राजस्थान सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा के अंतर्गत जयपुर जिले की फागी तहसील में प्रशासन गांवों के संग अभियान ने अभूतपूर्व लोककल्याणकारी स्वरूप ले लिया है। 24 जून को ग्राम पंचायत सुल्तानिया एवं 26 जून को ग्राम पंचायत पचाला में आयोजित शिविरों में ग्रामीणों की वर्षों पुरानी समस्याओं का न केवल समाधान हुआ बल्कि शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता का भी साक्षात्कार हुआ। शिविरों में न केवल पेयजल संकट का समाधान हुआ, बल्कि वर्षों पुराने पुश्तैनी संपत्ति विवादों का भी निस्तारण कर आमजन को राहत प्रदान की गई। इस पूरी कार्यवाही ने यह सिद्ध कर दिया कि “सशक्त प्रशासन – समर्पित सेवा” का संकल्प अब धरातल पर उतर चुका है।
सुल्तानिया में आपसी सहयोग और प्रशासनिक पहल से 10 घरों तक पहुँचा नल जल
24 जून को ग्राम पंचायत सुल्तानिया में आयोजित शिविर में गणेश नारायण शर्मा सहित अन्य ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी राकेश कुमार (फागी) के समक्ष पेयजल कनेक्शन की समस्या रखी। ग्रामीणों ने बताया कि आपसी विवादों के कारण उन्हें वर्षो से नल कनेक्शन नहीं मिल सका। यह समस्या स्थानीय विकास के रास्ते में एक बड़ी बाधा बन चुकी थी।
उपखंड अधिकारी ने मौके की संवेदनशीलता को समझते हुए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, परियोजना खंड फागी के सहायक अभियंता सुरेश कुमार मीणा को तत्काल निर्देशित किया कि नियमानुसार सभी पात्र परिवारों को जल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएं।
मनमुटाव समाप्त कर गांव ने दिखाई एकता की मिसाल
यह उल्लेखनीय है कि सुल्तानिया गांव में वर्षों से दो पक्षों में आपसी मनभेद के कारण जलापूर्ति की योजना रुकी हुई थी। उपखंड अधिकारी राकेश कुमार ने सभी पक्षों से शांति व संवाद से बात की। उनकी समझाइश और संवेदनशील प्रयासों से ग्रामीणों ने आपसी मनमुटाव भुलाकर जल कनेक्शन हेतु सहमति दी।
प्रशासन ने तत्परता दिखाई, मुस्कुराया गांव
उपखंड अधिकारी ने तत्काल 100 मीटर पाइप मंगवाकर 10 घरों में जल कनेक्शन करवा दिए और जैसे ही स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति शुरू हुई, लगभग 80 ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना।
ग्रामीणों ने इस अभियान को प्रारंभ करने हेतु मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा का आभार जताया और इसे “जन सरोकार की सरकार” का जीवंत उदाहरण बताया।
गांव पचाला में 20 साल पुराना पुश्तैनी मकान विवाद हुआ हल, छलक पड़ीं आंखें
26 जून को ग्राम पंचायत पचाला में आयोजित शिविर में एक और मानवीय कहानी उभर कर सामने आई, जिसने अंत्योदय पखवाड़ा के उद्देश्यों को और अधिक सार्थकता दी।
परिवादी गणेश सेन की 20 साल पुरानी पीड़ा का हुआ अंत
गणेश सेन, निवासी ग्राम शंकरपुर, ने शिविर में उपस्थित विकास अधिकारी फागी श्री चरण सिंह चौधरी के समक्ष यह परिवार प्रस्तुत किया कि पिछले 20 वर्षों से वह अपने पुश्तैनी मकान पर मालिकाना हक प्राप्त नहीं कर पाया है। न तो उसे स्वामित्व पत्र मिला था और न ही सरकारी दस्तावेजों में उसका नाम दर्ज हो सका था।
मौके पर ही जारी हुआ पट्टा और स्वामित्व पत्र
विकास अधिकारी ने सभी दस्तावेजों की त्वरित जांच करवाई और मौके पर ही नियमानुसार पट्टा एवं स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जैसे ही गणेश सेन को उनका अधिकार पत्र मिला, उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। यह दृश्य शिविर में उपस्थित सभी लोगों के लिए भावुक कर देने वाला था।
गणेश सेन ने मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन का “कोटि-कोटि आभार” व्यक्त करते हुए कहा —
“20 साल की पीड़ा आज समाप्त हुई, मुझे पहली बार लगा कि सरकार मेरे द्वार तक आई है।”
पखवाड़ा बना जन-सेवा का पर्व, प्रशासन बना जनता का संरक्षक
