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प्राथमिक विद्यालय महराजी, गोरखपुर के प्रयासों से ग्रामीणों में बढ़ी शिक्षा के प्रति जागरूकता

Admin Site |08.07.2025|Koto News|KotoTrust|Gorakhpur|Ayushman Bharat|UP News|School|

गोरखपुर (संवाददाता):गोरखपुर जिले के एक छोटे से गाँव महराजी में स्थित प्राथमिक विद्यालय ने वह कर दिखाया जो अक्सर बड़े-बड़े शिक्षा संस्था नहीं कर पाते। विद्यालय के प्रधानाध्यापक, समर्पित शिक्षकों और उत्साही छात्रों के संयुक्त प्रयास से गाँव के लोगों और अभिभावकों के बीच शिक्षा के महत्व को लेकर एक जन-जागरूकता अभियान चलाया गया। यह अभियान न केवल ज्ञान के प्रचार का माध्यम बना, बल्कि समाज के भीतर व्याप्त कई भ्रांतियों और उपेक्षाओं को तोड़ने का प्रयास भी साबित हुआ।

विद्यालय परिसर से शुरू होकर गाँव की गलियों और चौपालों तक फैले इस अभियान में बच्चों ने अपने हाथों से बनाए पोस्टर और बैनर उठाकर शिक्षा के नारे लगाए—”पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया”, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, “हर बच्चा स्कूल जाए, भविष्य उज्जवल बनाए” जैसे नारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। शिक्षकों ने अलग-अलग मोहल्लों में जाकर समूह चर्चा की, जिसमें ग्रामीणों को सरकारी शैक्षणिक योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।

प्रधानाध्यापक श्री x के नेतृत्व में विद्यालय परिवार ने यह सुनिश्चित किया कि ग्रामीणों तक न केवल योजनाओं की जानकारी पहुंचे, बल्कि वे उसके लाभ उठाने को लेकर भी सक्रिय हों। ग्रामीणों को बताया गया कि कैसे मध्याह्न भोजन योजना, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, स्कूल यूनिफॉर्म, निःशुल्क प्रवेश, समग्र शिक्षा अभियान, विद्यालय चलो अभियान जैसी योजनाएँ बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक बन रही हैं।

शिक्षकों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में आज भी कई लोग शिक्षा को अनावश्यक खर्च समझते हैं, विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा के प्रति उपेक्षा का रवैया देखा जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि शिक्षा ही गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक भेदभाव से निकलने का एकमात्र माध्यम है। स्कूल भेजे गए बच्चे न केवल पढ़ना-लिखना सीखते हैं, बल्कि आत्मविश्वासी, सामाजिक रूप से जागरूक और भविष्य के कर्णधार बनते हैं।

छात्रों द्वारा प्रस्तुत नाटक, कविता पाठ, भाषण और गीत ने ग्रामीणों को भावनात्मक रूप से भी छुआ। एक बालिका द्वारा प्रस्तुत कविता “पढ़ना मेरा हक़ है, उज्ज्वल मेरा कल है” को सुनकर कई माताएं भावुक हो गईं। उन्होंने बताया कि वे अब बेटियों को भी लड़कों के बराबर स्कूल भेजेंगी। इस प्रकार यह अभियान सिर्फ सूचना देने का जरिया नहीं, बल्कि मानसिक बदलाव की शुरुआत बन गया।

शिक्षा की अलख जगाने का सामूहिक प्रयास
गोरखपुर जनपद के प्राथमिक विद्यालय महराजी द्वारा चलाया गया यह जन-जागरूकता अभियान कई स्तरों पर समाज को छू गया। इस अभियान में विद्यार्थियों की सहभागिता से न केवल शिक्षा का महत्व रेखांकित हुआ, बल्कि ग्रामीण समुदाय के मन में भी एक नई चेतना जागृत हुई।

बच्चों की जन-जागरूकता रैली
विद्यालय के बच्चों ने नारे लगाते हुए हाथों में रंग-बिरंगे पोस्टर और शिक्षा संबंधी संदेश लिए गाँव की गलियों और मुख्य चौपालों से होते हुए रैली निकाली। नारे जैसे – “शिक्षा का दीप जलाओ, अज्ञानता मिटाओ” और “हर बच्चा स्कूल जाए, गाँव शिक्षित बन जाए” – ने सबका ध्यान खींचा।

