
रक्षाबंधन मोहन सहानी निषाद
कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | लुम्बिनी प्रदेश के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर नेपाल निषाद परिषद, लुम्बिनी प्रदेश के सचिव मोहन सहानी निषाद ने सभी बहनों एवं भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकजुटता, परस्पर सम्मान और आपसी विश्वास का प्रतीक भी है। रक्षाबंधन पर्व पर लुम्बिनी प्रदेश के गाँव-गाँव में विशेष उत्साह देखा गया। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके दीर्घायु और खुशहाली की कामना की, जबकि भाइयों ने बहनों को उपहार और रक्षा का वचन दिया। मोहन सहानी निषाद ने कहा कि आज के समय में त्योहार केवल रीति-रिवाज तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि हमें इनके माध्यम से समाज में प्रेम, भाईचारे और एकजुटता को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने परिषद की ओर से भी एक विशेष संदेश जारी किया, जिसमें सभी नागरिकों से अपील की गई कि वे इस दिन अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करें।
नेपाल निषाद परिषद, लुम्बिनी प्रदेश ने इस अवसर पर कई सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए। इनमें गरीब और असहाय महिलाओं को वस्त्र वितरण, बच्चों के लिए मिठाई और खिलौने बांटना, तथा वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित करना शामिल था। परिषद के सदस्यों का मानना है कि रक्षाबंधन जैसे पर्वों के माध्यम से समाज में पारिवारिक मूल्यों को मजबूत किया जा सकता है। मोहन सहानी निषाद ने कहा, “भाई-बहन का रिश्ता रक्त संबंध से भी बढ़कर होता है, क्योंकि यह विश्वास और प्रेम पर आधारित होता है।” मोहन सहानी निषाद ने यह संदेश दिया कि हमें अपने सांस्कृतिक त्योहारों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रखना चाहिए और इन्हें केवल पारिवारिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी मनाना चाहिए, ताकि समाज में एकजुटता बनी रहे।
रक्षाबंधन – परंपरा और महत्व
क्या है रक्षाबंधन?
रक्षाबंधन, जिसे आमतौर पर “राखी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है। यह त्योहार भाई और बहन के बीच अटूट प्रेम, विश्वास और स्नेह का प्रतीक है। परंपरा के अनुसार, बहन अपने भाई की कलाई पर रंगीन धागा या सजावटी “राखी” बांधती है और उसकी लंबी उम्र, खुशहाली और सुरक्षा की प्रार्थना करती है। बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देता है और जीवन भर उसकी रक्षा करने का संकल्प लेता है।
इतिहासकार मानते हैं कि रक्षाबंधन की जड़ें सदियों पुरानी हैं। प्राचीन ग्रंथों और लोककथाओं में ऐसे कई प्रसंग मिलते हैं, जिनमें रक्षासूत्र का उल्लेख आता है।
नेपाल और भारत में उत्सव
भारत और नेपाल दोनों देशों में रक्षाबंधन का उत्सव समान उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है, लेकिन प्रत्येक क्षेत्र में इसकी परंपराएं और रीति-रिवाज थोड़े अलग हो सकते हैं।
नेपाल में यह त्योहार विशेष रूप से तराई क्षेत्र, पहाड़ी इलाकों और मधेसी समुदाय में लोकप्रिय है। नेपाल में रक्षाबंधन को “जनै पूर्णिमा” के रूप में भी जाना जाता है, खासकर हिंदू ब्राह्मण समुदाय में। इस दिन लोग पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं, पुजारी से रक्षा सूत्र बंधवाते हैं और अपने आध्यात्मिक संकल्पों को नवीनीकृत करते हैं। इसके साथ ही, भाई-बहन एक-दूसरे को राखी बांधते हैं, उपहार देते हैं और पारिवारिक भोजन का आनंद लेते हैं।
