भारत के निर्यात परिदृश्य को मजबूती देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के तहत भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) द्वारा नई दिल्ली में “व्यापार सम्मेलन 2025” का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल भारत के निर्यात समर्थ विकास दृष्टिकोण की पुष्टि थी, बल्कि यह केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई उन व्यापक नीतियों का साक्षी भी बना, जो देश को वैश्विक व्यापार का अग्रणी केंद्र बनाने की दिशा में सतत प्रयासरत हैं।
यह सम्मेलन ऐसे समय आयोजित हुआ जब वैश्विक अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक तनावों, व्यापारिक अनिश्चितताओं और जलवायु संबंधी चुनौतियों के दौर से गुजर रही है। इसके बावजूद भारत की निर्यात नीति में जो स्पष्टता, दृढ़ता और नवाचार का समावेश देखा गया, वह इस सम्मेलन में विशेष रूप से परिलक्षित हुआ।
नेतृत्व की भागीदारी और नीति-निर्धारण की गूंज
इस अवसर पर भारत सरकार की शीर्ष नेतृत्व उपस्थिति ने सम्मेलन की महत्ता को और अधिक बल दिया। केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया। उनके साथ वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी, वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव श्री एम. नागराजू, तथा एक्जिम बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री हर्षा बंगारी उपस्थित रहीं।
अपने उद्घाटन भाषण में श्रीमती सीतारमण ने कहा, “आज का भारत न केवल वैश्विक बाजारों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है, बल्कि निर्यात के क्षेत्र में एक नई पहचान गढ़ रहा है। हमारी सरकार ने संरचनात्मक सुधारों से लेकर नीति निर्धारण तक हर मोर्चे पर निर्यात को प्राथमिकता दी है।”
वैश्विक अनिश्चितता में भी भारत की निर्यातिक मजबूती
श्रीमती सीतारमण ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि भारत ने कठिन वैश्विक परिस्थितियों में भी निर्यात के मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। उन्होंने बताया कि देश ने पिछले वर्ष 778 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल निर्यात (वस्तुएं और सेवाएं मिलाकर) का आंकड़ा छुआ, जो कि एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उपलब्धि सरकार द्वारा किए गए दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधारों, बुनियादी ढांचे के सशक्तीकरण, एमएसएमई सशक्तिकरण, लॉजिस्टिक्स में निवेश और वित्तीय नवाचार के कारण संभव हो सकी है। साथ ही, निर्यात के क्षेत्र में उद्यमशीलता और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतिगत पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है।
व्यापार सहायता कार्यक्रम (TAP): एक अभिनव मॉडल
एक्जिम बैंक द्वारा शुरू किया गया ‘व्यापार सहायता कार्यक्रम (Trade Assistance Programme – TAP)’ भारत में निर्यात सुविधा की दिशा में एक अनूठी पहल है। वित्त मंत्री ने बताया कि TAP के माध्यम से एक्जिम बैंक ने अब तक 100 से अधिक विदेशी बैंकों के साथ साझेदारी स्थापित की है, जिससे 51 देशों में 1,100 से अधिक लेन-देन संभव हुए हैं।
TAP का मूल उद्देश्य उन बाजारों में भारतीय निर्यातकों की पहुँच को सुलभ बनाना है, जो पारंपरिक रूप से उच्च जोखिम वाले माने जाते हैं। इसके माध्यम से जोखिम को विभाजित कर निर्यातकों को वित्तीय सुरक्षा और विश्वास प्रदान किया जाता है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा, “TAP वह पुल है जो भारतीय उद्यमियों को न केवल वित्तीय सहायता देता है, बल्कि उन्हें नए बाजारों में पैर जमाने में भी मदद करता है।”
एमएसएमई सशक्तिकरण: ‘उभरते सितारे’ की उड़ान
भारत की अर्थव्यवस्था में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वित्त मंत्री ने विशेष रूप से ‘उभरते सितारे’ कार्यक्रम का उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत चयनित एमएसएमई उद्यमों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा हेतु प्रशिक्षित और वित्तीय रूप से समर्थ बनाया जा रहा है।
इस सम्मेलन में चयनित एमएसएमई को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। साथ ही वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने कहा कि “एमएसएमई को आत्मनिर्भर भारत का मेरुदंड बनाना हमारी प्रतिबद्धता है। इसी दिशा में एक्जिम बैंक की यह पहल स्वागतयोग्य है।”
एमएसएमई के लिए उद्यम पंजीकरण की प्रक्रिया सरल बनाई गई है, साथ ही संशोधित परिभाषा, क्रेडिट गारंटी स्कीम में सुधार, टीआरईडीएस और बैंकिंग डिजिटलाइजेशन के जरिए उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि की जा रही है।
लॉजिस्टिक्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और गिफ्ट सिटी
