
Securing Digital Cities : डिजिटल शहरों की सुरक्षा हेतु एकजुट हुआ भारत शहरी साइबर सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
दिनांक : 21.07.2025 | Koto News | KotoTrust |
देश में शहरी डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार के साथ ही साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी बढ़ी हैं। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने गृह मंत्रालय (MHA) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के साथ मिलकर 18 जुलाई 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के शहरों को साइबर खतरे से सुरक्षित बनाना और डिजिटल शहरीकरण को संरक्षित बनाना था।
सहभागिता और मुख्य वक्ता
इस सम्मेलन में देश भर से आए 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें राज्य सरकारों के आईटी और शहरी विकास सचिव, नगर आयुक्त, स्मार्ट सिटी मिशन के सीईओ, साथ ही CERT-In, NCIIPC, I4C, STQC जैसे साइबर सुरक्षा से जुड़े प्रमुख संस्थानों के अधिकारी उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में आवास एवं शहरी मामलों के सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला, केंद्रीय गृह सचिव श्री गोविंद मोहन, और UIDAI के सीईओ श्री भुवनेश कुमार ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत की तेजी से डिजिटलीकृत हो रही शहरी व्यवस्था को मजबूत और लचीला साइबर सुरक्षा ढांचा देना समय की आवश्यकता है।
प्रस्तुत की गई प्रमुख पहलें
जैसे – ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, स्मार्ट स्ट्रीट लाइट्स, डिजिटल पेमेंट सिस्टम, वॉटर सप्लाई नेटवर्क – साइबर हमलों के लिए अधिक संवेदनशील मानी जा रही हैं।
एसपीवी की भूमिका और भविष्य की रूपरेखा
सम्मेलन में विशेष ध्यान Special Purpose Vehicles (SPVs) की भूमिका पर दिया गया। परामर्श संख्या 27 (जून 2025) में बताए गए दिशानिर्देशों को आधार मानते हुए चर्चा की गई कि कैसे एसपीवी को परामर्शदाता, नवप्रवर्तन प्रेरक, नीति अनुसंधानकर्ता और निवेश सुविधा के रूप में पुनः परिभाषित किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि शहरी प्रशासन में नवाचार और तकनीकी एकीकरण के साथ-साथ डेटा सुरक्षा, नागरिक गोपनीयता और सूचना तक पहुंच के मुद्दों को संतुलन में रखना जरूरी है।
इंटेलिजेंस एजेंसियों की चेतावनी और साइबर खतरों की प्रकृति
सम्मेलन में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि स्मार्ट शहरों में बढ़ते तकनीक-आधारित प्रशासन के साथ फिशिंग, डेटा ब्रीच, रैनसमवेयर, डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) जैसे खतरे अधिक तेजी से उभर रहे हैं। विशेष रूप से जब शहरों की आवश्यक सेवाएं – जैसे अस्पताल, अग्निशमन, जलापूर्ति – डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर आधारित हों, तब इन सेवाओं की साइबर सुरक्षा में सेंध देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।
सहयोग की आवश्यकता और नीति सुझाव
सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि शहरी स्थानीय निकायों को साइबर सुरक्षा के लिए केवल तकनीकी उपायों पर ही नहीं, बल्कि मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण, और जन-जागरूकता अभियान जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। यह सुझाव दिया गया कि प्रत्येक शहर में स्थानीय साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (City CERT) का गठन किया जाए। साथ ही राज्यों के बीच साइबर इन्फॉर्मेशन शेयरिंग नेटवर्क भी विकसित किया जाए जिससे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई हो सके।
सम्मेलन का समापन और भविष्य की दिशा
अंत में सभी प्रतिनिधियों की सहमति से यह निष्कर्ष निकाला गया कि डिजिटल ट्रांज़िशन के प्रत्येक चरण में साइबर सुरक्षा को रणनीतिक प्राथमिकता दी जाए। एसपीवी को नीति निर्धारण, डेटा शासन, और सुरक्षित तकनीकी नवाचार के केंद्र के रूप में सशक्त किया जाए। साथ ही केंद्र सरकार ने घोषणा की कि वह जल्द ही “Urban Cyber Security Framework – India 2040” की दिशा में परामर्श प्रक्रिया शुरू करेगी।
यह ऐतिहासिक सम्मेलन भारत की राजधानी दिल्ली के प्रमुख सम्मेलन स्थल विज्ञान भवन में आयोजित किया गया। आयोजन स्थल का चयन यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार इस विषय को कितनी गंभीरता से ले रही है। इस सम्मेलन में केंद्र सरकार के तीन महत्वपूर्ण मंत्रालय – आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA), गृह मंत्रालय (MHA) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) – ने मिलकर भागीदारी की। तीनों मंत्रालयों ने मिलकर भारत के शहरी क्षेत्रों को साइबर खतरों से सुरक्षित करने के लिए एक ठोस और व्यापक रणनीति तैयार करने पर मंथन किया।
यह तारीख भारत के डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई। पहली बार इतने बड़े पैमाने पर शहरी साइबर सुरक्षा जैसे जटिल और संवेदनशील विषय पर केंद्र इस दिन न केवल रणनीतिक चर्चाएं हुईं बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाले महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए।
इस सम्मेलन में भारत के सभी हिस्सों से 300 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए। प्रमुख प्रतिभागियों में राज्य सरकारों के आईटी सचिव, शहरी विकास सचिव, नगर निगमों के आयुक्त, स्मार्ट शहर मिशनों के सीईओ, और डिजिटल एवं साइबर सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे।
CISO की नियुक्ति, साइबर ऑडिट
शहरी क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं के बढ़ते उपयोग को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि शहरों की सेवाएं साइबर सुरक्षित हों। इसीलिए अब प्रत्येक स्मार्ट शहर में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (CISO) की नियुक्ति अनिवार्य की गई है।
इसके अतिरिक्त शहरी सेवाओं जैसे – ट्रैफिक मैनेजमेंट, वॉटर सप्लाई, स्ट्रीट लाइट्स, डिजिटल हेल्थ आदि के लिए नियमित साइबर सुरक्षा ऑडिट की योजना बनाई गई है। इन सेवाओं के डिजिटलीकरण से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए तकनीकी सुरक्षा उपायों की निगरानी अनिवार्य की गई है।
ये सभी प्रमुख सरकारी संस्थाएं भारत की साइबर सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
MoHUA ने शहरी निकायों के डिजिटलीकरण को दिशा देने का कार्य किया।
MHA ने आंतरिक सुरक्षा को साइबर दृष्टिकोण से मजबूत बनाने पर बल दिया।
MeitY ने साइबर नीति, डेटा सुरक्षा और तकनीकी सहायता के पहलुओं पर चर्चा की।
CERT-In ने त्वरित साइबर प्रतिक्रिया की रणनीति प्रस्तुत की।
NCIIPC ने महत्वपूर्ण अवसंरचना की सुरक्षा उपाय साझा किए।
STQC ने डिजिटल प्रणालियों की गुणवत्ता और प्रमाणीकरण पर ज़ोर दिया।
I4C ने साइबर अपराध से निपटने की योजनाओं को साझा किया।
इंटर-एजेंसी सहयोग, जोखिम प्रबंधन
नीति निर्माण, नवाचार, डेटा संरक्षण, और डिजिटल शासन के प्रमुख वाहक के रूप में विकसित किया जाए।
इसके साथ ही विभिन्न एजेंसियों और संस्थाओं के बीच सूचना साझेदारी, आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली, और समन्वित प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे इंटर-एजेंसी सहयोग मॉडल पर विस्तृत चर्चा हुई।
इसके अतिरिक्त, जोखिम प्रबंधन की संरचित प्रणाली और साइबर खतरे से निपटने के लिए सतर्कता योजनाओं पर सहमति बनी।
संख्या 27 (जून 2025)
इस नीति दस्तावेज़ को सम्मेलन में केंद्र बिंदु के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसमें शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के लिए साइबर सुरक्षा से संबंधित न्यूनतम मानक, तकनीकी ढांचा, मानव संसाधन प्रशिक्षण, और रिपोर्टिंग प्रक्रिया को बताया गया है।
राज्यों को इस दस्तावेज़ को अपनाने और स्थानीय स्तर पर गाइडलाइन के रूप में लागू करने की सिफारिश की गई। इस रिपोर्ट के माध्यम से SPVs को नीति अनुसंधान, डेटा विश्लेषण, और नागरिक केंद्रित साइबर सेवाओं की निगरानी में नई भूमिका दी गई।
Urban Cyber Security Framework – India 2040
सम्मेलन में यह प्रस्ताव पारित हुआ कि भारत सरकार जल्द ही “अर्बन साइबर सुरक्षा ढांचा – इंडिया 2040” को लागू करेगी।
इस नीति का लक्ष्य होगा कि भारत के सभी शहरी क्षेत्रों में 2040 तक एक मजबूत, सुरक्षित और लचीला साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित हो।
इस योजना के अंतर्गत:
साइबर सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाएं
नियमित साइबर ऑडिट सिस्टम
अधिकारी व कर्मियों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल
नागरिकों के लिए जागरूकता अभियान,
जैसी व्यवस्थाओं को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।
Source : PIB