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सावन की शुरुआत के साथ गूंजे ‘बम-बम भोले’ के जयकारे, हरिद्वार से काशी तक उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

दिनांक : 11.07.2025 | Koto News | KotoTrust |
श्रावण मास का आगमन होते ही सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रद्धा, आस्था और शिव भक्ति का माहौल बन गया है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है। आज, सावन माह के पहले शुक्रवार को देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों – हरिद्वार, वाराणसी और प्रयागराज – में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। ‘बम-बम भोले’, ‘हर-हर महादेव’ और ‘जय शंकर की’ जैसे जयकारों से गूंजते इन तीर्थ क्षेत्रों में आस्था, भक्ति और सेवा का समर्पणपूर्ण संगम देखने को मिला।

हरिद्वार में गूंजे ‘बम-बम भोले’ के स्वर

देवभूमि हरिद्वार में आज सुबह से ही हर की पौड़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। गंगा किनारे भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई और गंगाजल एकत्र कर अपनी कांवड़ यात्रा की ओर रवाना हुए। वातावरण ‘बम-बम भोले’ और ‘हर-हर महादेव’ के नारों से गुंजायमान हो गया।

विशेष आकर्षण का केंद्र रहा कनखल स्थित दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर, जिसे भोलेनाथ की ससुराल के रूप में भी जाना जाता है। यहां श्रद्धालु सुबह 4 बजे से ही कतारों में लग गए थे। जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं ने गंगाजल, दूध, बेलपत्र, भस्म और पुष्प चढ़ाए।

 

 प्रशासन की व्यवस्था से राहत

हरिद्वार में इस बार प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को ध्यान में रखते हुए चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं। पूरे शहर को सेक्टरों में बांटकर पुलिस बल की तैनाती की गई है। साथ ही मेडिकल कैंप, जलपान केंद्र, मोबाइल शौचालय और विश्राम स्थलों की व्यवस्था ने दर्शन को सरल और सुलभ बना दिया।

हरिद्वार के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इस वर्ष अनुमानित 10 लाख श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, “श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है। कांवड़ियों की आवाजाही के लिए विशेष रूट तैयार किए गए हैं और CCTV की निगरानी से पूरा क्षेत्र सुरक्षित किया गया है।”

 काशी विश्वनाथ में उमड़ी श्रद्धा की बाढ़

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में आज सुबह 3 बजे मंगला आरती से दिन की शुरुआत हुई। इसके बाद मंदिर द्वार आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। मंदिर परिसर में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। लंबी कतारों में खड़े श्रद्धालु ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचे।

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की वजह से श्रद्धालुओं को दर्शन में अब अधिक सुविधा हो रही है। दिल्ली से दर्शन को पहुंची श्रद्धालु सुनीता देवी ने बताया, “सावन का पहला दिन है और बाबा के दर्शन सुखद अनुभव रहा। मंदिर की व्यवस्था बहुत व्यवस्थित और साफ-सुथरी है।’’

मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने स्वयं मंदिर परिसर में शिवभक्तों पर पुष्पवर्षा कर उन्हें सम्मानित किया और सेवा भाव को सर्वोपरि बताया।

प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर आस्था की बाढ़


प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर पुण्य स्नान किया। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में हजारों भक्त गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर डुबकी लगाते दिखाई दिए। यहां से वे जल लेकर श्रीमनकामेश्वर मंदिर पहुंचे और भगवान शिव के विविध रूपों की पूजा-अर्चना की।

शिविर’ लगाया गया है, जिसमें कांवड़ियों को जलपान, प्राथमिक चिकित्सा और विश्राम की सुविधा दी जा रही है।

सावन या श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित वह महीना है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यह मास चातुर्मास का हिस्सा होता है और वर्षा ऋतु के दौरान आता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन में निकले विष को जब भगवान शिव ने ग्रहण किया था, तब पूरा ब्रह्मांड उनके ताप से जलने लगा था। देवताओं ने उन्हें शीतलता प्रदान करने हेतु जल अर्पित किया और यही परंपरा सावन में जलाभिषेक के रूप में आज तक निभाई जाती है।
विशेषकर सोमवार के दिन शिव उपासना को अत्यंत फलदायी माना गया है। श्रद्धालु उपवास रखते हैं, बेलपत्र, दूध, दही, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

सावन के अवसर पर भारत भर के विभिन्न शिव तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कुछ विशेष स्थानों में शामिल हैं:

हरिद्वार: जहां से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है

काशी (वाराणसी): भगवान शिव का प्रिय नगर, जहां बाबा विश्वनाथ का मंदिर है

प्रयागराज: संगम के किनारे बसे शिव मंदिरों की विशेष पूजा होती है

उज्जैन: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है

अमरनाथ (जम्मू-कश्मीर): हिमलिंग दर्शन के लिए कठिन यात्रा

त्रयंबकेश्वर (महाराष्ट्र): शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक स्थल

हर स्थान पर सावन के महीने में विशेष रुद्राभिषेक, भजन-संध्या, शिव पुराण कथा और सेवा कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

सावन मास में शिवभक्त निम्नलिखित अनुष्ठानों का पालन करते हैं:

गंगा स्नान: गंगा को मां का दर्जा दिया गया है और इसमें स्नान से पापों से मुक्ति का विश्वास है

कांवड़ यात्रा: शिवभक्त (कांवड़िए) गंगाजल लेकर शिव मंदिरों तक पदयात्रा करते हैं

बेलपत्र अर्पण: माना जाता है कि बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है

रुद्राभिषेक: शिवलिंग पर विभिन्न पवित्र वस्तुओं से अभिषेक कर रुद्र के तांडव को संतुलित किया जाता है

शिव पुराण पाठ: माह भर के दौरान शिव कथा का वाचन होता है

ये सभी अनुष्ठान न केवल धार्मिक पुण्य प्रदान करते हैं, बल्कि सामूहिक ऊर्जा और आध्यात्मिक शुद्धता का माध्यम बनते हैं।

सावन मास की एक अनूठी परंपरा है कांवड़ यात्रा, जिसमें शिवभक्त हरिद्वार, गौमुख, देवप्रयाग जैसे स्थानों से पवित्र गंगाजल लेकर पैदल चलते हुए अपने स्थानीय शिवालयों में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

यह यात्रा कई सौ किलोमीटर लंबी हो सकती है

भक्त पूरी यात्रा नंगे पांव तय करते हैं

रास्ते भर ‘बम-बम भोले’ के जयघोष होते हैं

यह यात्रा त्याग, तपस्या और संकल्प का प्रतीक है

सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाएं कांवड़ियों की सहायता के लिए मार्ग में सेवा शिविर, चिकित्सा, जल और भोजन की सुविधा उपलब्ध कराती हैं।

सावन के दौरान भक्तजन व्रत रखते हैं और सात्विक भोजन करते हैं। व्रत में कई विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे:

फलाहार: केला, सेब, अनार आदि

साबूदाना खिचड़ी: पचने में हल्की और ऊर्जावान

कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की पूड़ी/पकौड़ी

आलू की सब्ज़ी: टमाटर व मूंगफली के साथ बनाई जाती है

मखाना खीर, लौकी का हलवा आदि
इस दौरान अनाज, नमक और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है। आहार में संयम और सात्विकता को विशेष महत्व दिया जाता है।

श्रावण मास केवल पूजा और व्रत का समय नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और सेवा भाव का भी पर्व है।

सामूहिक भजन-कीर्तन, शिव बारात, झांकी और शोभा यात्राएं

गरीबों को भोजन वितरण, वस्त्र दान और स्वास्थ्य शिविर

महिलाएं विशेष रूप से सावन सोमवार का व्रत रखकर परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं

युवा और किशोर वर्ग शिवालयों की सेवा, सफाई और सजावट में भाग लेते हैं

इस प्रकार यह महीना धर्म, सेवा, अनुशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व को एक साथ लेकर चलता है।

 

Source: DD News

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