अंतर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर स्वामी श्री संतोष निषाद महाराज की पावन उपस्थिति में अमित निषाद और प्रीती निषाद के शुभ विवाह ने रचा सामाजिक-धार्मिक समरसता का उदाहरण
संवादाताः कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | अयोध्या धाम के नंदीग्राम स्थित श्री निषाद वंश पंचायती मंदिर भारत कुंड में रविवार को एक ऐतिहासिक और अनुकरणीय विवाह संपन्न हुआ। वर अमित निषाद पुत्र श्री राधेश्याम निषाद, ग्राम जलालपुर माफी, बीकापुर, अयोध्या और वधू प्रीती निषाद पुत्री श्री राजेन्द्र निषाद, ग्राम रूकुनपुर, बीकापुर, अयोध्या का यह पावन विवाह समारोह मंदिर परिसर में आयोजित हुआ। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक वातावरण को प्रफुल्लित किया बल्कि समाज को सादगीपूर्ण विवाह की ओर प्रेरित करने वाला संदेश भी दिया। इस विवाह समारोह को सम्पन्न कराने का गौरव अंतर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर श्री संतोष निषाद महाराज जी, नंदीग्राम भरतकुंड, अयोध्या धाम के कर-कमलों से प्राप्त हुआ। उनके शिष्य श्री सियाराम निषाद महाराज जी नंदीग्राम तथा श्री लल्लन निषाद महाराज जी, बीरगंज नेपाल भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। समारोह में विशेष रूप से ग्राम प्रधान श्री मुकेश निषाद, ग्राम जलालपुर माफी, अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर विवाह को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया।
महाराजगणों की दिव्य उपस्थिति और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यह विवाह सम्पन्न हुआ। मंदिर परिसर गगनभेदी जयकारों, मंगल गीतों और भक्तिमय वातावरण से गूंज उठा। पारंपरिक विधि-विधान से सम्पन्न हुए इस विवाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि समाज चाहे तो मंदिरों में भी बिना किसी भव्य खर्च के, सादगी और श्रद्धा के साथ जीवन के सबसे महत्वपूर्ण संस्कार सम्पन्न किए जा सकते हैं। समारोह के दौरान उपस्थित संत-महात्माओं एवं समाजसेवियों ने इस आयोजन को समाज के लिए अनुकरणीय बताया। उनका कहना था कि विवाह मंदिर में करने से एक ओर जहां अनावश्यक खर्चों से बचत होती है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक स्थलों का महत्व भी और अधिक बढ़ता है। इस प्रकार के आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे। समाज में फैल रही दिखावे की प्रवृत्ति और आर्थिक बोझ से बचने का यह सर्वोत्तम उपाय है।
मंदिर परिसर में विवाह आयोजन के लाभों पर चर्चा करते हुए श्री संतोष निषाद महाराज जी ने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित मंदिर न केवल पूजन-स्थल हैं, बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के केंद्र भी हैं। इन मंदिरों में आयोजित होने वाले विवाह, संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी होते हैं, बल्कि समाज में संगठन और एकता का संदेश भी प्रसारित करते हैं। श्री सियाराम निषाद महाराज जी और श्री लल्लन निषाद महाराज जी ने अपने संबोधन में कहा कि व्यर्थ के खर्चे और आडंबर ने विवाह जैसी पवित्र परंपरा को बोझिल बना दिया है। ऐसे समय में मंदिरों में विवाह संपन्न कराने का निर्णय एक महान पहल है, जिसे समाज को आगे बढ़ाकर और सशक्त बनाना चाहिए।
ग्राम प्रधान श्री मुकेश निषाद ने कहा कि यह आयोजन केवल विवाह नहीं था, बल्कि यह समाज को एक नई दिशा देने का कार्य भी था। उन्होंने ग्रामीण जनता से अपील की कि वे अपनी बेटियों और बेटों के विवाह मंदिरों और सामुदायिक स्थलों पर सम्पन्न करें ताकि सामाजिक समानता और धार्मिक आस्था का संगम बना रहे। समारोह के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामवासी, भक्तगण और समाजसेवी उपस्थित रहे। बिना किसी भव्यता और अनावश्यक खर्च के भी यह विवाह अद्वितीय और अविस्मरणीय बन गया। उपस्थित जनसमूह ने इस पहल की भरपूर सराहना की और भविष्य में भी इसी प्रकार के आयोजनों का समर्थन करने का संकल्प लिया। यह विवाह समारोह समाज के लिए इसलिए भी विशेष रहा क्योंकि इसने दिखावे की प्रवृत्ति के बजाय आध्यात्मिकता और धार्मिक भावनाओं को केंद्र में रखा। मंदिरों में विवाह होने से न केवल धार्मिक वातावरण सशक्त होता है, बल्कि यह हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को सादगी, संस्कार और परंपरा की शिक्षा भी देता है।
नावश्यक खर्चों से बचत
