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Sawan 2025 : सावन मास की आरंभ के साथ शिवभक्ति में डूबा भारत, उज्जैन से देवघर तक मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब

दिनांक : 11.07.2025 | Koto News | KotoTrust |सावन मास की शुभ शुरुआत के साथ ही देशभर के प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्ति, आस्था और सेवा की मिसाल बने इस पहले दिन देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के दर्शन व जलाभिषेक के लिए मंदिरों में पहुंचे। उज्जैन के महाकाल मंदिर से लेकर देवघर के बैद्यनाथधाम और खंडवा के ओंकारेश्वर तक शिवालय “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के नारों से गूंज उठे।

बाबा महाकाल की

श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। भगवान महाकाल का पंचामृत से अभिषेक किया गया और भांग, चंदन, सूखे मेवों और पुष्पों से उनका भव्य श्रृंगार किया गया। रजत मुकुट, पुष्पमाला और शेषनाग से सजे शिवलिंग पर मिष्ठान का भोग अर्पित किया गया। मंदिर समिति ने दर्शन व्यवस्था को सुगम बनाए रखने के लिए अलग-अलग लाइन, ई-टोकन व सुरक्षा इंतजाम किए हैं।

ओंकारेश्वर में शयन आरती का अद्भुत दृश्य, श्रद्धालुओं ने लिया मां नर्मदा में स्नान

खंडवा जिले के ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। सुबह चार बजे से ही भक्त मां नर्मदा में पवित्र स्नान कर बाबा ओंकार के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे। ओंकार पर्वत पर स्थित इस मंदिर में रात की शयन आरती को विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि मान्यता है कि ब्रह्मांड का संचालन करते हुए भगवान शिव रात्रि में यहीं विश्राम करते हैं। मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा हेतु पारंपरिक अनुष्ठान के साथ-साथ सुरक्षा, जलपान एवं मार्गदर्शन की विस्तृत व्यवस्था की।

देवघर में लाखों कांवड़िए पहुंचे बाबा बैद्यनाथधाम, श्रावणी मेले की भव्य शुरुआत

झारखंड के देवघर में सावन मास के पहले दिन से ही विश्वविख्यात श्रावणी मेला आरंभ हुआ। बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर निकले लाखों कांवड़िए पैदल यात्रा कर बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित करने पहुंचे। मंदिर को भव्य फूलों की सजावट से सुसज्जित किया गया है। ‘बोल बम’ के जयघोष से वातावरण शिवमय हो उठा। एक श्रद्धालु ने बताया कि “हमारी 40 सदस्यीय टोली हर साल जल लेकर आती है। इस बार भी हमने जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया है।” बिहार-झारखंड प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक व्यवस्था, शिविर, स्वास्थ्य और जलपान व्यवस्था को सुनिश्चित किया है। मेला रक्षाबंधन यानी 9 अगस्त को समाप्त होगा।

मेरठ सहित उत्तर भारत के अन्य शहरों में भी दिखी भक्ति की अनोखी तस्वीर

उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, लखनऊ सहित कई शहरों में मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। सुबह से ही श्रद्धालु भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म आदि अर्पित करने पहुंचे। खासतौर पर सोमवार व्रत करने वालों की संख्या अधिक रही। मंदिरों में कीर्तन, भजन व शिव पुराण पाठ का आयोजन किया गया। स्थानीय प्रशासन ने यातायात, पार्किंग, जल वितरण, मेडिकल सहायता एवं साफ-सफाई की सुविधाएं मुहैया कराईं।

सावन का महत्व और व्यवस्थाएं

सावन मास हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह भगवान शिव की उपासना का विशेष काल है। पूरे माह में विशेषकर सोमवार को उपवास रखा जाता है और शिवलिंग पर जलाभिषेक व रुद्राभिषेक किया जाता है। इस वर्ष सावन 11 जुलाई से आरंभ होकर 9 अगस्त तक चलेगा।

शिवालयों में भीड़ को देखते हुए सभी राज्यों के धार्मिक व नागरिक प्रशासन ने सुरक्षा, चिकित्सा, पेयजल, महिला सहायता केंद्र, एवं ध्वनि विस्तारक यंत्रों के जरिए सतत प्रसारण की व्यवस्था की है। कई जगहों पर हेल्पलाइन नंबर, मोबाइल टॉयलेट्स, और वॉलिंटियर फोर्स भी तैनात की गई है।

शिव की आराधना के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूरण माना जाता है। श्रावण मास में आने वाले प्रत्येक सोमवार को “श्रावण सोमवारी व्रत” रखा जाता है, जिसे शिवभक्त विशेष श्रद्धा और नियमों के साथ करते हैं।


इस पावन मास में हरिद्वार, उज्जैन (महाकालेश्वर), काशी (विश्‍वनाथ), देवघर (बाबा बैद्यनाथ), ओंकारेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, तथा प्रयागराज जैसे तीर्थस्थलों पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यहां विशेष पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन, और शिवालयों में रुद्राभिषेक जैसे आयोजन होते हैं।


सावन मास के दौरान शिव भक्त विविध प्रकार के अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जिनमें शामिल हैं:


सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। लाखों कांवड़िए सुल्तानगंज (बिहार) से पवित्र गंगाजल भरकर, नंगे पाँव चलते हुए देवघर (झारखंड) के बाबा बैद्यनाथ धाम पहुँचते हैं और भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। यह यात्रा भक्ति, तप और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।


इतनी बड़ी धार्मिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियाँ की हैं:


सावन मास केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं, यह आत्मशुद्धि और संयम का भी प्रतीक है। इस दौरान लोग मांसाहार, नशा और व्यसन से दूर रहते हैं, सेवा, दान, और व्रत के माध्यम से अपने जीवन में धार्मिक अनुशासन लाते हैं। यह महीना आत्मचिंतन, शांति और भक्ति के माध्यम से आत्मिक उत्थान का अवसर प्रदान करता है।

Source : DD News

सावन मास 2025 — FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. सावन मास 2025 में कब से कब तक रहेगा?

उत्तर: सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हुई है और इसका समापन रक्षाबंधन के दिन, 9 अगस्त 2025 को होगा।

2. सावन मास में कौन-से दिन विशेष माने जाते हैं?

उत्तर: विशेष रूप से सोमवार (श्रावण सोमवारी) को अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

3. क्या सावन मास में कांवड़ यात्रा होती है?

उत्तर: हाँ, लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज (बिहार) से गंगाजल लेकर पैदल चलते हुए देवघर (झारखंड) स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में जल अर्पित करते हैं। यह यात्रा “बोल बम” के नारों के साथ पूर्ण भक्ति भाव से की जाती है।

4. सावन में किन प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ सबसे अधिक होती है?

उत्तर:

5. उज्जैन की भस्म आरती क्या होती है?

उत्तर: उज्जैन के महाकाल मंदिर में प्रतिदिन प्रातः 3 बजे भस्म आरती होती है, जिसमें शिवलिंग पर चिता की भस्म से पूजा की जाती है। सावन में इसकी भव्यता और श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।

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