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निषाद समाज की पहचान और अधिकारों की लड़ाई में नेपाल निषाद परिषद की भूमिका

निषाद समाज की पहचान और अधिकारों की लड़ाई में नेपाल निषाद परिषद की भूमिका

निषाद समाज की पहचान और अधिकारों की लड़ाई में नेपाल निषाद परिषद की भूमिका

संवादाताः कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | नेपाल निषाद परिषद द्वारा आयोजित प्रथम बिंदवासिनी गाउँपालिका अधिवेशन गरदौल वार्ड संख्या–1 में भव्य एवं ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न हुआ। यह (शनिवार) को दोपहर 1 बजे से प्रारंभ होकर शाम 4 बजे तक चला। इस अधिवेशन को केंद्रीय सदस्य श्री कृष्ण नुनिया निषाद की विशेष पहल पर आयोजित किया गया, और इसका उद्देश्य संगठन को सशक्त बनाना तथा निषाद समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाना था।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नेपाल निषाद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जितेंद्र साहनी निषाद उपस्थित रहे। इसके साथ ही विशिष्ट अतिथि श्री प्रसाद मुखिया निषाद, सचिव श्री सुबेश मुखिया निषाद, केंद्रीय सदस्य श्री सुदामा मुखिया निषाद, श्री मोतीलाल मुखिया निषाद तथा श्री कृष्ण नुनिया निषाद भी कार्यक्रम में सम्मिलित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन श्री शेषनाथ साहनी निषाद ने किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जितेंद्र साहनी निषाद ने कहा कि निषाद समाज ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित और हाशिए पर रखा गया समुदाय है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी मिलकर संगठित हों और अपने अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक दायरे में रहते हुए संघर्ष करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अधिवेशन केवल एक संगठनात्मक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह निषाद समुदाय की आत्म-सम्मान यात्रा का हिस्सा है। इस समिति के गठन से समाज को एक नई दिशा और नई ऊर्जा मिलेगी। युवाओं को शिक्षा, राजनीति और सामाजिक नेतृत्व में आगे लाने का यह सही समय है।

विशिष्ट अतिथि श्री प्रसाद मुखिया निषाद ने संगठन विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि निषाद समाज को अधिकार चाहिए तो संगठनात्मक मजबूती अनिवार्य है। संगठन की जड़ें गाँव और वार्ड स्तर तक मजबूत करनी होंगी। सचिव श्री सुबेश मुखिया निषाद ने कार्यक्रम के दौरान संगठन की नियमावली और भविष्य की योजनाओं का खाका प्रस्तुत किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में ठोस पहल की जाएगी। विशेष रूप से युवा वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए छात्रवृत्ति, प्रशिक्षण और नेतृत्व विकास कार्यक्रम चलाने का संकल्प भी उन्होंने रखा। इस अवसर पर केंद्रीय सदस्य श्री सुदामा मुखिया निषाद, श्री मोतीलाल मुखिया निषाद और श्री कृष्ण नुनिया निषाद ने भी अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने कहा कि निषाद समुदाय की पहचान, उसकी परंपरा और पेशा (मछली पकड़ना) को अब सम्मान दिलाने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय सरकार और संघीय सरकार से यह समुदाय समान अवसर और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग करता है। श्री कृष्ण नुनिया निषाद ने अपनी विशेष पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समिति आने वाले समय में समाज को नई दिशा देगी और समुदाय के अधिकारों के लिए मुखर स्वर के रूप में कार्य करेगी। कार्यक्रम आयोजक श्री शेषनाथ साहनी निषाद ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि यह अधिवेशन निषाद समुदाय की शक्ति और एकता का प्रमाण है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों, अतिथियों और उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। सभा स्थल पर स्थानीय संस्कृति और परंपरागत परिधान में आए समुदाय के लोग आकर्षण का केंद्र बने। पारंपरिक गीत, नारे और उत्साहपूर्ण नारों ने पूरे वातावरण को ऊर्जावान बना दिया। यह अधिवेशन केवल एक समिति के गठन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि निषाद समाज के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखने का ऐतिहासिक क्षण सिद्ध हुआ।

नेपाल निषाद परिषद यह संगठन विशेष रूप से उस समुदाय की आवाज़ बनने के लिए अस्तित्व में आया, जिसे लंबे समय तक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से उपेक्षित किया गया। निषाद समाज नेपाल का एक मेहनतकश, परिश्रमी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समुदाय है, जिसकी पहचान परंपरागत रूप से जल, नदी और मछली पकड़ने से जुड़ी रही है।

हालाँकि आधुनिक समय में विकास की मुख्यधारा से कटे रहने के कारण यह समाज शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे मूलभूत अधिकारों से वंचित रहा। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नेपाल निषाद परिषद की स्थापना की गई, ताकि यह संगठन समुदाय को न केवल संगठित कर सके बल्कि उनके हक और अधिकार की लड़ाई को भी सशक्त ढंग से प्रस्तुत कर सके।

निषाद समाज की पहचान और अधिकारों की सुनिश्चितता
परिषद का सबसे पहला उद्देश्य निषाद समाज की संवैधानिक एवं सामाजिक पहचान सुनिश्चित करना है। संगठन यह मानता है कि जब तक किसी समुदाय की आधिकारिक पहचान नहीं होती, तब तक उसे उसके वास्तविक अधिकार नहीं मिल सकते। इसीलिए परिषद लगातार यह आवाज़ उठाता आ रहा है कि निषाद समाज को सरकारी अभिलेखों, योजनाओं और नीतियों में स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाए।

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में अवसर उपलब्ध कराना
शिक्षा समाज की रीढ़ होती है। निषाद समुदाय में शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कम रहा है, जिसके कारण यह समुदाय आधुनिक अवसरों से वंचित रहा है। परिषद का उद्देश्य है कि बच्चों और युवाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाए, छात्रवृत्ति की व्यवस्था की जाए और विद्यालयों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित की जाए।
साथ ही, स्वास्थ्य सेवाओं तक सरल पहुँच और समुदाय के लिए रोजगार सृजन करना परिषद की प्राथमिकता में शामिल है। परिषद यह मानता है कि जब तक स्वास्थ्य और रोजगार सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक समुदाय आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।

समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिलाना
किसी भी समुदाय की आवाज़ को मजबूत बनाने के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व अनिवार्य है। निषाद परिषद का तीसरा प्रमुख उद्देश्य यही है कि निषाद समाज को स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व मिले। परिषद लगातार इस बात पर ज़ोर देता है कि निर्वाचित संस्थाओं में निषाद समाज के योग्य प्रतिनिधि शामिल हों और समुदाय की समस्याओं को नीतिगत स्तर पर समाधान किया जा सके।

परंपरागत पेशा (मछली पकड़ना) का आधुनिकीकरण और संरक्षण
निषाद समाज का जीवन परंपरागत रूप से नदियों और तालाबों से गहराई से जुड़ा रहा है। मछली पकड़ना केवल उनका पेशा नहीं बल्कि उनकी संस्कृति और पहचान का भी हिस्सा है। परिषद का उद्देश्य इस पेशे को आधुनिक साधनों, तकनीकों और प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त करना है, ताकि यह पेशा न केवल जीविकोपार्जन का साधन बने बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सम्मानजनक व्यवसाय के रूप में भी संरक्षित रह सके।

अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ

विभिन्न जिलों और प्रदेशों में संगठन का सफल विस्तार
स्थापना के बाद से परिषद ने बहुत कम समय में अपनी पहुँच को व्यापक बनाया है। संगठन ने कई जिलों और प्रदेशों में शाखाएँ स्थापित की हैं, जहाँ स्थानीय स्तर पर समितियाँ गठित करके निषाद समाज की समस्याओं और मांगों को उठाया जाता है। यह विस्तार संगठन की शक्ति और समुदाय की बढ़ती जागरूकता का प्रमाण है।

युवाओं और महिलाओं को संगठन से जोड़ने की पहल
किसी भी समुदाय के विकास में युवा और महिला शक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। परिषद ने विशेष प्रयास किया है कि युवाओं और महिलाओं को संगठन में जोड़ा जाए। इसके लिए परिषद ने प्रशिक्षण कार्यक्रम, जागरूकता अभियान और नेतृत्व विकास कार्यशालाओं का आयोजन किया है, जिससे समाज की नई पीढ़ी भी नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार हो सके।

सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से निषाद समुदाय की पहचान को संरक्षित करना
परिषद ने केवल राजनीतिक या सामाजिक अधिकारों की लड़ाई ही नहीं लड़ी, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करने पर बल दिया है। समय-समय पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मेलों और सभाओं के माध्यम से परिषद ने निषाद समाज की परंपराओं, लोकगीतों और जीवनशैली को प्रदर्शित किया है। इससे न केवल समाज में आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि अन्य समुदायों के बीच भी निषाद समाज की अलग पहचान स्थापित हुई है।

स्थानीय स्तर पर संघर्ष समितियों का गठन
परिषद ने यह समझा कि केवल केंद्रीय या प्रदेश स्तर का संगठन पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए स्थानीय स्तर पर संघर्ष समितियों का गठन किया गया है। ये समितियाँ गाँव और वार्ड स्तर पर समुदाय की समस्याओं को उठाती हैं और स्थानीय सरकार से संवाद स्थापित करती हैं। इससे निषाद समाज की आवाज़ सीधा प्रशासन तक पहुँचने लगी है और कई स्थानों पर समस्याओं का समाधान भी संभव हुआ है।

रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)

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