अन्तर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर संतोष निषाद महाराज
सम्पादक : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | अन्तर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर श्री संतोष निषाद महाराज जी, महन्त श्री निषाद वंश पंचायती मंदिर, नंदीग्राम भरतकुंड, अयोध्या धाम ने इस पावन अवसर पर निषाद समाज सहित समस्त देशवासियों को धनतेरस, दीपावली, छठ पूजा, भईया दूज और कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। संतोष निषाद महाराज ने अपने संदेश में कहा कि ये पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि समाज में प्रेम, सहयोग, समानता और सामाजिक चेतना का प्रतीक हैं। उन्होंने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि प्रत्येक पर्व का उद्देश्य मानवता को जोड़ना और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। संतोष निषाद महाराज ने कहा कि जब हम दीपावली में दीप जलाते हैं या छठ पूजा में गंगा किनारे अर्घ्य अर्पित करते हैं, तो हमें न केवल ईश्वर की कृपा की कामना करनी चाहिए, बल्कि समाज में समरसता, सौहार्द और नैतिक मूल्य भी फैलाने चाहिए। संतोष निषाद महाराज ने कहा कि निषाद वंश पंचायती मंदिर नंदीग्राम भरतकुंड अयोध्या धाम न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह समाजिक और सांस्कृतिक चेतना का केन्द्र भी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने जीवन में सदाचार, भाईचारा और सामाजिक जिम्मेदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। उन्होंने यह भी कहा कि त्योहार केवल अपने परिवार और समाज के लिए खुशियाँ लाने का अवसर नहीं है, बल्कि युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य सिखाने का भी माध्यम है। महामंडलेश्वर संतोष निषाद ने विशेष रूप से निषाद, मल्लाह और मछुआरा समुदाय के युवाओं को अपने सामाजिक और धार्मिक उत्तरदायित्व को समझने की प्रेरणा दी।
संतोष निषाद महाराज ने अपने संदेश में कहा कि छठ पूजा में अर्घ्य अर्पित करना केवल पारंपरिक क्रिया नहीं है। यह धैर्य, अनुशासन और कृतज्ञता का प्रतीक है। दीपावली का दीप समाज में सकारात्मक ऊर्जा, प्रेम और समानता का संदेश फैलाता है। भईया दूज भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत करने और पारिवारिक मूल्य स्थापित करने का अवसर है। कार्तिक पूर्णिमा की नाव चलाने का पर्व मछुआरा और निषाद समाज के जीवन के संघर्ष और श्रम का सम्मान करता है। महामंडलेश्वर संतोष निषाद ने कहा कि इन पर्वों के माध्यम से हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन और जागरूकता ला सकते हैं। उनका मानना है कि धार्मिक आस्था और सामाजिक चेतना एक-दूसरे से जुड़ी हैं, और इन्हें संतुलित रखना हर समाज के लिए आवश्यक है।
संतोष निषाद महाराज ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि नंदीग्राम भरतकुंड अयोध्या धाम में आगामी वर्षों में सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि युवा पीढ़ी को अपने धर्म, संस्कृति और सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति सजग किया जा सके। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम समाज में भाईचारा, समानता और सहयोग की भावना को मजबूत करेंगे। महामंडलेश्वर संतोष निषाद ने आशा व्यक्त की कि समाज के लोग अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाकर अपने समुदाय को न केवल धार्मिक रूप से समृद्ध बनाएंगे, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी मजबूत बनाएंगे।
