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रायपुर मछुवा सम्मेलन 2025 भारत-नेपाल निषाद समाज का ऐतिहासिक संगम

नेपाल निषाद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र साहनी निषाद

नेपाल निषाद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र साहनी निषाद

सम्पादक : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सरदार बलबीर जुनेजा इनडोर स्टेडियम रायपुर में आयोजित भव्य मछुवा सम्मेलन 2025 में भारत और नेपाल के मत्स्यजीवी समाज के प्रतिनिधियों का ऐतिहासिक संगम देखने को मिला। इस अवसर पर नेपाल निषाद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र साहनी निषाद ने भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री (मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग) श्री राज भूषण चौधरी से सौजन्य भेंट की। दोनों नेताओं ने निषाद समाज के उत्थान, मत्स्य पालन व्यवसाय में तकनीकी उन्नति, और सीमापार सामाजिक सहयोग को लेकर लंबी व रचनात्मक चर्चा की।

सम्मेलन का उद्देश्य और माहौल

रायपुर के छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सरदार बलबीर जुनेजा इनडोर स्टेडियम रायपुर में  आयोजित इस मछुवा सम्मेलन का उद्देश्य मत्स्यजीवी समुदाय को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी दृष्टि से सशक्त बनाना था। सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके बाद उपस्थित अतिथियों ने समाज के ऐतिहासिक योगदान और भविष्य की योजनाओं पर अपने विचार रखे।
इस मौके पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा तथा नेपाल से आए सैकड़ों प्रतिनिधि मौजूद रहे। सभा में नदी से आजीविका तक – निषाद समाज का योगदान विषय पर विशेष सत्र भी आयोजित हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने नदी संसाधनों के सतत उपयोग, मत्स्य संरक्षण, और समुदाय आधारित विकास योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।

भारत-नेपाल निषाद संबंधों पर चर्चा

बैठक के दौरान नेपाल निषाद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र साहनी निषाद ने कहा कि “भारत और नेपाल दोनों देशों के निषाद समाज की जड़ें एक ही संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली से जुड़ी हैं। हम सभी की पहचान नदी, जल और श्रम से है। आज समय की आवश्यकता है कि हम सीमाओं से परे एक साझा मंच बनाकर आगे बढ़ें।” उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों देशों की सरकारें और सामाजिक संस्थाएँ मिलकर मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक प्रशिक्षण, और विपणन की बेहतर सुविधा प्रदान करें। उन्होंने यह भी कहा कि जल संसाधनों के संरक्षण और मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए सीमा पार सहयोग आवश्यक है। साहनी निषाद ने यह प्रस्ताव रखा कि भारत और नेपाल मिलकर एक “नदीजन विकास मिशन” प्रारंभ करें, जिसके तहत दोनों देशों के मछुआरों को तकनीकी व आर्थिक सहायता दी जा सके। केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया और सरकारी योजनाएँ इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने निषाद समाज के एकता प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि भारत सरकार मत्स्य पालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानती है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत देशभर में हजारों युवाओं को मत्स्य प्रशिक्षण, कोल्ड स्टोरेज, फीड उत्पादन और निर्यात के अवसर मिल रहे हैं।श्री चौधरी ने कहा, “भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि मछुआरा समुदाय को केवल जीविका ही नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान भी मिले। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक मत्स्य उत्पादन में भारत विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल हो।”उन्होंने नेपाल निषाद परिषद के साथ मिलकर सीमापार मछुआरा सहयोग मंच बनाने का भी प्रस्ताव रखा, ताकि अनुभव और संसाधनों का आदान-प्रदान हो सके।

