित है, बल्कि इसका उद्देश्य SHG महिलाओं को एक संपूर्ण उद्यमी जीवनचक्र प्रदान करना है। इसके माध्यम से महिलाएं:
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घरेलू इकाइयों को माइक्रो-एंटरप्राइज में बदल सकेंगी,
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अपने उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन कर सकेंगी,
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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए सक्षम बनेंगी,
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और भविष्य में अन्य महिलाओं के लिए मार्गदर्शक बन सकेंगी।
संस्थागत संरचना: सामुदायिक लामबंदी और विशेषज्ञता का संगम
इस साझेदारी के पीछे भारत सरकार की दो प्रमुख संस्थागत शक्तियाँ हैं:
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DAY-NRLM — समुदाय स्तर पर लामबंदी, वित्तीय समावेशन, सामाजिक सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन में अग्रणी।
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MSDE — कौशल पारिस्थितिकी तंत्र, प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय नीति और मानकीकरण का केंद्र।
दोनों की संयुक्त कार्य योजना, ग्रामीण भारत में सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने की दिशा में अभिनव उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
डिजिटल युग की ओर: नई वेबसाइटों का शुभारंभ
इस अवसर पर दोनों मंत्रालयों ने अपनी नवीन वेबसाइटों और डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM) का लोकार्पण किया। इसका उद्देश्य नागरिकों को ग्रामीण विकास सेवाओं और सूचनाओं तक एकीकृत, सरल और सुलभ डिजिटल इंटरफ़ेस प्रदान करना है।
यह डिजिटल पहल ग्राम्य क्षेत्रों में सूचना लोकतंत्रीकरण (information democratization) को गति देगी और टेक्नोलॉजी को ग्राम स्तर तक ले जाने में सहायक होगी।
आर्थिक दृष्टिकोण: ग्रामीण GDP में महिलाओं का योगदान
ग्रामीण महिलाओं की आजीविका में भागीदारी केवल सामाजिक या सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य तक सीमित नहीं है। यह भारत की ग्रामीण GDP को सशक्त करने वाला कारक बनता जा रहा है।
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SHG महिलाएं अब दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण, हस्तशिल्प, कृषि-परिवर्तन, और डिजिटल सेवा प्रदायगी में योगदान दे रही हैं।
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इस साझेदारी के माध्यम से इन क्षेत्रों में ‘स्केलेबिलिटी’ और ‘मार्केट लिंक’ जैसे पहलुओं को जोड़ा जाएगा।
समाज और संस्कृति पर प्रभाव
इस MoU की परिणति केवल आर्थिक नहीं, सामाजिक पुनर्निर्माण में भी दिखेगी:
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लैंगिक समानता: महिलाओं की निर्णयात्मक भूमिका बढ़ेगी
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सामाजिक गतिशीलता: आर्थिक स्वावलंबन से सामाजिक सम्मान
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पीढ़ीगत परिवर्तन: युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन
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सामुदायिक विकास: समूहों के माध्यम से समग्र गांव का विकास
निष्कर्ष: विकसित भारत की आधारशिला
भारत सरकार का यह समझौता ज्ञापन उस नीति दृष्टि का सशक्त उदाहरण है, जिसमें ‘विकास’ को केवल GDP या संरचना तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि उसे समाज के अंतिम छोर तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
लखपति दीदी से मिलेनियर दीदी तक की यात्रा न केवल आर्थिक आंकड़ों की बात है, बल्कि यह आत्मविश्वास, नेतृत्व, क्षमता निर्माण और सामाजिक समरसता की भी यात्रा है।
जैसा कि श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा—
“आज का दिन महिला सशक्तिकरण के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा।”