विनोद कुमार साहनी
सम्पादक : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | नेपाल निषाद परिषद के केन्द्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समाज में सक्रिय विनोद कुमार साहनी ने इस वर्ष के शुभ अवसरों — दीपावली, छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा और भईया दूज — पर पूरे समाज को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने न केवल पर्वों की खुशियों का उल्लेख किया, बल्कि समाज में भाईचारे, सहयोग और जनसेवा के महत्व पर भी जोर दिया। विनोद कुमार साहनी ने कहा कि पर्व केवल पारिवारिक और व्यक्तिगत आनंद के लिए नहीं हैं, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के बीच मेल-जोल, सहयोग और समझदारी बढ़ाने का समय हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने उत्सवों और खुशियों को केवल अपने घर तक सीमित न रखें, बल्कि जरूरतमंद और गरीब लोगों तक अपनी खुशियाँ पहुँचाएँ। विनोद कुमार साहनी ने अपने संदेश की शुरुआत करते हुए कहा कि दीपावली, छठ पूजा और कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्योहार केवल आनंद और उत्सव का माध्यम नहीं हैं। पर्व हमें यह याद दिलाते हैं कि जब हम दूसरों के जीवन में खुशियाँ फैलाते हैं, तभी समाज में वास्तविक प्रकाश और सांस्कृतिक समृद्धि आती है। उन्होंने बताया कि समाज में सेवा और सहयोग की भावना ही स्थायी विकास की नींव है। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने हिस्से का योगदान करता है — चाहे वह बच्चों के लिए उपहार हो, वृद्धजनों की देखभाल हो या स्वच्छता अभियान में भागीदारी — तभी समाज में सच्चा भाईचारा और सौहार्द स्थापित होता है। विनोद कुमार साहनी ने कहा कि युवा समाज के सबसे प्रभावशाली बदलावकर्ता हैं। यदि युवा अपनी ऊर्जा और संसाधनों को समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों तक पहुँचाएँ, तो त्योहार केवल खुशी बांटने का माध्यम नहीं बल्कि सहानुभूति और सेवा का संदेश भी बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि नेपाल जैसी विविधतापूर्ण संस्कृति में त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में सामूहिक चेतना और एकता को बढ़ाने का अवसर हैं। दीपावली केवल धन और वैभव का प्रतीक नहीं, यह अज्ञान पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं, यह प्रकृति और मानव जीवन में संतुलन का संदेश देती है। विनोद कुमार साहनी ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझकर उन्हें समाज में साझा करना चाहिए। जब युवा यह समझते हैं कि खुशियाँ बाँटना और सेवा करना समाज की मजबूती का आधार है, तभी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त और सकारात्मक समाज का निर्माण संभव होगा। उन्होंने यह भी कहा कि त्योहारों के दौरान गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना केवल मानवता की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को मजबूत करने का भी अवसर है।
विनोद कुमार साहनी ने महिलाओं की समाज में भूमिका पर जोर दिया। महिलाएँ केवल परिवार की संरक्षक नहीं, बल्कि समाज की नैतिक और सांस्कृतिक ताकत हैं। जब महिलाएँ शिक्षा, सेवा और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय होती हैं, तो पूरे समाज की दिशा बदल जाती है। उन्होंने युवाओं से विशेष अपील की कि वे डिजिटल और सोशल मीडिया का उपयोग कर अपने संदेश को समाज के हर कोने तक पहुँचाएँ। आज का युवा ही सबसे प्रभावशाली बदलावकर्ता है। यदि वे अपने उत्सवों और खुशियों को सेवा और सहयोग के रूप में साझा करें, तो समाज में स्थायी सकारात्मक बदलाव आ सकता है। विनोद कुमार साहनी ने यह भी कहा कि नेपाल जैसे बहुसांस्कृतिक देश में भाईचारा बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। त्योहारों के अवसर पर एक-दूसरे की मदद करना और सहयोग करना समाज में सौहार्द और शांति की नींव रखता है।