भारत में रक्षाबंधन लगभग हर राज्य में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में पारंपरिक राखी समारोह होता है, तो महाराष्ट्र और गोवा जैसे राज्यों में इसे नारियल पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है, जहां मछुआरे समुद्र देवता की पूजा करते हैं। गुजरात और राजस्थान में राखी के साथ-साथ “पवित्रा” नामक धागा भी पूजा में इस्तेमाल होता है।
सामाजिक दृष्टिकोण
रक्षाबंधन केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज में आपसी सहयोग, सम्मान और विश्वास का प्रतीक है। भाई-बहन का रिश्ता केवल खून के रिश्ते तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ हो सकता है जिसे हम अपने जीवन में सुरक्षा और अपनत्व का स्थान देते हैं। आज के समय में इस त्योहार का स्वरूप और भी व्यापक हो गया है। कई स्थानों पर महिलाएं सैनिकों, पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों और अन्य जनसेवकों को राखी बांधती हैं, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि समाज के हर रक्षक का सम्मान किया जाना चाहिए। विद्यालयों और सामाजिक संगठनों में भी यह पर्व मनाकर बच्चों में आपसी भाईचारा और मानवीय मूल्यों का विकास किया जाता है। नेपाल निषाद परिषद जैसे संगठन इस दिन गरीब और जरूरतमंदों के बीच सहायता सामग्री बांटते हैं, महिलाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देते हैं और समाज में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के महत्व पर चर्चा करते हैं।
त्योहार का आधुनिक संदेश
रक्षाबंधन का आधुनिक अर्थ केवल भाई द्वारा बहन की रक्षा तक सीमित नहीं है। यह त्योहार इस बात का प्रतीक बन चुका है कि हम सभी को एक-दूसरे की सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेदारी उठानी चाहिए—चाहे वह परिवार के भीतर हो या समाज में। यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि रिश्तों की डोर विश्वास, सहयोग और प्रेम से ही मजबूत रहती है।
1. रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?
रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर अगस्त महीने में पड़ता है, लेकिन चंद्र कैलेंडर के आधार पर तारीख बदल सकती है।
2. रक्षाबंधन का मुख्य महत्व क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करना है। बहन भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है, जबकि भाई उसकी रक्षा का वचन देता है।
3. क्या रक्षाबंधन केवल सगे भाई-बहन के बीच ही मनाया जाता है?
नहीं, यह किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ मनाया जा सकता है जो आपके जीवन में भाई का स्थान रखता हो — जैसे चचेरे भाई, दोस्त, या सामाजिक रूप से जुड़े लोग। कई महिलाएं सैनिकों, पुलिसकर्मियों और जनसेवकों को भी राखी बांधती हैं।
4. नेपाल में रक्षाबंधन को क्या कहा जाता है?
नेपाल में इसे “जनै पूर्णिमा” भी कहा जाता है, खासकर ब्राह्मण और क्षत्रिय समुदाय में। इस दिन धार्मिक स्नान, रक्षा सूत्र बंधवाना और पूजा का विशेष महत्व है।
5. आधुनिक समय में रक्षाबंधन का सामाजिक संदेश क्या है?
आज रक्षाबंधन भाई-बहन से आगे बढ़कर समाज में सुरक्षा, सम्मान और एकता का प्रतीक बन गया है। यह हमें सिखाता है कि हमें एक-दूसरे की देखभाल और सम्मान करना चाहिए, चाहे वह परिवार हो, मित्र हों या समाज के अन्य लोग।
6. रक्षाबंधन पर कौन-कौन से रीति-रिवाज होते हैं?
पूजा थाली में राखी, रोली, चावल, दीपक और मिठाई सजाना।
बहन द्वारा भाई की आरती उतारना और राखी बांधना।
भाई द्वारा बहन को उपहार और रक्षा का वचन देना।
परिवार के साथ विशेष भोजन का आयोजन।
7. क्या रक्षाबंधन का कोई धार्मिक लाभ भी है?
हां, माना जाता है कि इस दिन राखी बांधने और रक्षा वचन देने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है, परिवार में एकता और समृद्धि बनी रहती है, और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |