केंद्र सरकार के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को मूर्त रूप देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए खान मंत्रालय और कोयला मंत्रालय, असम सरकार के सहयोग से, गुवाहाटी में पूर्वोत्तर क्षेत्र के भूविज्ञान और खनन मंत्रियों के दूसरे सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। इस दो दिवसीय सम्मेलन में पूर्वोत्तर भारत के सभी आठ राज्यों की भागीदारी है और इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय खनिज और कोयला संसाधनों की खोज, दोहन तथा स्थायी विकास के नए मार्गों को स्थापित करना है।
सम्मेलन का औचित्य और पृष्ठभूमि
भारत की समृद्ध खनिज संपदा में पूर्वोत्तर क्षेत्र का विशेष स्थान है। यह क्षेत्र न केवल भूगर्भीय विविधता से समृद्ध है, बल्कि यहाँ की अस्फाल्ट, चूना पत्थर, बॉक्साइट, डोलोमाइट, कोयला, तांबा और यूरेनियम जैसी संपदाएं राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक विकास की रीढ़ बन सकती हैं। इसके बावजूद यह क्षेत्र लंबे समय तक अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप दोहन और निवेश से वंचित रहा है।
2023 में नागालैंड में आयोजित पहले सम्मेलन की सफलता ने इस दिशा में नई ऊर्जा भरी। उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए 2025 में गुवाहाटी में हो रहा यह सम्मेलन पूर्वोत्तर को भारत की खनिज अर्थव्यवस्था में एक केंद्रीय भूमिका दिलाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है।
सम्मेलन में प्रमुख भागीदारी और अतिथि
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि असम के मुख्यमंत्री हैं, जबकि खान मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री, संबंधित मंत्रालयों के सचिव, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC), राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET), कोल इंडिया लिमिटेड और NLC इंडिया लिमिटेड के प्रमुख अधिकारी इसमें भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त, सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों – असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा – के खनन और भूविज्ञान मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित हैं।
सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्य
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वैज्ञानिक एवं दीर्घकालीन खनन को प्रोत्साहन देना।
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पूर्वोत्तर की खनिज क्षमता को पहचानना एवं निवेश को आकर्षित करना।
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खनिज नीलामी प्रक्रिया में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
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भूविज्ञान, खनिज अन्वेषण और ऊर्जा सुरक्षा में केंद्र-राज्य समन्वय को मजबूत करना।
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सतत खनन, जैवविविधता संरक्षण और सामाजिक प्रभाव को संतुलित करने की रणनीतियाँ विकसित करना।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की भूमिका
इस सम्मेलन में GSI द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र के भूवैज्ञानिक संसाधनों पर आधारित विस्तृत रिपोर्टों और प्रकाशनों का अनावरण किया गया। इन प्रकाशनों में क्षेत्र की खनिज संभावनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण, अब तक के अन्वेषण के निष्कर्ष, और नए संभावित ब्लॉकों का मानचित्रण सम्मिलित है। प्रमुख प्रकाशन हैं:
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“पूर्वोत्तर भारत के भूवैज्ञानिक स्वरूप और खनिज संकेतक”
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“उच्च मूल्य खनिजों की संभावनाएँ: अरुणाचल से त्रिपुरा तक”
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“GSI के अन्वेषण कार्यों की अद्यतन प्रगति रिपोर्ट (2024-25)”
इन प्रकाशनों का मुख्य उद्देश्य न केवल खनिज संसाधनों की जानकारी देना है, बल्कि निजी क्षेत्र को इन क्षेत्रों में निवेश हेतु आकर्षित करना भी है।
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) की प्रगति
NMET की ओर से दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि पूर्वोत्तर में चल रही 27 से अधिक अन्वेषण परियोजनाएँ NMET द्वारा वित्त पोषित की जा रही हैं। इसमें गारो हिल्स (मेघालय), तवांग (अरुणाचल प्रदेश), लुंगलेई (मिजोरम) और मणिपुर की खनिज पट्टियों में बॉक्साइट, कोबाल्ट, लिथियम और ग्रेफाइट जैसे खनिजों की खोज की जा रही है।
NMET ने 2024-25 में ₹314 करोड़ की राशि पूर्वोत्तर में अन्वेषण परियोजनाओं के लिए स्वीकृत की है। इसका उपयोग ड्रिलिंग, सैंपल एनालिसिस, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन आधारित मैपिंग और सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन जैसे कार्यों में किया जा रहा है।
खनिज नीलामी की उपलब्धियाँ और नई संभावनाएँ
भारत की खनिज नीलामी प्रक्रिया ने हाल ही में नई ऊंचाइयों को छुआ है। FY 2024-25 में 283 खनिज ब्लॉकों को नीलामी हेतु अधिसूचित किया गया, जिनमें से 161 ब्लॉकों की सफल नीलामी हो चुकी है। इससे कुल नीलाम किए गए खनिज ब्लॉकों की संख्या 515 हो गई है। इन नीलामियों में पूर्वोत्तर की भागीदारी विशेष रही है:
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असम में 5 खनिज ब्लॉक नीलाम किए गए हैं – जिनमें से दो में बॉक्साइट और तीन में चूना पत्थर की उच्च मात्रा पाई गई है।
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अरुणाचल प्रदेश के 4 ब्लॉक – जिनमें ग्रेफाइट और लिथियम की उच्च उपस्थिति दर्ज की गई है।