भारत सरकार द्वारा निर्यात को सुगम बनाने हेतु परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में भारी निवेश किया गया है। इससे देश की आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली में सुधार हुआ है और निर्यातकों को तेज़, सटीक और प्रतिस्पर्धी सेवा मिल रही है।
इसके अतिरिक्त, गिफ्ट सिटी (GIFT City) में स्थापित एक्जिम फिनसर्व प्लेटफॉर्म को वित्त मंत्री ने निर्यातकों के लिए ‘फाइनेंसिंग का आधुनिक समाधान’ बताया। यह डिजिटल और वैश्विक स्तर पर कार्यरत प्रणाली निर्यातकों को कम समय में अधिक वित्तीय सहायता देने में सक्षम है।
ज़िला निर्यात हब: स्थानीय से वैश्विक की ओर
सरकार की ‘One District One Product’ (ODOP) और जिला निर्यात हब (District Export Hub) जैसी योजनाएं भारत के आंतरिक इलाकों को वैश्विक व्यापार से जोड़ने में क्रांतिकारी साबित हो रही हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि “हर जिला एक संभावना है। यदि उन्हें सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग मिले तो भारत का हर जिला एक निर्यातक बन सकता है।”
एफटीए और पीएलआई स्कीम: वैश्विक व्यापार के द्वार
भारत सरकार वर्तमान में यूरोपीय संघ, अमेरिका, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों के साथ स्वतंत्र व्यापार समझौतों (FTA) पर काम कर रही है। इन समझौतों से भारतीय निर्यातकों को कम शुल्क और सरल बाजार पहुंच का लाभ मिलेगा।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत सरकार ने अब तक निर्यात को लगभग 5.3 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष प्रोत्साहन दिया है। इससे खासतौर पर मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटो और टेक्सटाइल क्षेत्र को निर्यात में बड़ी सहायता मिली है।
नवीन कार्यालय और तकनीकी साझेदारी
कार्यक्रम के दौरान श्रीमती सीतारमण ने लखनऊ, इंदौर और साओ पाउलो (ब्राजील) में एक्जिम बैंक के नए कार्यालयों का वर्चुअल उद्घाटन किया। इन कार्यालयों का उद्देश्य स्थानीय निर्यातकों को मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करना है ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।
इसके साथ ही IIT कानपुर के साथ तकनीकी सहायता समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसका उद्देश्य नवोन्मेषी स्टार्टअप्स को वैश्विक मंच प्रदान करना है। यह साझेदारी अनुसंधान, तकनीकी नवाचार और व्यावसायिक अनुकूलन का मिलाजुला मॉडल प्रस्तुत करती है।
रणनीतिक शोध और ज्ञान साझेदारी
वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने एक्जिम बैंक द्वारा प्रकाशित तीन महत्वपूर्ण शोध पत्रों का विमोचन किया:
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ऊर्जा परिवर्तन हेतु महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षा: यह भारत की हरित ऊर्जा रणनीति के तहत आवश्यक खनिज संसाधनों की वैश्विक आपूर्ति पर केंद्रित है।
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भारत का रक्षा उपकरण उद्योग: इस प्रकाशन में निर्यात के नए आयामों और वैश्विक भागीदारी पर गहन अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
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आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता: इसमें कपड़ा और संबद्ध उत्पादों की मूल्य श्रृंखला का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
ये सभी अध्ययन भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
विचार-विमर्श और सहभागिता
सम्मेलन में देशभर से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें निर्यातक, बैंकिंग संस्थान, नीति-निर्माता, अकादमिक विशेषज्ञ और निर्यात संवर्धन परिषदों के प्रतिनिधि शामिल थे। विभिन्न सत्रों में निर्यात में आने वाली बाधाओं, नई संभावनाओं और तकनीकी सशक्तिकरण पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और यह सुनिश्चित किया गया कि सम्मेलन की अनुशंसाएं नीति निर्माण में परिलक्षित हों।
निष्कर्ष: निर्यात समर्थ भारत की ओर एक निर्णायक कदम
“व्यापार सम्मेलन 2025” ने भारत को निर्यात-प्रेरित अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक ठोस मंच प्रदान किया है। यह सम्मेलन न केवल नीति निर्धारण का माध्यम बना बल्कि भारतीय निर्यात क्षेत्र के लिए नई दिशा, नया दृष्टिकोण और नया विश्वास लेकर आया।
TAP, उभरते सितारे, गिफ्ट सिटी, जिला निर्यात हब, एफटीए, पीएलआई और तकनीकी साझेदारियों जैसी पहलों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत निर्यात के क्षेत्र में मात्र एक भागीदार नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता बनने की ओर अग्रसर है।