बैंगलोर संवादाताः कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | बैंगलोर के यालंका स्थित अलायन क्लब में रविवार, 10 अगस्त 2025 को वीरांगना फूलन देवी की जयंती बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाई गई। यह कार्यक्रम निषाद युवा वाहिनी के तत्वाधान में आयोजित हुआ। समारोह में सुप्रसिद्ध समाजसेवी सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट के साथ बैंगलोर और मुंबई से आए वरिष्ठ समाजसेवी एवं सम्मानित सदस्य शामिल हुए।
इस अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों ने एक मंच पर आकर न केवल वीरांगना के बलिदान को याद किया, बल्कि समाज के भविष्य, शिक्षा के प्रसार, मछुआरा आरक्षण और संगठन के विस्तार पर भी गंभीर चर्चा की।
अतिथियों की उपस्थिति और स्वागत
बैंगलोर से कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे — मा० दिनेश निषाद (समाजसेवी), मा० रमाशंकर निषाद, मा० सुरेन्द्र निषाद, मा० दीपक निषाद, मा० राजेश निषाद, मा० अच्हेलाल, तथा मा० शाधुसरा। वहीं, मुंबई से पधारे मा० दिनेश निषाद और मा० रमाकांत ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
सभी अतिथियों का स्वागत पारंपरिक निषादी विधि से पुष्पमालाओं और अंगवस्त्र पहनाकर किया गया। मंच पर रंगीन फूलों की सजावट, वीरांगना के चित्र के सामने दीपमालाएं और जय निषाद राज के नारों ने पूरे माहौल को जोशीला और भावुक बना दिया।
वीरांगना फूलन देवी का प्रेरक जीवन
जन्म और बचपन
वीरांगना फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के में हुआ। वह एक साधारण मल्लाह परिवार में पैदा हुईं, जहाँ जीवन की बुनियादी सुविधाएँ भी सीमित थीं। आर्थिक तंगी, जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता उनके बचपन के हिस्से रहे। छोटी उम्र से ही उन्होंने गरीबी का स्वाद चखा और समाज में व्याप्त अन्याय को अपनी आँखों से देखा।
साहस और संघर्ष की शुरुआत
फूलन देवी का जीवन संघर्षों से भरा था। जब वह मात्र 11 वर्ष की थीं, तब उनका विवाह उनसे कई वर्ष बड़े व्यक्ति से कर दिया गया — यह बाल विवाह उनके जीवन का पहला बड़ा मोड़ था। विवाह के बाद उन्हें उत्पीड़न, शोषण और घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा। इन परिस्थितियों ने उनके भीतर अन्याय के खिलाफ लड़ने का संकल्प पैदा किया।
समाज की परंपराएँ और पितृसत्तात्मक सोच उन्हें झुकाने में असफल रहीं। धीरे-धीरे वह गाँव में होने वाले अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ खुलकर बोलने लगीं।
आत्मसमर्पण और राजनीति में प्रवेश
1983 में, फूलन देवी ने मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण न केवल उनके जीवन में एक नया अध्याय था, बल्कि समाज के लिए एक मजबूत संदेश भी था कि हिंसा का अंत संवाद और न्याय से हो सकता है।
कई वर्षों तक जेल में रहने के बाद 1994 में उन्हें रिहा किया गया। रिहाई के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और 1996 में मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुईं।
संसद में मुखर आवाज
सांसद के रूप में फूलन देवी ने संसद में अपने समाज, महिलाओं, गरीबों और वंचित वर्गों के अधिकारों की जोरदार वकालत की। वह शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलती थीं।
उनकी भाषण शैली सीधी और सटीक थी, जिसमें अनुभव की गहराई और संघर्ष की सच्चाई झलकती थी। उन्होंने बार-बार यह साबित किया कि संसद केवल अमीर और प्रभावशाली लोगों की जगह नहीं, बल्कि आम जनता के संघर्षशील प्रतिनिधियों की भी है।
जीवन संघर्ष और विरासत
फूलन देवी का जीवन बाल विवाह, शोषण, जातिगत भेदभाव और अन्याय के खिलाफ अटूट जंग का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन के हर चरण में कठिनाइयों से लड़ते हुए यह दिखाया कि साहस और दृढ़ निश्चय से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
उनकी हत्या 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में कर दी गई, लेकिन उनकी स्मृति आज भी लाखों लोगों के दिलों में जीवित है।
वीरांगना के आदर्श और प्रेरणा
कार्यक्रम का आरंभ वीरांगना फूलन देवी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्वलन से हुआ। वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि फूलन देवी केवल एक नाम नहीं, बल्कि साहस, न्याय और समाज के अधिकारों की जीवंत प्रतीक हैं।
उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई और समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने का संघर्ष किया। उपस्थित वक्ताओं ने इस प्रेरणा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने पर जोर दिया और विशेष रूप से युवाओं से आग्रह किया कि वे शिक्षा, स्वावलंबन और संगठन के प्रति गंभीर रहें।
आरक्षण और संगठन विस्तार पर चर्चा
विशेष रूप से मछुआरा समाज के आरक्षण अधिकार को लेकर सभी ने एक स्वर में सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की। चर्चा के दौरान निषाद युवा वाहिनी के विस्तार की रणनीति पर भी विचार हुआ।
यह तय किया गया कि आने वाले महीनों में दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में संगठन के नए प्रकोष्ठ खोले जाएंगे, ताकि प्रवासी निषाद समाज को एकजुट किया जा सके। इसके अलावा, युवाओं में शिक्षा के प्रति रुचि जगाने के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं, कोचिंग सेंटर और करियर मार्गदर्शन शिविर आयोजित करने पर भी सहमति बनी।
सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट का सम्मान
बैंगलोर के यालंका स्थित अलायन क्लब में आयोजित इस समारोह में निषाद युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट को समाज के उत्थान, शिक्षा प्रसार और मछुआरा आरक्षण की लड़ाई में उनके अमूल्य योगदान के लिए विशेष सम्मान प्रदान किया गया। वरिष्ठ समाजसेवियों और अतिथियों ने उन्हें शॉल, सम्मान-पत्र और पुष्पगुच्छ भेंट कर मंच पर सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह के सबसे भावुक और गर्वपूर्ण क्षणों में से एक था।
साहनी जी का संबोधन
यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जो समाज के लिए ईमानदारी और निष्ठा से काम कर रहा है। वीरांगना फूलन देवी की प्रेरणा से हम संगठन को और मजबूत करेंगे और आरक्षण की लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि संगठन की ताकत एकता और शिक्षा से आती है, और आने वाले समय में निषाद युवा वाहिनी समाज के हर हिस्से तक पहुँचेगी।
समारोह का समापन
कार्यक्रम के अंत में जय निषाद राज के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। बैंगलोर और मुंबई से आए अनेक सम्मानित गणमान्य व्यक्ति समारोह में उपस्थित रहे।
अंत में सभी ने वीरांगना के आदर्शों पर चलने, संगठन को मजबूत करने और समाज के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने का संकल्प लिया।
Q1. वीरांगना फूलन देवी कौन थीं?
फूलन देवी उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में जन्मी एक साहसी महिला नेता थीं, जिन्होंने बाल विवाह, शोषण और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। 1996 में वह मिर्जापुर से सांसद निर्वाचित हुईं और संसद में महिलाओं, गरीबों और वंचित समाज की आवाज बनीं।
Q2. बैंगलोर में आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य क्या था?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य वीरांगना फूलन देवी की जयंती मनाना, उनके आदर्शों को याद करना और समाज में शिक्षा, संगठन विस्तार व आरक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा करना था।
Q3. इस समारोह में किन-किन प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया?
बैंगलोर और मुंबई से कई वरिष्ठ समाजसेवी और सम्मानित सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें मा० दिनेश निषाद, मा० रमाशंकर निषाद, मा० सुरेन्द्र निषाद, मा० दीपक निषाद, मा० राजेश निषाद, मा० अच्हेलाल, मा० शाधुसरा, और मा० रमाकांत शामिल थे।
Q4. सुशिल चन्द साहनी एडवोकेट को किसलिए सम्मानित किया गया?
उन्हें समाज के उत्थान, शिक्षा प्रसार और मछुआरा आरक्षण की लड़ाई में उनके अमूल्य योगदान के लिए विशेष सम्मान प्रदान किया गया।
Q5. कार्यक्रम में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
मुख्य मुद्दे थे— मछुआरा समाज का आरक्षण, निषाद युवा वाहिनी का संगठन विस्तार, युवाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता, छात्रवृत्ति योजनाएँ और करियर मार्गदर्शन शिविर।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)