भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) बिहार में 2003 के बाद पहली बार एक विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Summary Revision) अभियान शुरू करने जा रहा है। इस ऐतिहासिक और व्यापक कवायद का उद्देश्य राज्य के हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची (Electoral Roll) में जोड़ना और निष्पक्ष, समावेशी एवं अद्यतन चुनावी व्यवस्था सुनिश्चित करना है।
निर्वाचन आयोग की इस पहल को न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने की दिशा में जन-सहभागिता आधारित नवाचार के रूप में देखा जा रहा है।
अभियान का उद्देश्य: “हर मतदाता, हर वोट महत्वपूर्ण”
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस अभियान का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता वंचित न रहे। खासतौर पर ऐसे युवा, महिलाएं, प्रवासी श्रमिक, और पिछड़े क्षेत्रों के नागरिक जिनका नाम अब तक मतदाता सूची में दर्ज नहीं हो पाया है।
इस बार के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रमुख विशेषताएं हैं:
घर-घर जाकर BLO (Booth Level Officer) द्वारा सत्यापन
नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन की प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और डिजिटल बनाना
राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी
विशेष फोकस: 18+ आयु वर्ग, विकलांग नागरिक, ट्रांसजेंडर समुदाय, अल्पसंख्यक, और महिलाएं
🏠 BLO करेंगे घर-घर सत्यापन
इस अभियान के तहत राज्य भर में लाखों BLO यानी बूथ स्तर अधिकारी क्षेत्रवार घर-घर जाकर नागरिकों की पात्रता की पुष्टि करेंगे। BLO मतदाता सूची में:
नए मतदाताओं के नाम जोड़ेंगे
मृत, स्थानांतरित या दोहराव वाले नाम हटाएंगे
गलती से दर्ज विवरणों को सही करेंगे
यह पहली बार होगा जब BLO को डिजिटल टैबलेट और मोबाइल ऐप से सुसज्जित किया गया है ताकि वे मौके पर ही विवरण दर्ज और सत्यापित कर सकें।
युवा और पहली बार वोट डालने वालों पर विशेष ध्यान
2017 के बाद पैदा हुए युवाओं की एक बड़ी संख्या इस बार मतदान के योग्य (18 वर्ष या उससे अधिक आयु) हो चुकी है। आयोग ने इस अभियान के माध्यम से इन नवयुवकों को मतदाता सूची में जोड़ने को प्राथमिकता दी है।
स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मतदाता पंजीकरण शिविर आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, सोशल मीडिया और रेडियो के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
राजनीतिक दलों की बढ़ेगी भागीदारी
निर्वाचन आयोग ने इस बार राजनीतिक दलों को भी सक्रिय सहभागी बनाया है। सभी पंजीकृत दलों से अपील की गई है कि वे:
अपने स्तर पर नागरिकों को जागरूक करें
अपने बूथ कार्यकर्ताओं के माध्यम से पात्र नागरिकों की सूची तैयार करें
मतदाता सूची में किसी भी अनियमितता पर त्वरित फीडबैक दें
इसके लिए आयोग ने BLO और पार्टी प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठकों की व्यवस्था की है, ताकि एक समन्वित और पारदर्शी प्रणाली विकसित हो सके।
डिजिटल प्रक्रिया से पारदर्शिता और सुविधा
यह विशेष पुनरीक्षण अभियान पूरी तरह से डिजिटल समर्थित होगा। सभी प्रक्रियाएं अब:
NVSP पोर्टल (National Voters’ Service Portal)
Voter Helpline Mobile App
Garuda App (BLO के लिए)
के माध्यम से निष्पादित की जाएंगी।यह तकनीकी एकीकरण सुनिश्चित करेगा:
वास्तविक समय में डेटा अपडेट
भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े पर रोक
मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता
न्यूनतम कागज़ी कार्यवाही
जन-जागरूकता अभियान
आयोग इस पूरी प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान भी चला रहा है। इसमें शामिल हैं:
रेडियो और टीवी पर जागरूकता संदेश
सोशल मीडिया अभियान (#HarVoterMahatvapurna)
नुक्कड़ नाटक और मोबाइल वैन
पंचायत स्तर पर ग्राम सभाओं में जानकारी
प्रशासनिक अधिकारियों के वक्तव्य
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO), बिहार ने कहा:
“यह सिर्फ पुनरीक्षण नहीं, लोकतंत्र को घर-घर पहुँचाने का महाअभियान है। तकनीक, भागीदारी और पारदर्शिता को आधार बनाकर हम हर नागरिक को मतदाता बनाना चाहते हैं।”
BLO संघ के एक प्रतिनिधि ने बताया:
“पहली बार हमें इतना प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग मिल रहा है। अब हर गलती की तुरंत पहचान और सुधार संभव है।”
वंचित समुदायों पर विशेष ध्यान
घुमंतू जनजातियाँ और आदिवासी समुदाय: पहचान से भागीदारी की ओर