सम्मेलन में भारत और नेपाल से आए 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया रायपुर में आयोजित इस मछुवा सम्मेलन की भव्यता इस तथ्य से झलकती है कि इसमें भारत और नेपाल के 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रतिभागियों में समाजसेवी, मत्स्य व्यवसायी, महिला स्वयं सहायता समूह, युवा प्रतिनिधि, तकनीकी विशेषज्ञ और सरकारी अधिकारी शामिल थे। नेपाल से आए दल में तराई क्षेत्र के निषाद संगठनों के अध्यक्ष, सचिव और युवा समन्वयक भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों — छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल — से बड़ी संख्या में मछुआरा समुदाय के लोग शामिल हुए।
इस विविध भागीदारी ने सम्मेलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नदीजन एकता मंच के रूप में प्रतिष्ठित किया। प्रतिनिधियों ने अनुभव साझा किए, तकनीकी प्रदर्शन देखे, और आपसी सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया।

मत्स्यजीवी समुदाय की आजीविका सुदृढ़ करने पर 3 प्रमुख प्रस्ताव पारित हुए

सम्मेलन के दौरान मत्स्यजीवी समुदाय की आजीविका को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए।
पहला प्रस्ताव, मत्स्य पालन में पारंपरिक विधियों के साथ-साथ आधुनिक तकनीकी साधनों को अपनाने पर केंद्रित था, ताकि उत्पादन क्षमता और आय दोनों में वृद्धि हो। दूसरा प्रस्ताव, मत्स्य पालकों के लिए सरकारी योजनाओं की पारदर्शी पहुँच सुनिश्चित करने और बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने पर था। तीसरा प्रस्ताव, निषाद समाज के युवाओं को मत्स्य व्यवसाय से जुड़े स्टार्टअप, प्रशिक्षण और सहकारी मॉडल के माध्यम से उद्यमी बनाने से संबंधित था। इन प्रस्तावों को समाज के वरिष्ठ नेताओं और सरकारी प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पारित किया गया और इनके क्रियान्वयन के लिए एक संयुक्त कार्य समिति भी गठित की गई।

निषाद समाज के शिक्षा, प्रशिक्षण और बाजार तक पहुँच बढ़ाने पर सहमति बनी

सम्मेलन में यह सर्वसम्मति बनी कि निषाद समाज के उत्थान की सबसे मजबूत नींव शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और बाजार तक पहुँच है।
प्रतिनिधियों ने माना कि समाज के युवाओं को तकनीकी शिक्षा और मत्स्य व्यवसाय के आधुनिक प्रबंधन की जानकारी दी जानी चाहिए।
इस दिशा में नेपाल निषाद परिषद ने सुझाव दिया कि सीमावर्ती जिलों में “निषाद प्रशिक्षण केंद्र” स्थापित किए जाएँ, जहाँ युवाओं को जल जीव विज्ञान, मछली प्रजनन तकनीक, फीड उत्पादन, ठंडे भंडारण प्रबंधन और विपणन रणनीतियों की जानकारी दी जा सके।
साथ ही, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से यह आग्रह किया गया कि मत्स्य उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाने के लिए विशेष निर्यात गलियारे तैयार किए जाएँ। महिलाओं के लिए “जलजीविका महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम” के तहत स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित करने का भी प्रस्ताव पारित हुआ।

केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं की जानकारी भी दी गई

सम्मेलन के दौरान मत्स्य पालन और मछुआरा कल्याण से जुड़ी केंद्रीय और राज्य योजनाओं की विस्तृत जानकारी भी प्रतिभागियों को दी गई।
केंद्रीय मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि भारत सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), ब्लू रेवोल्यूशन मिशन, और मछुआरा क्रेडिट कार्ड योजना के तहत करोड़ों रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में चल रही योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना (छत्तीसगढ़), जलजीविका प्रोत्साहन कार्यक्रम (बिहार) और सामुदायिक मत्स्य पालन प्रोत्साहन योजना (मध्य प्रदेश) की जानकारी साझा की।अधिकारियों ने प्रतिभागियों से कहा कि वे इन योजनाओं का लाभ लें और अपने मत्स्य सहकारी समितियों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त करें। इस सत्र में विशेषज्ञों ने योजना आवेदन की प्रक्रिया, लाभार्थी पात्रता, सब्सिडी संरचना और निर्यात संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की।

 

रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)

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