बीजिंग में नेपाल-चीन बैठक
संवादाताः कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | बीजिंग में मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। इस उच्चस्तरीय वार्ता में ऊर्जा सहयोग, रेलवे कनेक्टिविटी, व्यापारिक गलियारे, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। दोनों नेताओं ने यह सहमति जताई कि नेपाल-चीन संबंधों को 21वीं सदी की नई आवश्यकताओं के अनुरूप और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए साझा दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। बैठक का सबसे प्रमुख एजेंडा ऊर्जा सहयोग रहा। नेपाल और चीन ने इस बात पर सहमति जताई कि हिमालयी क्षेत्र की जलविद्युत क्षमता का अधिकतम उपयोग करते हुए दोनों देशों को आपसी ऊर्जा सुरक्षा में मदद करनी चाहिए। चीन ने नेपाल में बड़े पैमाने पर निवेश की इच्छा जताई, विशेष रूप से जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में। प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि नेपाल की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और अधिशेष बिजली को चीन के बाज़ार तक पहुँचाने के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाई जाएगी। इस दौरान तकनीकी सहयोग, ऊर्जा संचरण लाइनों के विकास और सीमा-पार ऊर्जा व्यापार के ढांचे पर भी चर्चा हुई।
रेलवे कनेक्टिविटी भी इस वार्ता का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। नेपाल-चीन रेलवे परियोजना को तेज़ी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। यह परियोजना नेपाल के लिए एक जीवनरेखा मानी जा रही है, क्योंकि इससे समुद्र से घिरे बिना ही चीन के व्यापक बाज़ार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक गलियारों तक पहुँच आसान हो जाएगी। उपराष्ट्रपति हान झेंग ने कहा कि रेलवे नेटवर्क केवल नेपाल-चीन संबंधों को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच व्यापारिक संपर्क को नई दिशा देगा। प्रधानमंत्री ओली ने इस परियोजना को नेपाल की “राष्ट्रीय प्राथमिकता” बताया और निर्माण कार्य में तेजी लाने का आश्वासन दिया। बैठक में शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन पर भी सहमति बनी। चीन ने नेपाली छात्रों के लिए छात्रवृत्तियों की संख्या बढ़ाने की घोषणा की। इसके साथ ही दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के बीच सहयोग को और सुदृढ़ करने पर बल दिया गया। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए नए कार्यक्रम शुरू करने और पर्यटन क्षेत्र को आपसी निवेश के माध्यम से बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को चीनी पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। वहीं, दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए आपसी सहयोग को प्राथमिकता देने का भी संकल्प लिया।
नेपाल को “पानी का सोना” कहा जाता है क्योंकि उसके पास प्रचुर जल संसाधन हैं। अनुमान है कि नेपाल में 80,000 मेगावाट से अधिक की जलविद्युत उत्पादन क्षमता है, जबकि अभी उसका उपयोग महज 2% ही हो रहा है। बैठक में चीन ने नेपाल के जलविद्युत क्षेत्र में बड़े निवेश का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि नेपाल को अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लाभ उठाकर न केवल घरेलू मांग पूरी करनी है, बल्कि पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात करके अर्थव्यवस्था को गति भी देनी है। चीन ने नेपाल को आवश्यक तकनीक, पूँजी और विशेषज्ञता उपलब्ध कराने का वादा किया। इसके अलावा, सीमा-पार ऊर्जा संचरण लाइनों की स्थापना पर भी सहमति बनी। इससे नेपाल की अधिशेष बिजली चीन के दक्षिण-पश्चिमी प्रांतों तक पहुँच सकेगी। यह नेपाल के लिए आय का बड़ा स्रोत बनेगा और चीन की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। नेपाल की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है—भौगोलिक स्थिति। समुद्र से घिरे बिना नेपाल पूरी तरह स्थल-रुद्ध (Landlocked) देश है। इस वजह से उसका व्यापार अब तक भारत पर अत्यधिक निर्भर रहा है।