मंदिर में विवाह करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे परिवारों पर पड़ने वाले अनावश्यक आर्थिक बोझ से राहत मिलती है। आजकल के समय में शादी के अवसर पर भव्य सजावट, महंगे खान-पान, गहनों और अन्य लग्ज़री खर्चों ने कई परिवारों को आर्थिक रूप से दबाव में डाल दिया है। वहीं, मंदिर जैसे धार्मिक स्थल में विवाह सम्पन्न कराना न केवल सादगीपूर्ण होता है, बल्कि परिवारों को यह अवसर भी मिलता है कि वे अपनी वित्तीय संसाधनों का सही और सार्थक उपयोग कर सकें। इस तरह के आयोजन से समाज में यह संदेश भी जाता है कि विवाह एक पवित्र संस्कार है, जो दिखावे और खर्च की दौड़ का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
धार्मिक और सांस्कृतिक वातावरण का विकास
मंदिर में विवाह होने से एक पवित्र और धार्मिक वातावरण बनता है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के आयोजनों में उपस्थित लोग केवल विवाह के साक्षी नहीं रहते, बल्कि वे धार्मिक अनुष्ठानों, मंत्रोच्चारण और परंपराओं के अनुभव से भी लाभान्वित होते हैं। इससे न केवल युवाओं में धार्मिक भावनाओं का विकास होता है, बल्कि समाज के सभी वर्गों में सांस्कृतिक जुड़ाव और एकता भी बढ़ती है। मंदिरों में विवाह करने का यह पहल सामाजिक और धार्मिक शिक्षा का एक जीवंत उदाहरण बन जाती है।
संतों के आशीर्वाद से सम्पन्न हुआ शुभ विवाह
विवाह समारोह में संतों की उपस्थिति और उनके आशीर्वाद का महत्व अद्वितीय होता है। संत केवल विधि-विधान सम्पन्न करने वाले नहीं होते, बल्कि उनके मार्गदर्शन और उपदेश से विवाह को पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। नंदीग्राम में आयोजित इस विवाह में अंतर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर श्री संतोष निषाद महाराज जी, उनके शिष्य श्री सियाराम निषाद और श्री लल्लन निषाद महाराज जी के आशीर्वाद से वर-वधू तथा परिवारों को जीवन में खुशहाली और सुख-शांति की प्राप्ति हुई। यह अनुभव सभी उपस्थित लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा।
ग्राम प्रधान की उपस्थिति
विवाह समारोह में ग्राम प्रधान श्री मुकेश निषाद के साथ-साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण और समाजसेवी उपस्थित थे। उनकी उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक गौरवपूर्ण और सामुदायिक बनाया। ग्रामवासियों की भागीदारी ने यह दर्शाया कि यदि समाज एकजुट होकर मंदिरों और धार्मिक स्थलों में विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार संपन्न कराए, तो यह केवल व्यक्तिगत खुशी का अवसर नहीं बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक प्रेरणा और आदर्श बन सकता है। इस पहल ने ग्रामीण समाज में सामूहिक सहयोग, धार्मिक आस्था और सामाजिक सौहार्द की भावना को भी मजबूती प्रदान की।
1. यह विवाह समारोह कहाँ और कब संपन्न हुआ?
यह विवाह अयोध्या धाम के नंदीग्राम स्थित श्री निषाद वंश पंचायती मंदिर भारत कुंड में रविवार को संपन्न हुआ।
2. विवाह के वर-वधू कौन थे?
वर – अमित निषाद, पुत्र श्री राधेश्याम निषाद, ग्राम जलालपुर माफी, बीकापुर, अयोध्या।
वधू – प्रीती निषाद, पुत्री श्री राजेन्द्र निषाद, ग्राम रूकुनपुर, बीकापुर, अयोध्या।
3. विवाह का आयोजन किसके द्वारा सम्पन्न कराया गया?
इस पावन विवाह का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर श्री संतोष निषाद महाराज जी, नंदीग्राम भरतकुंड, अयोध्या धाम द्वारा सम्पन्न कराया गया। उनके शिष्य श्री सियाराम निषाद महाराज जी और श्री लल्लन निषाद महाराज जी (बीरगंज, नेपाल) भी उपस्थित थे।
4. विवाह समारोह में कौन-कौन उपस्थित थे?
ग्राम प्रधान श्री मुकेश निषाद सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी, भक्तगण और समाजसेवी उपस्थित थे। संत-महात्माओं की दिव्य उपस्थिति ने समारोह को और अधिक पावन और गौरवपूर्ण बनाया।
5. मंदिर में विवाह करने का समाजिक और आर्थिक महत्व क्या है?
अनावश्यक खर्चों से बचत: मंदिर में विवाह करने से परिवारों पर भव्य सजावट और अन्य खर्चों का बोझ नहीं पड़ता।
धार्मिक और सांस्कृतिक वातावरण: यह आयोजन सामाजिक और धार्मिक शिक्षा का जीवंत उदाहरण बनता है।
संतों के आशीर्वाद: विवाह को आध्यात्मिक ऊर्जा और पवित्रता मिलती है।
सामुदायिक सहभागिता: ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की उपस्थिति से यह आयोजन समाज में एकता और सहयोग का संदेश देता है।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)