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नेपाल निषाद परिषद लुम्बिनी प्रदेश का प्रथम अधिवेशन ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न

नेपाल निषाद परिषद लुम्बिनी प्रदेश का प्रथम अधिवेशन

नेपाल निषाद परिषद लुम्बिनी प्रदेश का प्रथम अधिवेशन

नेपाल लुंबिनी कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | नेपाल निषाद परिषद, लुम्बिनी प्रदेश का प्रथम अधिवेशन २२ साउन २०८२ गते (गुरुवार) (07 अगस्त 2025) को सियारी गाउँपालिका बहुउद्देशीय सभा भवन में गरिमामय रूप से सम्पन्न हुआ। यह अधिवेशन केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का भी प्रतीक बन गया, जिसमें नेपाल और भारत के निषाद समुदाय के अनेक प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्रोच्चार और निषाद आरती के साथ हुआ। मंच पर केंद्रीय अध्यक्ष श्री जितेन्द्र साहनी निषाद, वरिष्ठ पदाधिकारी श्री मोहन सहनी निषाद, नेपाल लुम्बिनी प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हुए जिला संयोजकगण एवं सैकड़ों की संख्या में समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस अधिवेशन का मूल उद्देश्य लुम्बिनी प्रदेश में निषाद समाज के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना, सांस्कृतिक अस्मिता को जाग्रत करना और नीति निर्माण में निषाद समाज की भागीदारी सुनिश्चित करना था।

केंद्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र साहनी निषाद ने अपने उद्बोधन में कहा कि निषाद समाज सदियों से अपने श्रम, संघर्ष और समर्पण के लिए जाना जाता है, परंतु राजनीतिक उपेक्षा और सामाजिक भेद भाव ने इसे पीछे कर दिया। अब समय आ गया है कि समाज एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए खड़ा हो। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत के निषाद समुदायों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, और यह अधिवेशन उन रिश्तों को और प्रगाढ़ करेगा। वरिष्ठ पदाधिकारी श्री मोहन सहनी निषाद ने संगठनात्मक विस्तार की योजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि लुम्बिनी प्रदेश के प्रत्येक जिले में नेपाल निषाद परिषद की इकाइयाँ गठित की जाएंगी। पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक निषाद प्रतिनिधित्व को सशक्त बनाने का रोड मैप तैयार किया जा चुका है। उन्होंने इस अधिवेशन को “सामाजिक क्रांति का आरंभ” बताया और युवाओं से आह्वान किया कि वे शिक्षा, सेवा और नेतृत्व के क्षेत्र में आगे आएं। अधिवेशन में ‘निषाद समाज: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समकालीन चुनौतियाँ’ विषय पर एक बृहत अन्तरक्रिया सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने निषाद समाज की सांस्कृतिक धरोहर, जल जीवन संरक्षण में उसकी भूमिका, तथा आज की सामाजिक-आर्थिक परिस्थिति पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने निषाद समुदाय की पारंपरिक नौकायन, मत्स्य पालन और जलस्रोत संरक्षण की संस्कृति को पहचान दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया।

अधिवेशन की तिथि:

नेपाल के राष्ट्रीय पंचांग अनुसार यह ऐतिहासिक अधिवेशन २०८२ साल के साउन मास की २२वीं तिथि को, अर्थात् अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ०७  अगस्त २०२५, दिन गुरुवार को आयोजित किया गया। यह दिन समाज के लिए एक नई शुरुआत और विचार-चिंतन की गहराइयों को छूने वाला बन गया। पूरे दिन चलने वाले इस आयोजन में संगठनात्मक रणनीतियाँ, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्वों पर व्यापक चर्चा हुई।

स्थान

यह अधिवेशन लुम्बिनी प्रदेश के सियारी गाउँपालिका स्थित बहुउद्देशीय सभा भवन में आयोजित हुआ, जो कि भौगोलिक दृष्टि से एक संगठित समाज के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थल रहा। यह स्थान प्राकृतिक वातावरण, बेहतर पहुँच और निषाद समाज के ऐतिहासिक जुड़ाव को ध्यान में रखते हुए चयनित किया गया था। सभा स्थल को निषाद सांस्कृतिक प्रतीकों से सजाया गया था, जहाँ पूरे प्रदेश से आए प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।

आयोजक संस्था

नेपाल निषाद परिषद –इस अधिवेशन का आयोजन  श्री समयामाई निषाद संघलुम्बिनी प्रदेश इकाई  द्वारा किया गया। परिषद का यह प्रथम प्रांतीय अधिवेशन था, जिसमें संगठनात्मक मजबूती के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों के पुनरुद्धार पर विशेष बल दिया गया। परिषद के कार्यकर्ताओं ने कई दिनों तक अथक प्रयास कर अधिवेशन की सफलता सुनिश्चित की।

मुख्य उद्देश्य

संगठनात्मक विस्तार: परिषद को पंचायत, नगरपालिका, जिला और प्रांतीय स्तर पर मजबूत बनाना। सामाजिक चेतना: निषाद समाज में अधिकारों के प्रति जागरूकता और भागीदारी की भावना विकसित करना। सांस्कृतिक जागरूकता: निषाद समुदाय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करना।
इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अधिवेशन में रणनीतियाँ प्रस्तुत की गईं |

मुख्य अतिथि

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में श्री जितेन्द्र साहनी निषाद, केंद्रीय अध्यक्ष – नेपाल निषाद परिषद, मंच पर उपस्थित रहे। उन्होंने अपने ओजस्वी संबोधन में संगठनात्मक मजबूती, सामाजिक न्याय और राजनीतिक भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने भारत और नेपाल के निषाद समुदायों के बीच सांस्कृतिक एकता पर भी विशेष बल दिया।