घुमंतू और आदिवासी जनजातियाँ लंबे समय से स्थायी निवास के अभाव और दस्तावेज़ी जटिलताओं के कारण मतदाता सूची से बाहर रह जाती हैं। इस बार प्रशासन ने इन्हें विशेष रूप से चिह्नित कर:
उनके शिविरों और बसावट क्षेत्रों में मोबाइल BLO टीमों की तैनाती की है।
स्थानीय पंचायत सदस्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को संपर्क सूत्र बनाया गया है।
बिना दस्तावेज वाले पात्र नागरिकों के लिए विशेष सत्यापन प्रणाली तैयार की गई है।
एक अधिकारी के अनुसार:
“हम न केवल उन्हें वोटर बना रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे चुनाव प्रक्रिया को समझें और उसमें सक्रिय रूप से भाग लें।”
ट्रांसजेंडर समुदाय: सम्मान और पहचान की पहल
ट्रांसजेंडर समुदाय, जो वर्षों तक हाशिए पर रहा, अब लोकतांत्रिक पहचान प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस अभियान में:
विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं जहाँ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का सुलभ और सम्मानजनक पंजीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है।
LGBTQ+ संगठनों के साथ साझेदारी कर सूचना अभियान चलाए जा रहे हैं।
“थर्ड जेंडर” के विकल्प को मतदाता फॉर्म में सक्रिय किया गया है।
ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रेखा (बिहारशरीफ) कहती हैं:
“पहली बार हमें वोटर के रूप में पहचाना जा रहा है, यह हमारे आत्मसम्मान के लिए एक बड़ी जीत है।”
दिव्यांग मतदाता: सुलभ लोकतंत्र की दिशा में
दिव्यांग नागरिकों को अक्सर मतदान केंद्रों तक पहुंचने, पंजीकरण और प्रमाण पत्र दिखाने में कठिनाइयाँ होती हैं। आयोग ने इस बार उनके लिए:
द्वार-पर-द्वार BLO पहुंच सेवा शुरू की है।
विशेष हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा शुरू की गई है।
मतदान के दिन के लिए व्हीलचेयर, ब्रेल बैलट, और सहायक कर्मचारी की व्यवस्था को अनिवार्य किया गया है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार:
“दिव्यांगता अब लोकतंत्र की बाधा नहीं होगी। हर नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है।”
प्रवासी श्रमिक और निर्माण श्रमिक: पहचान से जुड़ने की चुनौती
प्रवासी और निर्माण श्रमिक, जो एक जगह से दूसरी जगह काम की तलाश में जाते रहते हैं, आमतौर पर स्थायी पते या पहचान के दस्तावेज़ की कमी के कारण मतदाता सूची से छूट जाते हैं।
इस अभियान में:
निर्माण स्थलों पर BLO कैंप आयोजित किए जा रहे हैं।
ठेकेदारों और श्रमिक यूनियनों को साझेदार बनाकर श्रमिकों की पहचान सुनिश्चित की जा रही है।
उन्हें यह विकल्प दिया जा रहा है कि वे अपने मूल निवास स्थान या वर्तमान स्थान में से किसी एक को वोटर सूची के लिए चुन सकें।
पटना के एक निर्माण स्थल पर काम करने वाले श्रमिक सुरेश यादव कहते हैं:
“पहली बार मुझे लगा कि मैं भी देश के भविष्य में कुछ तय कर सकता हूँ।”
निर्धन बस्तियों में रहने वाले परिवार: सबसे पिछड़े, अब सबसे आगे
शहरी और ग्रामीण झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लाखों लोग आधार, राशन कार्ड तो रखते हैं, लेकिन वोटर सूची में नाम नहीं होता। इस अभियान में:
इन बस्तियों में हर BLO को 50 घरों की जिम्मेदारी दी गई है।
NGO और सामाजिक संगठनों के माध्यम से मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है।
रात्री शिविरों के माध्यम से कामकाजी वर्ग को समयबद्ध सेवा दी जा रही है।
आयोग ने इनके लिए मोबाइल BLO टीम, स्पेशल हेल्प डेस्क, और स्थानीय स्वयंसेवकों की सहायता से पंजीकरण की प्रक्रिया आसान बनाने का निर्देश दिया है।
प्रभाव और अपेक्षित परिणाम
इस व्यापक पुनरीक्षण के परिणामस्वरूप:
मतदाता सूची में 20 से 25 लाख नए नाम जोड़े जाने की संभावना है
10 लाख से अधिक नाम हटाए या संशोधित किए जाएंगे
राजनीतिक और सामाजिक समावेशन को नई दिशा मिलेगी
2026 और 2027 के चुनावों में अधिक पारदर्शिता और वैधता संभव होगी
निष्कर्ष: लोकतंत्र को घर-घर तक ले जाने की पहल
बिहार में शुरू हुआ यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान केवल एक प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि लोकतंत्र के सबसे बुनियादी स्तंभ — “मतदाता” — को सशक्त, जागरूक और सम्मिलित करने का प्रयास है।
यह पहल न केवल मतदान प्रतिशत बढ़ाएगी, बल्कि नागरिकों के संविधानिक अधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जाएगी।
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