इस पूरे पखवाड़े में फागी उपखंड प्रशासन की कार्यशैली ने यह प्रमाणित कर दिया कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति, मानवीय दृष्टिकोण और जनसहयोग साथ हों, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं रह जाती। सुल्तानिया हो या पचाला, हर जगह प्रशासन की तत्परता देखने को मिली।
प्रमुख सेवाएं जो शिविरों में प्रदान की गईं :
1. पेयजल नल कनेक्शन – घर-घर पहुँचा स्वच्छ जल
शिविरों के दौरान उन परिवारों को प्राथमिकता से नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए, जो वर्षों से पेयजल संकट से जूझ रहे थे।
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ग्राम सुल्तानिया में 10 घरों में तत्काल नल कनेक्शन जोड़कर जल आपूर्ति शुरू की गई।
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अधिकारियों ने पाइपलाइन, वाल्व एवं वितरण प्रणाली की तत्काल व्यवस्था कराई।
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ग्रामीणों को जल जीवन मिशन और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की योजनाओं की जानकारी भी दी गई।
2. स्वामित्व पट्टा वितरण – पुश्तैनी संपत्तियों को कानूनी पहचान
भूमिहीन व वर्षों से कच्ची बस्तियों में रह रहे ग्रामीणों को स्वामित्व प्रमाण पत्र (पट्टा) जारी कर उनका कानूनी अधिकार सुनिश्चित किया गया।
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गणेश सेन (ग्राम शंकरपुर) जैसे कई परिवादियों को वर्षों बाद अपना मकान कानूनी रूप से प्राप्त हुआ।
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जमीनों के नक्शे, नामांतरण अभिलेख एवं ग्राम सभा की संस्तुति लेकर मौके पर ही पट्टे वितरित किए गए।
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स्वामित्व योजना के तहत GPS सर्वेक्षण एवं डिजिटल अभिलेखों की प्रक्रिया अपनाई गई।
3. वृद्धावस्था, विधवा एवं दिव्यांग पेंशन आवेदन – सामाजिक सुरक्षा की मजबूती
शिविरों में वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगजनों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के आवेदन लिए गए और पात्र व्यक्तियों को मौके पर ही पात्रता प्रमाण पत्र दिए गए।
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दस्तावेज़ों की जाँच, आधार और बैंक खाता लिंकिंग, भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया सरल बनाई गई।
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अनेक महिलाओं और वृद्धों ने पहली बार पेंशन के लिए आवेदन किया।
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कुछ मामलों में सीधे ऑन-द-स्पॉट स्वीकृति पत्र भी दिए गए।
4. खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन कार्डों का नवीनीकरण – भूख के खिलाफ सुरक्षा कवच
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत कई ग्रामीणों के राशन कार्ड त्रुटिपूर्ण या अप्रचलित हो चुके थे।
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इन शिविरों में कार्डों का सुधार, अपडेशन, जोड़ने-बचाने की प्रक्रिया सरल की गई।
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नए परिवारों को पात्रता के आधार पर जोड़ा गया।
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इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (e-PoS) सिस्टम के बारे में जागरूकता दी गई।
5. मनरेगा जॉब कार्डों का सत्यापन व वितरण – रोजगार का अधिकार सुलभ
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत ग्रामीणों के जॉब कार्ड बनाए गए और पुराने कार्डों का सत्यापन किया गया।
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मजदूरों को योजना की मजदूरी दर, कार्य के प्रकार, मस्टररोल पंजीकरण की जानकारी दी गई।
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कई प्रवासी श्रमिकों को पहली बार जॉब कार्ड मिला।
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महिला श्रमिकों को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई।
6. कृषि योजनाओं की जानकारी और आवेदन – किसान की उन्नति को समर्पित
किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं जैसे:
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN)
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फसल बीमा योजना
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कृषि यंत्र अनुदान,
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ड्रिप सिंचाई योजना, आदि के बारे में जानकारी दी गई और ऑन-स्पॉट आवेदन लिए गए।
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कृषि विभाग के विशेषज्ञों द्वारा मृदा परीक्षण, जैविक खेती, कीट नियंत्रण पर परामर्श भी दिया गया।
7. जन आधार कार्ड सुधार – एकल पहचान का सशक्तीकरण
जन आधार कार्ड, जो कि राजस्थान में योजनाओं के लाभार्थी निर्धारण का आधार है, को सुधारने, अपडेट करने और जोड़ने की प्रक्रिया भी शिविरों में अपनाई गई।
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आधार सीडिंग, मोबाइल नंबर अपडेट, परिवारजनों को जोड़ने जैसे कार्य किए गए।
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कई महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों ने पहली बार डिजिटल पहचान का अनुभव किया।
8. श्रमिक कल्याण बोर्ड से संबंधित रजिस्ट्रेशन – निर्माण मजदूरों को योजनाओं से जोड़ा गया
निर्माण श्रमिकों को राजस्थान भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं से जोड़ने के लिए शिविरों में ऑन-स्पॉट पंजीकरण और नवीनीकरण किया गया।
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रजिस्ट्रेशन के आधार पर श्रमिकों को श्रमिक कार्ड मिला जिससे वे दुर्घटना बीमा, शिक्षा सहायता, चिकित्सा सहायता जैसी योजनाओं का लाभ ले सकें।
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महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व लाभ योजना के बारे में भी जानकारी दी गई।
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अंत्योदय दर्शन के सच्चे प्रतीक बने यह शिविर
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय दर्शन — “समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुविधा पहुँचाना” — इन शिविरों में पूरी तरह साकार होता नजर आया। ग्रामीणों को उनकी शिकायतों का तुरंत समाधान मिला, साथ ही उन्हें शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से सीधे जोड़ने का कार्य किया गया।
प्रशासन की भूमिका रही निर्णायक : ‘सेवा ही लक्ष्य’
उपखंड अधिकारी राकेश कुमार एवं विकास अधिकारी चरण सिंह चौधरी की उपस्थिति और संवेदनशीलता ने ही इन शिविरों को सफल बनाया। उन्होंने ग्रामीणों की बात को सुना, समझा और तत्काल कार्यवाही की। यह प्रशासनिक चुस्ती और संवेदनशीलता की मिसाल है।
ग्रामीणों के अनुभव :
कन्हैयालाल शर्मा, सुल्तानिया निवासी —
“पहले लगता था सरकार बहुत दूर है, लेकिन इस शिविर ने बता दिया कि अब सरकार हमारे गांव के चौपाल पर है।”
मीना देवी, पचाला —
“बेटी की शादी को लेकर पट्टे की चिंता थी। आज शिविर में जो कागज मिला, उससे बेटी की जिंदगी भी सुधरेगी।”
मुख्यमंत्री की पहल : ‘जनता का प्रशासन’
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जब पंडित दीनदयाल अंत्योदय संबल पखवाड़ा प्रारंभ किया था, तब उनका उद्देश्य था —
“राज्य के प्रत्येक नागरिक तक सरकारी योजनाएं बिना भेदभाव और बिना रुकावट पहुँचे।”
इन शिविरों ने यह दिखा दिया कि यह उद्देश्य सिर्फ भाषणों में नहीं, बल्कि धरातल पर सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो रहा है।
निष्कर्ष : एक नया सामाजिक संवाद
सुल्तानिया और पचाला के शिविरों ने न केवल समस्याओं का समाधान किया, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता और संवाद का माध्यम भी बने। आपसी विवाद समाप्त हुए, प्रशासन से विश्वास जुड़ा और ग्रामीणों में सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता आई। यह केवल प्रशासनिक शिविर नहीं, बल्कि गांवों की आत्मा को संबल देने वाला सामाजिक उत्सव बन गया।