स्वदेशी बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक को मिला टीडीबी का समर्थन

स्वदेशी बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक को मिला टीडीबी का समर्थन

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। टीडीबी ने गुरुग्राम स्थित बैटएक्स एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड को “क्लोज्ड लूप के माध्यम से बैटरी ग्रेड सामग्री के उत्पादन और मूल्य संवर्धन की प्रौद्योगिकी” परियोजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है।

यह परियोजना देश में लिथियम-आयन बैटरियों के रीसाइक्लिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने, और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे लिथियम, कोबाल्ट, निकल एवं मैंगनीज की घरेलू पुनर्प्राप्ति को बढ़ावा देने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल है।


स्वदेशी और टिकाऊ तकनीक की ओर बड़ा कदम

बैटएक्स एनर्जीज द्वारा विकसित की गई यह तकनीक पूरी तरह स्वदेशी है और एक कम तापमान, कम दबाव वाली हाइड्रोमेटालर्जिकल प्रक्रिया पर आधारित है, जो पारंपरिक बैटरी रीसाइक्लिंग से भिन्न है। कंपनी की यह प्रक्रिया “डुअल मोड ब्लैक मास रिकवरी” का उपयोग करती है, जिसमें गीले (wet) और सूखे (dry) दोनों मोड में बैटरियों को प्रोसेस किया जा सकता है।

इस तकनीक की विशेषता यह है कि यह:

  • 97-99% तक की धातु पुनर्प्राप्ति दक्षता सुनिश्चित करती है।

  • बैटरी केमिस्ट्री के विभिन्न प्रकारों को प्रोसेस कर सकती है।

  • पूरी एंड-टू-एंड प्रक्रिया—जैसे संग्रहण, श्रेडिंग, धातु निष्कर्षण और शुद्धिकरण—स्वदेशी रूप से विकसित की गई है।


आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम

बैटएक्स एनर्जीज की इस पहल से विदेशों से महंगे और रणनीतिक खनिजों के आयात पर भारत की निर्भरता घटेगी। कंपनी ने बताया कि वे उच्च शुद्धता वाले बैटरी-ग्रेड यौगिक, जैसे लिथियम कार्बोनेट और कोबाल्ट सल्फेट, का उत्पादन कर रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं और घरेलू खपत के साथ-साथ निर्यात के लिए भी उपयुक्त हैं।

इस तकनीक के माध्यम से भारत में एक स्थायी, तकनीक-आधारित सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल को बढ़ावा मिलेगा, जो ग्रीन एनर्जी सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।


टीडीबी और बैटएक्स एनर्जीज के वक्तव्य

टीडीबी के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने इस परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा:

“इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर हो रहे बदलाव को सफल बनाने के लिए बैटरियों के लिए मजबूत रीसाइक्लिंग अवसंरचना बेहद जरूरी है। बैटएक्स जैसी स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को समर्थन देने से भारत की रणनीतिक खनिज स्वतंत्रता बढ़ेगी और देश वैश्विक टिकाऊ औद्योगिक नवाचार में अग्रणी बन सकेगा।”

वहीं, बैटएक्स एनर्जीज के सह-संस्थापक और सीईओ श्री उत्कर्ष सिंह ने कहा:

“टीडीबी का यह समर्थन हमारे लिए गेमचेंजर है। यह न केवल हमारी हरित तकनीक (Green Technology) के प्रति प्रतिबद्धता को मान्यता देता है, बल्कि हमें एक पूर्ण स्वदेशी समाधान की ओर आगे बढ़ने की क्षमता भी प्रदान करता है। हमें पूरा विश्वास है कि यह पहल भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर स्वच्छ-तकनीक नवाचार में अग्रणी भूमिका भी दिलाएगी।”


पेटेंट और अनुसंधान में भी अग्रणी

बैटएक्स एनर्जीज ने अब तक सात पेटेंट दायर किए हैं, जिनमें से दो को स्वीकृति मिल चुकी है। कंपनी की इन-हाउस आरएंडडी टीम ने संपूर्ण प्रक्रिया का स्थानीय स्तर पर विकास किया है, जिससे यह क्षेत्रीय रोजगार, नवाचार और तकनीकी स्वायत्तता को भी बढ़ावा देती है।


निष्कर्ष

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में लिथियम-आयन बैटरियों के पुनर्चक्रण को तकनीकी और पर्यावरणीय रूप से सक्षम बनाना अत्यंत आवश्यक है। टीडीबी और बैटएक्स एनर्जीज की यह साझेदारी स्वदेशी नवाचार, आत्मनिर्भर भारत और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है।

यह परियोजना न केवल भारत को महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी, बल्कि वैश्विक बाजार में भी देश की हरित प्रौद्योगिकी क्षमताओं को प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

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