श्री मोहन सहनी निषाद, वरिष्ठ पदाधिकारी – नेपाल निषाद परिषद, उपस्थित रहे। उन्होंने संगठन के विस्तार और नीति निर्माण में समुदाय की भूमिका को विस्तार से समझाया। उन्होंने युवा नेतृत्व को प्रशिक्षित करने और महिलाओं को नेतृत्व में लाने की दिशा में योजनाओं की जानकारी दी।

उपस्थित जिलों की संख्या

इस प्रथम अधिवेशन में लुम्बिनी प्रदेश के 8 प्रमुख जिलों – जैसे कि रूपन्देही, कपिलवस्तु, नवलपरासी (बर्दघाट), पाल्पा, गुल्मी, अर्घाखाँची, रोल्पा और प्युठान – के जिला संयोजकों एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रत्येक जिले से आए प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं, संगठन की स्थिति और विकास योजनाओं को साझा किया।

प्रतिनिधियों की भागीदारी

अधिवेशन में 500 से अधिक निषाद समुदाय के प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी रही, जिनमें पुरुष, महिलाएं, युवा, छात्र, बुद्धिजीवी वर्ग, शिक्षक और समाजसेवी सम्मिलित थे। विशेषकर महिला सहभागिता में वृद्धि देखी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि निषाद समाज अब समावेशी नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।

कार्यक्रम में तीन मुख्य सत्र आयोजित किए गए:

ऐतिहासिक भूमिका – निषाद समाज की परंपराओं, गाथाओं और जल संस्कृति की चर्चा।

अधिकार जागरूकता – नागरिक अधिकार, संविधान में प्रतिनिधित्व और सरकारी योजनाओं तक पहुंच।

युवाओं की भागीदारी – शिक्षा, स्वरोजगार, डिजिटल मीडिया और संगठन निर्माण में युवा शक्ति की भूमिका। हर सत्र के अंत में खुली चर्चा हुई और प्रतिनिधियों ने जमीनी अनुभव साझा किए।

अगली योजना 

नेपाल निषाद परिषद लुम्बिनी प्रदेश के प्रथम प्रांतीय अधिवेशन के अंत में एक संगठित, समावेशी और दूरदर्शी भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। यह कार्ययोजना न केवल संगठन को मजबूत करने की दिशा में कदम है, बल्कि निषाद समाज की सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति का भी ठोस खाका है।

हर जिले में परिषद की इकाइयाँ गठित करना और पंचायत स्तर तक संगठन को विस्तारित करना

यह कार्ययोजना का मूल स्तंभ है, जिसके तहत लुम्बिनी प्रदेश के सभी आठ जिलों में नेपाल निषाद परिषद की औपचारिक जिला इकाइयाँ गठित की जाएँगी। प्रत्येक जिला इकाई में एक संयोजक, सह-संयोजक, युवा प्रभारी, महिला प्रभारी, और सांस्कृतिक प्रभारी होंगे, जो संगठनात्मक कार्यों की निगरानी करेंगे। इसके साथ ही पंचायत और वार्ड स्तर तक परिषद की उप-इकाइयों का निर्माण होगा, ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक संगठन की पहुंच हो सके। यह विकेन्द्रीकरण निषाद समाज को स्थानीय स्तर पर संगठित करेगा और समाज के मुद्दों को नजदीक से समझने व सुलझाने में सहायक बनेगा।

युवा नेतृत्व विकास कार्यक्रम

निषाद समाज के युवाओं को भविष्य का नेतृत्वकर्ता मानते हुए “युवा नेतृत्व विकास कार्यक्रम” की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत कई पहलें प्रस्तावित हैं:

महिला नेतृत्व मंच की स्थापना

महिलाओं की सामाजिक और संगठनात्मक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए “निषाद महिला नेतृत्व मंच” का गठन किया जाएगा। यह मंच महिला सदस्यों को सामाजिक मुद्दों पर संवाद, जागरूकता अभियान और नेतृत्व प्रदान करने के लिए सक्षम बनाएगा |

जल-जंगल-जीवन पर आधारित सामुदायिक परियोजनाएँ

निषाद समाज की सांस्कृतिक जड़ें जल, नदी, मत्स्य-पालन, नौकायन और वन संसाधनों से जुड़ी हैं। इन्हें पुनर्जीवित और संरक्षित करने के लिए ‘जल-जंगल-जीवन’ अभियान चलाया जाएगा। पारंपरिक जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण के लिए समुदाय आधारित परियोजनाएं चलेंगी। मछली पालन, नाव निर्माण और जलक्रीड़ा से जुड़े पारंपरिक कौशल को संरक्षित करने के लिए सांस्कृतिक कार्यशालाएँ और संग्रहालय प्रस्तावित किए जाएंगे। वन अधिकार जागरूकता अभियान के तहत ग्रामीण समुदायों को प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा यह पहल ना केवल सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा करेगी, बल्कि आजीविका के नए अवसर भी प्रदान करेगी।

सामाजिक न्याय और समावेशी नीति के लिए स्थानीय सरकारों से संवाद बढ़ाना

यह प्रस्ताव समाज को प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर भागीदारी दिलाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है। परिषद ने निर्णय लिया है कि:पंचायत, नगरपालिका और प्रांतीय सरकारों के साथ नियमित संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। निषाद समाज से जुड़े मुद्दों पर स्मरण पत्र और जन प्रतिनिधियों से जनसंवाद किया जाएगा। संवैधानिक पहचान और प्रतिनिधित्व के लिए कानूनी सहायता टीम गठित की जाएगी। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में निषाद समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे। इस पहल का लक्ष्य है निषाद समुदाय को सिर्फ “देखने योग्य” नहीं बल्कि नीति निर्धारण में भागीदार बनाना।

रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |

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