शिक्षा पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
छात्रों ने नाटक, कविता पाठ, भाषण और लघु नाटिका के माध्यम से ग्रामीणों को दिखाया कि शिक्षा से जीवन में क्या बदलाव आता है। इन प्रस्तुतियों ने ग्रामीणों के दिलों को छू लिया और शिक्षा के प्रति उनके नजरिए में सकारात्मक बदलाव लाया।

ग्रामीण चौपालों पर संवाद
शिक्षकों ने समूहों में बैठकर गाँव के पुरुषों, महिलाओं और बुजुर्गों से संवाद किया। उन्होंने बताया कि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन की बुनियाद है। इस बातचीत में ग्राम प्रधान और अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।

सरकारी योजनाओं की जानकारी:
अभियान के दौरान शिक्षकों ने योजनाओं की जानकारी सरल और स्पष्ट भाषा में दी, ताकि हर वर्ग के लोग उसे समझ सकें और उसका लाभ उठा सकें।

बालिका शिक्षा पर विशेष जोर
शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने मिलकर बालिका शिक्षा को विशेष प्राथमिकता दी। उन्हें समझाया गया कि बेटियों को स्कूल भेजना न केवल उनके अधिकार की रक्षा करना है, बल्कि पूरे समाज को सशक्त बनाना है।

सरकारी योजनाएं जिनकी जानकारी दी गई

शिक्षकों ने अभियान के दौरान निम्नलिखित योजनाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया और बताया कि ये किस प्रकार छात्रों को स्कूल से जोड़ने और बनाए रखने में सहायक हैं:

मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme)
इस योजना के तहत विद्यार्थियों को हर दिन पोषक भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जिससे कुपोषण में कमी आती है और स्कूल में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित होती है।

मुफ्त पाठ्यपुस्तक और यूनिफॉर्म
सरकार द्वारा बच्चों को साल की शुरुआत में पुस्तकें, ड्रेस और स्टेशनरी निःशुल्क प्रदान की जाती हैं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर पढ़ाई का बोझ न पड़े।

समग्र शिक्षा अभियान
यह योजना शत-प्रतिशत नामांकन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने पर केंद्रित है। यह स्कूलों के समग्र विकास को सुनिश्चित करती है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
यह विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन देने हेतु शुरू की गई योजना है, जिसमें सरकारी और सामाजिक सहयोग से बेटियों को विद्यालय से जोड़े रखने का लक्ष्य है।

विद्यालय चलो अभियान
यह अभियान उन बच्चों के लिए है जो स्कूल छोड़ चुके हैं या कभी स्कूल नहीं गए। इसके माध्यम से उन्हें फिर से शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाता है।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

अभियान का सीधा असर गाँव के लोगों पर देखा गया। कई अभिभावकों ने स्वेच्छा से विद्यालय में आकर अपने बच्चों का फिर से नामांकन कराने की बात कही।

पुनः नामांकन का संकल्प
अनेक माता-पिता ने कहा कि वे अब अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजेंगे और उनके शिक्षा में पूरा सहयोग देंगे।

बालिका शिक्षा को लेकर बदला दृष्टिकोण
माताओं ने विशेष रूप से यह समझा कि बेटियाँ भी भविष्य की निर्माता हैं। वे अब बेटों के समान बेटियों की पढ़ाई पर भी ध्यान देंगी।

ग्राम वरिष्ठ नागरिकों का समर्थन
बुजुर्गों ने विद्यालय की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब शिक्षक और बच्चे स्वयं गाँव में शिक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं, तो समाज को भी इस प्रयास में भागीदार बनना चाहिए।

“हमारा उद्देश्य सिर्फ शिक्षण कार्य नहीं, बल्कि समाज को शिक्षित बनाना है। शिक्षा ही वह कुंजी है जो हर बंद दरवाजे को खोल सकती है। हम चाहते हैं कि हमारा विद्यालय गाँव के प्रत्येक बच्चे के भविष्य को रोशन करे, चाहे वह लड़का हो या लड़की।”

इस विचारशील संदेश ने ग्रामीणों के दिलों को छुआ और विद्यालय को सिर्फ एक शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया।

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