भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) श्री अजीत डोभाल ने चीन की राजधानी बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। यह भेंट भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों को पुनः सक्रिय और संतुलित करने की दिशा में एक अहम कूटनीतिक पहल के रूप में देखी जा रही है।
मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने हाल के घटनाक्रमों की गहन समीक्षा की और इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों के समग्र और संतुलित विकास को बढ़ावा देना समय की आवश्यकता है। दोनों नेताओं ने आपसी संवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए पारस्परिक सम्मान, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
सीमा विवाद पर भी बनी चर्चा की पृष्ठभूमि
हालांकि आधिकारिक बयान में सीमा से जुड़ी किसी विशेष चर्चा का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन जानकारों का मानना है कि इस उच्चस्तरीय मुलाकात में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कायम तनाव और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से संबंधित लंबित मुद्दों पर भी अनौपचारिक रूप से चर्चा हुई होगी। दोनों देशों के बीच सीमा पर विश्वास बहाली के उपायों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है।
द्विपक्षीय सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर संवाद
बैठक में आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और बहुपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर भी चर्चा हुई। एनएसए डोभाल ने भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्थिर और संतुलित संबंध एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। वहीं, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन भारत के साथ स्वस्थ और स्थायी संबंधों का पक्षधर है।
संबंधों में सकारात्मक गति की कोशिश
इस बैठक को दोनों देशों के बीच बातचीत की प्रक्रिया को फिर से सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद से भारत-चीन संबंधों में तनाव बना हुआ है, और इस दौरान सीमित वार्ताएं और सैन्य-राजनयिक दौरों के ज़रिए हालात सामान्य करने की कोशिशें की जाती रही हैं।
शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की ओर बढ़ते कदम
एनएसए अजीत डोभाल की यह चीन यात्रा दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय संवाद के माध्यम से सामरिक संतुलन और कूटनीतिक संबंधों में स्थिरता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों देशों ने भविष्य में भी नियमित वार्ता और परस्पर विश्वास निर्माण के उपायों को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।
निष्कर्षत:
यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि भारत और चीन आपसी मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहे हैं। आने वाले समय में इस बैठक के प्रभाव से द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक परिवर्तन की संभावना जताई जा रही है।