इन ब्लॉकों के सफल दोहन से क्षेत्र में औद्योगिक निवेश, सड़क और रेल संपर्क, स्थानीय रोजगार, तथा राजस्व सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है।
कोयला मंत्रालय की नई पहलें
1. प्रकाशन जारी
कोयला मंत्रालय ने दो प्रमुख प्रकाशन जारी किए:
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“पूर्वोत्तर क्षेत्र में कोयला संसाधन और अन्वेषण पर रिपोर्ट”
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“पूर्वोत्तर राज्यों में वाणिज्यिक कोयला खनन” पर विवरणिका
इन दस्तावेजों में बताया गया कि पूर्वोत्तर भारत में 5 कोयला ब्लॉकों की सफल वाणिज्यिक नीलामी हो चुकी है। इनकी कुल अनुमानित उत्पादन क्षमता 1.234 मिलियन टन प्रति वर्ष है।
2. ड्रिलिंग योजना और अनुसंधान निवेश
वर्तमान में कोयला मंत्रालय की योजना 3.9 लाख मीटर से अधिक ड्रिलिंग कार्यों की है। इसके लिए अनुसंधान एवं विकास निधि का 100% उपयोग सुनिश्चित किया गया है, जिससे कोयले की गुणवत्ता, गहराई और प्रौद्योगिकीय सुधार पर बल दिया जा सके।
3. स्थायी और स्मार्ट कोयला खनन
मंत्रालय पूर्वोत्तर में ‘स्मार्ट कोल माइनिंग’ का मॉडल विकसित कर रहा है। इसमें सेंसर आधारित निगरानी, वायु गुणवत्ता प्रबंधन, जल संरक्षण, पुनर्वनीकरण और खदान पुनर्वास को विशेष प्राथमिकता दी गई है।
हरित ऊर्जा की दिशा में असम का नेतृत्व
इस सम्मेलन में NLC इंडिया लिमिटेड ने घोषणा की कि वह असम में 1,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना करेगी। इस परियोजना से:
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राज्य को हरित ऊर्जा में आत्मनिर्भरता मिलेगी
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2030 तक 500 गीगावॉट गैर जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य को समर्थन मिलेगा
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लगभग ₹4,500 करोड़ का प्रत्यक्ष निवेश आएगा
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स्थानीय युवाओं को रोजगार, प्रशिक्षण और स्टार्टअप सहयोग मिलेगा
सम्मेलन के विशेष सत्र
सम्मेलन के दौरान कई विशिष्ट विषयों पर तकनीकी सत्र और संवाद आयोजित किए गए, जिनमें शामिल थे:
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“पूर्वोत्तर में खनिज आधारित उद्योगों की संभावनाएं”
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“खनन में नवाचार और डिजिटल परिवर्तन”
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“खनिज क्षेत्र में पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्व”
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“निजी निवेश और PPP मॉडल की भूमिका”
इन सत्रों में IIT-गुवाहाटी, ISM-धनबाद, TERI, ASSOCHAM, CII, फिक्की, और विश्व बैंक के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर
सम्मेलन में केंद्रीय एजेंसियों और राज्य सरकारों के बीच कुल 11 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए, जो निम्न क्षेत्रों में सहयोग को सशक्त करेंगे:
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GSI और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच भू-मानचित्रण के लिए
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NMET और नागालैंड सरकार के बीच खनिज अन्वेषण परियोजनाओं के लिए
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कोल इंडिया और मणिपुर सरकार के बीच स्वच्छ कोयला तकनीकों को बढ़ावा देने हेतु
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NLC और असम सरकार के बीच सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं के लिए
पूर्वोत्तर भारत का भविष्य: खनिजों से उर्जा और समृद्धि की ओर
पूर्वोत्तर भारत लंबे समय से प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होते हुए भी औद्योगिक दृष्टि से उपेक्षित रहा है। लेकिन अब जब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर संतुलित, पारदर्शी और पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ खनन को बढ़ावा दे रही हैं, यह क्षेत्र भारत के खनिज और ऊर्जा मानचित्र पर प्रमुखता से उभर रहा है।
समापन और अपेक्षित परिणाम
इस सम्मेलन के समापन सत्र में सभी राज्यों द्वारा संयुक्त वक्तव्य पारित किया गया, जिसमें पूर्वोत्तर को खनिज अन्वेषण और ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी क्षेत्र बनाने का संकल्प दोहराया गया।
संभावित परिणाम:
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₹12,000 करोड़ से अधिक के नए निवेश प्रस्ताव
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30,000 से अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार
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राज्य सरकारों की आय में वृद्धि
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खनिज और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
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जलवायु-अनुकूल खनन की दिशा में ठोस कदम
निष्कर्ष
गुवाहाटी में आयोजित पूर्वोत्तर भूविज्ञान और खनन मंत्रियों का द्वितीय सम्मेलन न केवल क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक निर्णायक मोड़ है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अपने खनिज संसाधनों के सतत एवं वैज्ञानिक दोहन हेतु गंभीर, संगठित और उत्तरदायी है। यह सम्मेलन निवेश, नवाचार, पारदर्शिता और साझेदारी की एक नई इबारत लिख रहा है – एक ऐसा भविष्य, जहाँ पूर्वोत्तर भारत ‘खनिज शक्ति’ बनकर देश के आर्थिक मानचित्र में एक उज्ज्वल केंद्र बनेगा।