विनोद कुमार साहनी ने अपने संदेश में जोर देकर कहा कि समाज में स्थायी बदलाव बड़े कार्यों से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे प्रयासों से आता है यदि प्रत्येक व्यक्ति जरूरतमंद बच्चों को उपहार देता है, वृद्धजनों की देखभाल करता है या स्वच्छता अभियानों में हिस्सा लेता है, तो यह समाज में बड़े बदलाव की शुरुआत है। छोटे प्रयास ही बड़े बदलाव की कुंजी हैं।” उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे पर्वों के दौरान खुशियों को केवल अपने घर तक सीमित न रखें। छोटे प्रयास भी समाज में बड़ा फर्क डाल सकते हैं। हम सभी मिलकर नेपाल को एक सशक्त, सौहार्दपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण समाज बना सकते हैं। विनोद कुमार साहनी ने यह भी कहा कि पर्वों का असली उद्देश्य केवल आनंद लेना नहीं है। यह हमें याद दिलाता है कि सेवा, सहयोग और भाईचारे के माध्यम से ही समाज में स्थायी और सार्थक परिवर्तन संभव है।
नेपाल में पर्व केवल व्यक्तिगत खुशी और पारिवारिक आनंद का माध्यम नहीं हैं। वे समाज के हर वर्ग के बीच सेवा, सहयोग और भाईचारे की भावना को जागृत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी हैं। जब हम केवल अपने घर या परिवार तक खुशियाँ सीमित रखते हैं, तो समाज में वास्तविक सामूहिक सौहार्द और सांस्कृतिक समृद्धि नहीं फैल पाती। इसलिए त्योहारों का असली संदेश यही है कि हमारे व्यक्तिगत आनंद के साथ-साथ समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों की मदद करना और सहयोग करना भी उतना ही आवश्यक है।
छोटे-छोटे सामाजिक योगदान, चाहे वह गरीब बच्चों को उपहार देना हो, वृद्धजनों की देखभाल करना हो, या समाज में स्वच्छता, शिक्षा और सुरक्षा जैसे अभियान में भाग लेना हो, वास्तव में समाज में स्थायी बदलाव ला सकते हैं। ये छोटे प्रयास न केवल आवश्यकता और दया की भावना को बढ़ावा देते हैं, बल्कि यह समाज में सहानुभूति, मेल-जोल और सहयोग की संस्कृति को भी मजबूती प्रदान करते हैं। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभाता है, तब छोटे प्रयास सामूहिक रूप से बड़े बदलाव में परिवर्तित हो जाते हैं।
युवा और महिलाएँ समाज में बदलाव लाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। युवा अपनी ऊर्जा, उत्साह और डिजिटल माध्यमों के उपयोग से समाज में सेवा और भाईचारे का संदेश फैला सकते हैं। वहीं महिलाएँ परिवार और समाज की नैतिक और सांस्कृतिक संरचना को बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जब युवा और महिलाएँ मिलकर सामाजिक परियोजनाओं, शिक्षा अभियानों और सेवा कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, तब समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव की नींव रखी जाती है।
सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का पालन और साझा करना भी समाज की मजबूती बढ़ाने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण तरीका है। परंपराएँ केवल रीति-रिवाज नहीं हैं; वे समाज की पहचान, सहयोग और नैतिकता की दिशा निर्धारित करती हैं। जब हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझकर समाज में साझा करते हैं, तो यह समाज में एकता, सौहार्द और सामूहिक चेतना को विकसित करता है। इसके साथ ही यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सशक्त और सकारात्मक समाज का निर्माण करता है।
अंततः, प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी से ही नेपाल में स्थायी भाईचारा और सौहार्द स्थापित हो सकता है। प्रत्येक नागरिक का छोटा प्रयास — चाहे वह जरूरतमंदों की मदद करना हो, सामूहिक गतिविधियों में भाग लेना हो, या समाज में नैतिकता और सेवा की संस्कृति फैलाना हो — बड़े बदलाव की नींव रखता है। यही त्योहारों का वास्तविक संदेश है: खुशियाँ बाँटना, सेवा करना, सहयोग बढ़ाना और समाज में स्थायी भाईचारे की भावना को मजबूत करना।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)