हमारे समाज में पर्व केवल धार्मिक या पारंपरिक अनुष्ठान नहीं होते, बल्कि यह सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं। हर त्योहार जैसे धनतेरस, दीपावली, भईया दूज, छठ पूजा और कार्तिक पूर्णिमा समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ते हैं। महंत संतोष निषाद के अनुसार, जब लोग दीप जलाते हैं या अर्घ्य अर्पित करते हैं, तो वे केवल पूजा नहीं करते, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारा और सहयोग की भावना को भी मजबूत करते हैं। पर्व का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह समान विचारधारा और सामूहिक प्रयास के माध्यम से समाज में समरसता का संदेश फैलाता है। चाहे यह दीपावली का प्रकाश हो या छठ पूजा का अर्घ्य, हर क्रिया समाज को यह याद दिलाती है कि समान उद्देश्य और सहयोग से ही सामूहिक प्रगति संभव है। यह भाव समाज में जाति, वर्ग या पेशे के भेद को मिटाकर लोगों को एक साझा पहचान और जिम्मेदारी का एहसास कराता है।
युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से जोड़ना आवश्यक | सामाजिक स्थिरता और सांस्कृतिक उत्तराधिकार के लिए यह बेहद आवश्यक है कि युवा पीढ़ी अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ी रहे। महंत संतोष निषाद का मानना है कि केवल ज्ञान या शिक्षा पर्याप्त नहीं है; इसके साथ-साथ संस्कृति, परंपरा और सामाजिक उत्तरदायित्व की समझ भी जरूरी है।पर्वों के माध्यम से युवा न केवल धार्मिक रीति-रिवाज सीखते हैं, बल्कि उनके अंदर समानता, सहयोग और सामाजिक चेतना का विकास होता है। यह पीढ़ी जब अपने पूर्वजों के द्वारा निभाए गए सामाजिक और धार्मिक कर्तव्यों को समझती है, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन और जागरूकता उत्पन्न होती है।
इस दृष्टि से, नंदीग्राम भरतकुंड अयोध्या धाम जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र युवा पीढ़ी को लोककला, सामाजिक सेवा और आध्यात्मिक चेतना से जोड़ने का काम कर रहे हैं। इस प्रयास से युवा अपने समाज और समुदाय के प्रति गर्व और जिम्मेदारी का अनुभव करते हैं। निषाद, मल्लाह और मछुआरा समुदाय के सामाजिक उत्थान पर विशेष ध्यान महामंडलेश्वर संतोष निषाद ने बार-बार यह उल्लेख किया है कि पर्व केवल व्यक्तिगत श्रद्धा का माध्यम नहीं हैं, बल्कि समुदाय के सामाजिक उत्थान और सहयोग का अवसर भी हैं। विशेष रूप से निषाद, मल्लाह और मछुआरा समुदाय के लिए ये पर्व उनके परंपरागत पेशे, संस्कृति और जीवन शैली को संरक्षित करने का साधन हैं। संतोष निषाद का मानना है कि जब समाज के कमजोर और मेहनतकश वर्ग अपने सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक अधिकारों को समझते हैं, तो वह आत्मनिर्भर और संगठित बनते हैं। सामाजिक और धार्मिक अवसरों पर जागरूकता फैलाना, कौशल और परंपरा के महत्व को उजागर करना, यह सभी कदम समुदाय के उत्थान और गर्व को बढ़ावा देते हैं।
नंदीग्राम भरतकुंड अयोध्या धाम में आगामी सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम नंदीग्राम भरतकुंड अयोध्या धाम को महंत संतोष निषाद ने केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का केन्द्र बनाने की पहल की है। इस धाम में आगामी महीनों में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने वाले हैं। युवा पीढ़ी को लोकगीत, परंपरा और लोककला से जोड़ना। समाज में समानता, सहयोग और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना।निषाद, मल्लाह और मछुआरा समुदाय के सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान के लिए विशेष पहल। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और पर्वों के माध्यम से समाज में भाईचारा और समरसता का संदेश फैलाना। महंत संतोष निषाद के अनुसार, ये कार्यक्रम केवल उत्सव का माध्यम नहीं हैं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने और जागरूक करने का अवसर हैं। इस पहल से युवा पीढ़ी न केवल अपने समुदाय और संस्कृति से जुड़ेगी, बल्कि उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यों की भी समझ प्राप्त होगी।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)