बैठक में चीन-नेपाल रेलवे परियोजना को राष्ट्रीय प्राथमिकता घोषित किया गया। यह रेल मार्ग तिब्बत से होते हुए नेपाल की राजधानी काठमांडू तक पहुँचेगा। परियोजना पूर्ण होने पर नेपाल को पहली बार सीधे चीन के बाज़ार तक रेलवे कनेक्टिविटी मिलेगी। उपराष्ट्रपति हान झेंग ने कहा कि यह रेलवे न केवल नेपाल और चीन के बीच व्यापार बढ़ाएगा, बल्कि सम्पूर्ण दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण कॉरिडोर बनेगा। इस परियोजना से नेपाल को परिवहन लागत में भारी कमी मिलेगी और उसका वैश्विक व्यापार नेटवर्क से जुड़ाव तेज़ होगा।
बैठक में व्यापारिक गलियारों (Trade Corridors) पर विशेष बल दिया गया। नेपाल और चीन ने यह स्वीकार किया कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी ही आर्थिक समृद्धि की कुंजी है। दोनों देशों ने कस्टम्स प्रक्रियाओं को आसान बनाने, सीमा पार व्यापारिक अवसंरचना को मजबूत करने और डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। नेपाल अब तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपेक्षाकृत पीछे रहा है, लेकिन चीन की “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)” के साथ जुड़कर वह न सिर्फ़ क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेगा। बैठक में यह भी तय हुआ नेपाल को चीनी समुद्री बंदरगाहों तक पहुँच उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि उसकी निर्यात क्षमता बढ़ सके।
बैठक का एक महत्वपूर्ण पहलू शिक्षा और संस्कृति था। चीन ने नेपाली छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाने का ऐलान किया। अब हर साल हजारों नेपाली छात्र चीन की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा दोनों देशों के बीच “सिस्टर सिटी” कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य है—संस्कृति, परंपरा और पर्यटन को एक-दूसरे से जोड़ना। सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कला उत्सवों और छात्र-शिक्षक आदान-प्रदान से दोनों समाजों के बीच आपसी समझ और गहराई आएगी।
प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि शिक्षा और संस्कृति ऐसे क्षेत्र हैं जो “हृदय से हृदय” जोड़ते हैं। यही रिश्तों की असली मजबूती है। नेपाल और चीन दोनों ही पर्यटन को आर्थिक वृद्धि का बड़ा साधन मानते हैं। नेपाल में हर साल लाखों विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनमें चीनी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बैठक में दोनों देशों ने पर्यटन अवसंरचना पर संयुक्त निवेश का निर्णय लिया।नेपाल के धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों जैसे लुम्बिनी, पोखरा और हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं को चीनी पर्यटकों के लिए विशेष रूप से प्रचारित किया जाएगा। इसके अलावा, वीज़ा नीतियों को सरल बनाने और सीधी उड़ानों की संख्या बढ़ाने पर भी सहमति बनी। इससे न केवल पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
1. यह बैठक कहाँ और कब हुई?
यह बैठक बीजिंग, चीन में मंगलवार को हुई, जिसमें नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग शामिल हुए।
2. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य क्या था?
बैठक का मुख्य उद्देश्य नेपाल-चीन द्विपक्षीय संबंधों को 21वीं सदी की नई आवश्यकताओं के अनुरूप मजबूत करना और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए साझा दृष्टिकोण प्रस्तुत करना था।
3. बैठक के दौरान किन-किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
चर्चा के मुख्य विषय थे:
ऊर्जा सहयोग और जलविद्युत निवेश
नेपाल-चीन रेलवे परियोजना
व्यापारिक गलियारे और सीमा-पार कनेक्टिविटी
शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
पर्यटन क्षेत्र में निवेश और विकास
4. ऊर्जा सहयोग के संदर्भ में क्या निर्णय लिए गए?
नेपाल और चीन ने जलविद्युत क्षमता के अधिकतम उपयोग पर सहमति जताई। चीन ने नेपाल में जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में बड़े निवेश का आश्वासन दिया। इसके साथ ही सीमा-पार ऊर्जा संचरण लाइनों की स्थापना पर भी समझौता हुआ, ताकि नेपाल अपनी अधिशेष बिजली चीन को निर्यात कर सके।
5. रेलवे कनेक्टिविटी क्यों महत्वपूर्ण है?
नेपाल स्थल-रुद्ध (Landlocked) देश है और अब तक भारत पर व्यापार के लिए अत्यधिक निर्भर रहा है। नेपाल-चीन रेलवे परियोजना पूरी होने पर नेपाल सीधे चीन के विशाल बाज़ार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक गलियारों से जुड़ सकेगा। इससे परिवहन लागत घटेगी और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)