मुंबई, 23 जून 2025 — लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज महाराष्ट्र विधान भवन में संसद और राज्य विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और जन-केंद्रित शासन की आवश्यकता को दोहराया। यह सम्मेलन भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया है।
अपने संबोधन में श्री बिरला ने कहा कि सरकार को लोगों की जरूरतों पर केंद्रित रहना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वित्तीय निगरानी प्रणाली समान रूप से प्रभावी, समावेशी और उत्तरदायी हो। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता — यही सार्वजनिक व्यय का मंत्र होना चाहिए।”
श्री बिरला ने 75 वर्षों की इस उपलब्धि को केवल अतीत की उपलब्धियों का उत्सव न मानते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और प्रशासनिक सुधारों में प्राक्कलन समिति की उभरती भूमिका का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह समिति न केवल बजट अनुमानों की जांच करती है, बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन का मूल्यांकन भी करती है और शासन की गुणवत्ता सुधारने हेतु ठोस सिफारिशें देती है।
उन्होंने बताया कि समिति की 90-95 प्रतिशत सिफारिशों को सरकारों द्वारा स्वीकार किया गया है, जो इसकी कार्यकुशलता और उपयोगिता को दर्शाता है। समिति ने रेलवे, गंगा पुनरुद्धार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और प्रशासनिक ढांचे में सुधार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
लोकसभा अध्यक्ष ने संसदीय समितियों को राजनीतिक सीमाओं से परे रचनात्मक विचार-विमर्श का मंच बताया और कहा कि ये समितियां नीतियों की गहन समीक्षा कर सरकार को सूचित सुझाव प्रदान करती हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इन समितियों का उद्देश्य किसी सरकार की आलोचना नहीं, बल्कि सहयोगात्मक जाँच और सुझावों के माध्यम से सुशासन को मजबूती देना है।
उन्होंने तकनीकी युग की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए संसदीय कार्यों में डिजिटल टूल्स, डेटा एनालिटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के समावेशन की वकालत की। इससे समितियों की जांच क्षमता बढ़ेगी और साक्ष्य-आधारित सिफारिशें संभव होंगी।
श्री बिरला ने राज्य विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों से राज्य स्तर पर वित्तीय अनुशासन के संरक्षक के रूप में कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाएं राजकोषीय विवेक और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने राज्यों से अनुभव साझा करने और संस्थागत संवाद बढ़ाने का आह्वान भी किया।
उन्होंने उभरती चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज सार्वजनिक व्यय की मात्रा, योजनाओं की जटिलता और तकनीकी परिवर्तन काफी तेज़ हो गए हैं। इसके उत्तर में समिति ने बजटीय सुधारों, व्यय में पारदर्शिता और विकास लक्ष्यों के साथ योजनाओं के समन्वय में सतत योगदान दिया है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन एक दूरदर्शी कार्य योजना तैयार करेगा जो सरकार के सभी स्तरों पर अनुमान समितियों की भूमिका को सशक्त बनाएगा। उन्होंने इसे भविष्य की दिशा में सामूहिक प्रतिबद्धता और लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व की पुष्टि करने का अवसर बताया।
कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे एवं श्री अजित पवार, विधानसभा अध्यक्ष श्री राहुल नार्वेकर, विधान परिषद के सभापति श्री राम शिंदे, विपक्ष के नेता श्री अंबादास दानवे, और भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष श्री संजय जायसवाल सहित कई प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
सम्मेलन में संसद और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं की प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों ने भाग लिया। दो दिवसीय यह सम्मेलन ‘प्रशासन में दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित करने के लिए बजट अनुमानों की प्रभावी निगरानी और समीक्षा में प्राक्कलन समिति की भूमिका’ विषय पर आधारित है।
सम्मेलन का समापन मंगलवार, 24 जून 2025 को महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन के संबोधन से होगा।