
रक्षा बंधन
कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | रक्षाबंधन के पावन पर्व पर निषाद युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट ने देशभर की बहनों और भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते में निहित प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के संकल्प का प्रतीक है। इस अवसर पर उन्होंने सभी नागरिकों से आपसी भाईचारा, सौहार्द और एकता बनाए रखने की अपील की। सुशिल साहनी ने कहा कि आज के दौर में रक्षाबंधन का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि समाज में तेजी से बदलते मूल्यों के बीच रिश्तों की सच्चाई और पवित्रता बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह त्योहार हमें न केवल अपने परिवार के सदस्यों के प्रति बल्कि समाज की हर महिला के सम्मान और सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने का संकल्प भी दिलाता है। साहनी ने इस पर्व को ‘नारी सम्मान और सुरक्षा का जन-आंदोलन’ बनाने की बात कही।
इस अवसर पर साहनी ने निषाद समुदाय और अन्य वंचित वर्गों की महिलाओं के सशक्तिकरण पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन जैसे पर्वों पर हम केवल राखी बांधकर औपचारिकता न निभाएं, बल्कि महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ठोस कदम उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में महिला सुरक्षा के लिए कानून तो मौजूद हैं, लेकिन उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जनजागरण और सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। सुशिल साहनी ने सभी भाइयों से अपील की कि वे केवल अपनी बहनों की नहीं, बल्कि समाज की हर महिला को बहन मानकर उनके अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करें। उन्होंने रक्षाबंधन को एक ‘सामाजिक सुरक्षा संकल्प दिवस’ के रूप में मनाने का सुझाव भी दिया। इस मौके पर निषाद युवा वाहिनी के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ राखी बांधने की रस्म निभाई गई और मिठाइयों का वितरण किया गया।
निषाद युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध समाजसेवी सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट का नाम आज समाज सेवा, सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण का पर्याय बन चुका है। वर्षों से सक्रिय सामाजिक और राजनीतिक जीवन में, उन्होंने अपने विचारों और कार्यों से न केवल निषाद समुदाय, बल्कि समाज के सभी वर्गों में सम्मान अर्जित किया है।
सामाजिक सेवा की यात्रा
सुशिल चन्द साहनी का जीवन बचपन से ही संघर्षों और प्रेरणाओं से भरा रहा। उन्होंने वकालत के पेशे को चुना, लेकिन अपनी कानूनी समझ और सामाजिक सरोकार को जोड़ते हुए हमेशा पीड़ित और वंचित वर्गों की आवाज़ बने। अदालत के गलियारों से लेकर गांव-कस्बों तक, उनकी पहचान एक ऐसे नेता की है जो केवल मंच पर भाषण देने तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझते और हल करते हैं।
निषाद युवा वाहिनी का नेतृत्व
राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, सुशिल साहनी ने निषाद युवा वाहिनी को एक संगठित, सशक्त और सक्रिय संगठन के रूप में खड़ा किया। उनके नेतृत्व में संगठन ने महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, और सामाजिक भेदभाव जैसे मुद्दों पर कई बड़े अभियान चलाए।
रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व
रक्षाबंधन, जिसे आमतौर पर ‘राखी का पर्व’ भी कहा जाता है, भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह केवल भाई-बहन के बीच प्रेम और विश्वास का उत्सव नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज में आपसी एकता, सम्मान और सुरक्षा की भावना को भी सुदृढ़ करता है। प्राचीन काल से ही इस पर्व का उल्लेख पौराणिक कथाओं, लोकगाथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं में मिलता है। इसे रक्षाबंधन की मूल भावना का सबसे प्राचीन और प्रेरणादायक उदाहरण माना जाता है।
रक्षाबंधन का महत्व केवल धार्मिक या ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी गहरा है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि रिश्ते केवल खून के रिश्ते नहीं होते, बल्कि विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी से भी बनते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में इसे अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है — कहीं इसे झूलन पूर्णिमा के रूप में, तो कहीं सलूनो या नारियल पूर्णिमा के रूप में। आज के समय में, रक्षाबंधन एक व्यापक सामाजिक संदेश लेकर आता है — हर बहन के सम्मान की रक्षा करना और हर महिला की सुरक्षा को अपना कर्तव्य मानना। यह त्योहार भाई-बहन के व्यक्तिगत बंधन को पार कर पूरे समाज में सुरक्षा और सद्भाव का संदेश फैलाता है।
निषाद युवा वाहिनी की पहल
निषाद युवा वाहिनी, सामाजिक सेवा और जनकल्याण के क्षेत्र में सक्रिय एक संगठन है, जो विशेष रूप से समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्य करता है।
महिलाओं की शिक्षा व सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान
निषाद युवा वाहिनी विभिन्न जिलों और गांवों में नियमित रूप से जागरूकता शिविर आयोजित करती है, जहां लड़कियों को शिक्षा का महत्व, आत्मरक्षा तकनीक और कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है। इन कार्यक्रमों में महिला अधिकार विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी और शिक्षाविद शामिल होते हैं, जो सीधे तौर पर ग्रामीण महिलाओं और युवतियों से संवाद करते हैं। संगठन का मानना है कि शिक्षित और जागरूक महिला ही अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती है और समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकती है।
1. रक्षाबंधन का मुख्य संदेश क्या है?
रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। यह केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि समाज में एकता, सौहार्द और महिला सम्मान का संकल्प भी देता है।
2. सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट ने इस अवसर पर क्या संदेश दिया?
उन्होंने सभी नागरिकों से आपसी भाईचारा और सौहार्द बनाए रखने की अपील की, और रक्षाबंधन को ‘नारी सम्मान और सुरक्षा का जन-आंदोलन’ बनाने का आह्वान किया।
3. निषाद युवा वाहिनी क्या है?
यह एक सामाजिक संगठन है जो वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान, खासकर महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए काम करता है।
4. संगठन महिला शिक्षा और सुरक्षा के लिए क्या करता है?
यह संगठन विभिन्न जिलों और गांवों में जागरूकता शिविर लगाता है, जहां महिलाओं को शिक्षा का महत्व, आत्मरक्षा तकनीक और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाती है।
5. क्या संगठन विवाह में भी सहयोग करता है?
हाँ, निषाद युवा वाहिनी गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह में आर्थिक और सामाजिक सहयोग प्रदान करती है, और कई बार सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी आयोजित करती है।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |