Strengthening of animal health : पशु स्वास्थ्य की सुदृढ़ता हेतु ईसीएएच की 9वीं बैठक सम्पन्न, एफएमडी उन्मूलन व टीका आत्मनिर्भरता पर ज़ोर
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Strengthening of animal health : पशु स्वास्थ्य की सुदृढ़ता हेतु ईसीएएच की 9वीं बैठक सम्पन्न, एफएमडी उन्मूलन व टीका आत्मनिर्भरता पर ज़ोर

दिनांक : 25.07.2025 | Koto News | KotoTrust |

नई दिल्ली। भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) के तत्वावधान में देश के पशु स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में एक और मील का पत्थर उस समय स्थापित हुआ जब नई दिल्ली में पशु स्वास्थ्य पर अधिकार प्राप्त समिति (ईसीएएच) की 9वीं बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने की, जबकि उपाध्यक्षता डीएएचडी सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने की। इस मंच पर देश के अग्रणी वैज्ञानिक, नीति निर्माता, और स्वास्थ्य संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत में पशु स्वास्थ्य तंत्र की समग्र समीक्षा करना और आगामी रणनीतियों को तय करना था। खुरपका-मुँहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) और पीपीआर जैसे घातक पशु रोगों की रोकथाम में अब तक की प्रगति और भविष्य की दिशा पर व्यापक विमर्श हुआ। प्रो. सूद ने विभाग की योजनाओं की सराहना करते हुए विशेष रूप से मीडिया और जन-जागरूकता अभियानों की भूमिका पर बल दिया।

डीएएचडी ने बैठक में पशु चिकित्सा औषधियों, टीकों, जैविक उत्पादों और आहार योजकों से संबंधित नियामक ढांचे में सुधार की जानकारी साझा की। इन सुधारों का उद्देश्य न केवल पशु स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाना है, बल्कि किसानों और पशुपालकों को समय पर और प्रभावी इलाज एवं टीके उपलब्ध कराना भी है। पशु टीकों की घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि और निर्यात के नए अवसर भी इस चर्चा का केंद्र रहे।

अब तक, विभाग द्वारा एफएमडी की 124.10 करोड़ खुराकें, पीपीआर की 28.89 करोड़, ब्रुसेलोसिस की 4.77 करोड़ और सीएसएफ की 0.88 करोड़ खुराकें वितरित की जा चुकी हैं। इन आंकड़ों के डिजिटल संकलन हेतु ‘भारत पशुधन एप्लिकेशन’ का उपयोग किया जा रहा है। टीकाकरण की प्रभावशीलता बढ़ाने और कोल्ड चेन की निगरानी के लिए एनिमल वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (एवीआईएन) की स्थापना की गई है, जो वैक्सीन वितरण की पारदर्शिता और दक्षता को सुनिश्चित करता है।

एफएमडी उन्मूलन की दिशा में भारत ने नौ राज्यों को एफएमडी मुक्त क्षेत्र घोषित करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया है। इसके अतिरिक्त, सभी प्रमुख राष्ट्रीय नियंत्रण कार्यक्रमों (एनसीपी) में प्रयुक्त टीकों का स्वदेशी उत्पादन भारत को आत्मनिर्भर बनाता है। यही नहीं, भारत ने अनेक विकासशील देशों को पशु टीकों का निर्यात भी शुरू किया है, जिससे वैश्विक पशु स्वास्थ्य सहयोग में भारत की भूमिका और सशक्त हुई है।

 विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) द्वारा भारत के पहले अश्व रोग-मुक्त कम्पार्टमेंट (EDFC) के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। यह प्रमाणन भारत के खेल घोड़ों की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग प्रशस्त करता है।

पोल्ट्री सेक्टर में भारत ने 44 अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) कम्पार्टमेंट स्थापित किए हैं। ये कम्पार्टमेंट निर्यात-उन्मुख और जैव सुरक्षा उत्पादन प्रणालियों का उदाहरण हैं, जिससे भारत का पोल्ट्री उद्योग वैश्विक मानकों के अनुरूप सिद्ध होता है।

एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत, आईसीएआर–राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), भोपाल को हाल ही में WOAH और FAO द्वारा A श्रेणी रिंडरपेस्ट होल्डिंग फैसिलिटी (RHF) के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। भारत अब उन छह वैश्विक देशों में शामिल हो गया है जो उन्मूलन उपरांत निगरानी में विश्वस्तरीय संरचना रखते हैं।

डब्ल्यूओएएच द्वारा आईसीएआर-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार को अश्व पिरोप्लाज्मोसिस, और आईसीएआर–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ को एफेनोमाइसिस इनवेडंस से होने वाले एपिज़ूटिक अल्सरेटिव सिंड्रोम की संदर्भ प्रयोगशाला के रूप में मान्यता दी गई है। ये मान्यताएँ भारत की प्रयोगशाला विशेषज्ञता और जैव सुरक्षा अनुसंधान क्षमताओं को वैश्विक मान्यता प्रदान करती हैं।

डीएएचडी के नेतृत्व में, भारत में महामारी निधि परियोजना के अंतर्गत दो प्रमुख प्रयोगशाला नेटवर्क विकसित किए गए हैं:

भारतीय जीनोमिक निगरानी नेटवर्क (INGeS) जिसमें 11 प्रयोगशालाएँ हैं।

भारतीय ट्रांसबाउंड्री और उभरते पशु रोग नेटवर्क, जिसमें 19 प्रयोगशालाएँ कार्यरत हैं।

इन नेटवर्क का उद्देश्य बीमारी की पूर्व चेतावनी, त्वरित प्रतिक्रिया और वैज्ञानिक विश्लेषण को तेज़ करना है।

विभाग द्वारा ‘रेट माई लैब’ नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है, जो पशु रोग निदान प्रयोगशालाओं में स्व-मूल्यांकन, पारदर्शिता और गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ावा देता है। साथ ही सीडीडीएल/आरडीडीएल और 17 राज्य प्रयोगशालाओं को NABL मान्यता दिलाने की प्रक्रिया प्रगति पर है, जो भारत की वैज्ञानिक तैयारी को वैश्विक मानकों तक पहुँचाने का प्रयास है।

“पशु स्वास्थ्य पर अधिकार प्राप्त समिति” (Empowered Committee on Animal Health – ECAH) की स्थापना वर्ष 2021 में केंद्र सरकार द्वारा पशु स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने हेतु की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में पशु रोगों की निगरानी, नियंत्रण और उन्मूलन हेतु एक बहु-विषयक एवं समन्वित ढांचा उपलब्ध कराना है।ECAH पशु स्वास्थ्य को “वन हेल्थ” के दृष्टिकोण से देखती है, जिसमें मानव, पशु और पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ा गया है।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों (NCPs) के अंतर्गत टीकाकरण आँकड़े (2025 तक)

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर संचालित चार प्रमुख रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के अंतर्गत, देश के करोड़ों मवेशियों को संक्रामक और जानलेवा रोगों से सुरक्षित रखने हेतु अभूतपूर्व टीकाकरण अभियान चलाए गए हैं। वर्ष 2025 तक के आँकड़े निम्नानुसार हैं:

एफएमडी (खुरपका-मुँहपका)
124.10 करोड़ खुराकें वितरित की गईं, जो इस रोग के उन्मूलन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। इस टीके के माध्यम से पशु उत्पादन और दुग्ध व्यवसाय की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

पीपीआर (पेस्ट देस पेटिट रुमिनैंट्स)
28.89 करोड़ खुराकें दी गईं, जिससे बकरियों और भेड़ों के बीच यह घातक रोग नियंत्रित किया जा सका। इसके कारण गरीब और सीमांत पशुपालकों को आर्थिक स्थिरता मिली।

ब्रुसेलोसिस:
4.77 करोड़ खुराकें दी गईं। यह रोग विशेषकर गायों में गर्भपात और बाँझपन का कारण बनता है, जिसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी होता है।

सीएसएफ (क्लासिकल स्वाइन फीवर)
0.88 करोड़ खुराकें दी गईं, जिससे सुअरों में फैलने वाले इस वायरस से होने वाली आर्थिक क्षति में उल्लेखनीय गिरावट आई।

इन सभी आँकड़ों को ‘भारत पशुधन एप’ के माध्यम से डिजिटली ट्रैक किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है।

प्रमुख संस्थान और उनकी मान्यता

भारत में पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान, टीका उत्पादन, और जैव सुरक्षा की दिशा में प्रमुख संस्थानों ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य किया है:

इस संस्थान को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) और FAO द्वारा A श्रेणी रिंडरपेस्ट होल्डिंग फैसिलिटी (RHF) के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसका अर्थ है कि यह संस्थान वैश्विक महामारी रोग रिंडरपेस्ट के जैव-नमूनों को सुरक्षित और नियमानुसार रख सकता है। भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो इस तरह की सुविधा रखते हैं।


इस इकाई को अश्व रोग-मुक्त क्षेत्र (Equine Disease Free Compartment – EDFC) के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है। यह देश में खेल घोड़ों की वैश्विक आवाजाही और निर्यात की संभावनाओं को बल देता है।

तकनीकी नवाचार और डिजिटल पहलें

भारत सरकार ने पशु स्वास्थ्य को सशक्त बनाने हेतु कई तकनीकी नवाचारों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की शुरुआत की है, जिनसे संपूर्ण प्रक्रिया पारदर्शी, उत्तरदायी और त्वरित बनी है:

एवीआईएन (Animal Vaccine Intelligence Network – AVIN):
यह डिजिटल निगरानी प्रणाली है जो टीकों की कोल्ड चेन, प्रभावशीलता, और लॉजिस्टिक्स की निगरानी करती है। इसके माध्यम से वैक्सीन वितरण की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

भारत पशुधन एप्लिकेशन
यह एप पशु टीकाकरण के आँकड़े, पशु की पहचान, रोग नियंत्रण कार्यक्रमों की स्थिति और प्रशासनिक डैशबोर्ड जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है। इसे पशुपालक, चिकित्सक और प्रशासनिक अधिकारी सभी उपयोग में ले सकते हैं।

रेट माई लैब’ प्लेटफॉर्म
यह एक स्व-मूल्यांकन प्रणाली है जिसमें देशभर की पशु रोग निदान प्रयोगशालाएँ अपनी सेवा गुणवत्ता, बुनियादी ढाँचे, तकनीकी दक्षता और कर्मचारियों की क्षमता का डिजिटल मूल्यांकन कर सकती हैं। इससे उन्हें NABL मान्यता प्राप्त करने में भी सहायता मिलती है।

Source : PIB

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