संवादाताः कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | भारत और नेपाल के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को हमेशा एकजुट रखने वाले पूर्व ऊर्जा मंत्री एवं निषाद समाज के प्रभावशाली नेता, श्री सत्यनारायण भगत बिन्द ने आज 10 अगस्त को भारत की प्रसिद्ध वीरांगना और क्रांतिकारी नेता फूलन देवी जी की जयंती के अवसर पर उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की है। फूलन देवी, जिन्होंने अपने जीवन को सामाजिक अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ लड़ाई में समर्पित कर दिया था, आज भी उत्तर भारत के आम जनमानस के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ती हैं। उन्होंने दलित और वंचित समाज के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया और अपने जीवन की कीमत चुकाकर अन्याय के खिलाफ समाज में जागरूकता पैदा की।
पूर्व मंत्री नेपाल सरकार सत्यनारायण भगत बिन्द ने कहा कि फूलन देवी का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनका साहस और उनका क्रांतिकारी जज्बा हमें सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना और सामाजिक समरसता के लिए लड़ना कितना आवश्यक है। “मैं इस महान क्रांतिकारी को शत-शत नमन करता हूं और उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता हूं,” उन्होंने कहा। श्री भगत बिन्द, जो स्वयं नेपाल सरकार में ऊर्जा विभाग के मंत्री रह चुके हैं, ने भारत और नेपाल के बीच सहयोग और भाईचारे की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेता और नागरिक मिलकर सामाजिक न्याय, समानता और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से अपील की कि वे फूलन देवी जैसे आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं और किसी भी प्रकार के अन्याय और शोषण के विरुद्ध सशक्त होकर खड़े हों। “हमारे समाज की प्रगति तभी संभव है जब हम जाति, वर्ग और धर्म के भेदभाव को मिटा कर एक साथ मिलकर काम करें,” उन्होंने कहा।
भारत की पूर्व सांसद, जनता की आवाज़ की मशाल, फूलन देवी की आज जयंती है। फूलन देवी ने अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में अनेकों बाधाओं और कठिनाइयों का सामना किया। उनके नेतृत्व में कई आंदोलनों ने समाज के शोषित वर्गों के अधिकारों की लड़ाई को बल दिया। उनके संघर्ष और बलिदान को सम्मान देते हुए नेपाल के पूर्व ऊर्जा मंत्री सत्यनारायण भगत बिन्द ने उनके आदर्शों को याद किया और युवा पीढ़ी को उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
नेपाल सरकार सत्यनारायण भगत बिन्द ने कहा कि फूलन देवी की कहानी केवल एक महिला क्रांतिकारी की नहीं बल्कि पूरे समाज की कहानी है, जिसने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत दोनों देशों में सामाजिक बदलाव और समावेशी विकास के लिए इस तरह के नेताओं की जरूरत है जो जनहित में निरंतर काम करते रहें। उनका मानना है कि राजनीतिक नेतृत्व को समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर देने चाहिए ताकि शोषण और उत्पीड़न का अंत हो सके।
फूलन देवी उन्होंने कहा कि परिवर्तन तभी संभव होगा जब समाज के हर तबके को न्याय मिले और सभी के अधिकारों का सम्मान हो। उन्होंने समाज में व्याप्त विभाजनकारी मानसिकताओं को समाप्त करने की भी आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर सत्यनारायण भगत बिन्द ने बताया कि वह स्वयं भी निषाद समाज से आते हैं, जो कई दशकों से सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत है।
फूलन देवी
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को हुआ था। वह एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपने जीवन को पूरी निष्ठा और साहस के साथ सामाजिक अन्याय, जातिगत भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ समर्पित कर दिया। भारत में दलितों और वंचितों के अधिकारों की लड़ाई में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उनका संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि वह समाज के उन हिस्सों के लिए एक आवाज़ थी जो सदियों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार होते आ रहे थे।
फूलन देवी ने बहुत कम उम्र में ही जीवन की कठोर सच्चाइयों का सामना किया। जब वह केवल 13 वर्ष की थीं, तब उन्हें स्थानीय अपराधी और शक्तिशाली ठेकेदारों द्वारा अत्याचार सहना पड़ा। उस दौर में दलित महिलाओं के लिए न्याय पाना लगभग नामुमकिन था, लेकिन फूलन देवी ने हार नहीं मानी। उन्होंने अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू की। उनकी यह लड़ाई धीरे-धीरे एक व्यापक सामाजिक आंदोलन का रूप ले गई।
दबे, मारे गए या अनसुने रहे। वे केवल एक नेता नहीं थीं, बल्कि एक प्रतीक थीं—साहस, निडरता और न्याय के लिए लड़ने का प्रतीक। उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी | रखा, ताकि वे अपने आदर्शों को और व्यापक स्तर पर लागू कर सकें। वे भारतीय संसद की सदस्य बनीं और वहां भी अपने समुदायों के हितों के लिए संघर्ष करती रहीं। उन्होंने दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता की वकालत की। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर भी विशेष ध्यान दिया।
फूलन देवी का जीवन केवल राजनीतिक संघर्ष का नाम नहीं था, बल्कि यह उनके साहस की कहानी भी थी। वे लगातार धमकियों और हमलों का सामना करती रहीं, लेकिन उनका हौसला कभी टूटा नहीं। 2001 में उनकी हत्या एक बड़ा सदमा था, जिसने देश भर के सामाजिक न्याय के कार्यकर्ताओं को झकझोर दिया। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके विचार, उनके आदर्श और उनका संघर्ष जीवित है।
फूलन देवी ने हमें यह सिखाया कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। उनका जीवन एक प्रेरणा है उन सभी के लिए जो सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज़ उठाने का साहस रखते हैं। आज भी भारत के दलित और वंचित वर्ग के लिए फूलन देवी एक प्रेरक नेतृत्व की पहचान हैं, जिनके आदर्शों को आगे बढ़ाकर समाज को अधिक न्यायसंगत और समान बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
उनका संघर्ष हमें याद दिलाता है कि समाज में बदलाव केवल संगठित और सशक्त आवाज़ के द्वारा ही संभव है। फूलन देवी की जयंती पर हम न केवल उनके बलिदान को याद करते हैं, बल्कि उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प भी लेते हैं, ताकि हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिल सके। उनके अदम्य साहस और सामाजिक न्याय के लिए उनकी प्रतिबद्धता को हमेशा सम्मान मिलेगा और आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा लेंगी।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |