
Wetland Conservation of India : भारत की आर्द्रभूमि संरक्षण में वैश्विक भूमिका: रामसर सीओपी15 में केंद्रीय मंत्री का संबोधन
दिनांक : 25.07.2025 | Koto News | KotoTrust |
रामसर सम्मेलन के 15वें सत्र (सीओपी15) के दौरान भारत ने वैश्विक आर्द्रभूमि संरक्षण की दिशा में अपनी उपलब्धियों को प्रस्तुत करते हुए एक दृढ़ नीति और पर्यावरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया।जो कुल 1.36 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं। यह न केवल एशिया में सबसे बड़ा बल्कि वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा आर्द्रभूमि नेटवर्क है।
मंत्री यादव ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने इस नेटवर्क का 250 प्रतिशत विस्तार किया है, जो देश की ठोस नीति, सतत प्रयास और समुदाय आधारित संरक्षण रणनीतियों का परिणाम है। पहली बार, दो भारतीय शहरों—उदयपुर और इंदौर—को वेटलैंड सिटीज़ के रूप में मान्यता दी गई है। यह मान्यता शहरी आर्द्रभूमियों के संरक्षण के क्षेत्र में भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
अपने भाषण में श्री यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही पर्यावरणीय पहलों जैसे ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि “प्रकृति के साथ एकात्मता” और “वसुधैव कुटुम्बकम्” का दर्शन भारत की नीति का मूल आधार बन चुका है। उन्होंने सभी नागरिकों से माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने और टिकाऊ जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया।
मंत्री ने भारत की दो प्रमुख पहल—’मिशन सहभागिता’ और ‘आर्द्रभूमि बचाओ अभियान’—की जानकारी देते हुए बताया कि इन अभियानों के माध्यम से 20 लाख से अधिक नागरिकों को जोड़ा गया है। देश भर में 1.70 लाख आर्द्रभूमियों की मैपिंग की गई है और लगभग 1 लाख की सीमांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यह सामुदायिक सहभागिता आर्द्रभूमियों के वास्तविक संरक्षण को संभव बना रही है।
तकनीकी और संवैधानिक दृष्टिकोण
सुधार की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति, राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना और अमृतधारा योजना जैसे कार्यक्रमों ने वेटलैंड्स को नीति के मुख्य केंद्र में रखा है।
अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और सहयोग
सीओपी15 के दौरान मंत्री यादव ने कई द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। ज़िम्बाब्वे की पर्यावरण मंत्री डॉ. एवलिन एनडलोवु के साथ हुई चर्चा में आर्द्रभूमियों के पुनर्स्थापन और तकनीकी सहयोग को प्राथमिकता दी गई। इसी क्रम में सीआईटीईएस, सीएमएस और रामसर सचिवालय के प्रमुखों से भी विचार-विमर्श हुआ।
उन्होंने भारत की वैश्विक पहलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस (IBCA), आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और मिशन लाइफ के ज़रिए जलवायु नेतृत्व को रेखांकित करते हुए अन्य देशों से जुड़ने का अनुरोध किया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और डेटा आधारित नीति
भारत की आर्द्रभूमियों की स्थिति पर आधारित नीति निर्माण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और डेटा पर आधारित नीति को अपनाया जा रहा है। ईकोलॉजिकल इकोनॉमिक्स, रिमोट सेंसिंग, GIS और हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग जैसे तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
विशेष रूप से, भारत का ‘वेटलैंड हेल्थ कार्ड’ और ‘वेटलैंड इन्वेंट्री पोर्टल’ इन संसाधनों की निगरानी और पारदर्शिता में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
वैश्विक संदर्भ और भारत की भूमिका
रामसर सीओपी15 सम्मेलन में 172 देशों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक संस्थान, नागरिक समाज और सामुदायिक संगठन शामिल हुए। यह सम्मेलन अगले तीन वर्षों की कार्य योजना, बजट और वैश्विक जलवायु संकट के परिप्रेक्ष्य में आर्द्रभूमियों की भूमिका पर केंद्रित रहा।
भारत की सक्रिय भागीदारी ने स्पष्ट कर दिया कि वह न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक मंच पर भी पारिस्थितिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और पीढ़ियों के बीच पर्यावरणीय न्याय के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
रामसर सम्मेलन (COP15) क्या है?
रामसर सम्मेलन, जिसे आधिकारिक रूप से “वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन” कहा जाता है, आर्द्रभूमियों (Wetlands) के संरक्षण और उनके विवेकपूर्ण उपयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसकी स्थापना 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में की गई थी। यह सम्मेलन प्राकृतिक जल स्रोतों, जैव विविधता, प्रवासी पक्षियों और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की सुरक्षा हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करता है।
वर्ष 2025 में आयोजित रामसर सम्मेलन का 15वां सत्र (COP15) एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहाँ 172 सदस्य देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठन भागीदारों, वैज्ञानिक समुदाय और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने मिलकर अगले तीन वर्षों के लिए कार्य योजना, बजटीय नीतियों और उभरते पर्यावरणीय संकटों पर विचार-विमर्श किया। भारत की भागीदारी न केवल सक्रिय रही, बल्कि रणनीतिक और नीति-निर्धारण स्तर पर प्रभावशाली भी सिद्ध हुई।
भारत के आर्द्रभूमि आँकड़े
भारत वेटलैंड्स संरक्षण में एशिया में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। भारत ने अब तक कुल 91 स्थलों को रामसर स्थल के जल संरचनाएं शामिल हैं।
इस उपलब्धि के साथ ही भारत के दो प्रमुख शहर—उदयपुर और इंदौर—को वैश्विक मान्यता प्राप्त वेटलैंड सिटीज़ (Wetland Cities) के रूप में नामित किया गया है। यह वैश्विक स्तर पर शहरी वेटलैंड प्रबंधन में भारत के बढ़ते योगदान और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रमुख राष्ट्रीय पहल
मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment):
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तुत एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य सतत और पर्यावरण-संगत जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इस पहल के अंतर्गत जल, ऊर्जा और संसाधनों का संरक्षण करते हुए आर्द्रभूमियों जैसे पारिस्थितिक तंत्रों को बचाने की दिशा में सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
एक पेड़ माँ के नाम
यह अभियान नागरिकों को प्रकृति से भावनात्मक रूप से जोड़ने और हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य हर व्यक्ति को अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने हेतु प्रेरित करना है—जो आर्द्रभूमियों के आसपास हरित पट्टी तैयार करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
मिशन सहभागिता
इस जन-सहभागिता अभियान के तहत देश भर में 20 लाख से अधिक नागरिकों को आर्द्रभूमियों की देखभाल, स्वच्छता और निगरानी में शामिल किया गया है। यह नागरिक भागीदारी मॉडल विश्व में एक उदाहरण के रूप में उभर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
भारत ने रामसर सीओपी15 के दौरान विविध अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने सहयोग को मजबूत किया। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
ज़िम्बाब्वे की पर्यावरण, जलवायु और वन्यजीव मंत्री डॉ. एवलिन एनडलोवु के साथ द्विपक्षीय बातचीत, जिसमें आर्द्रभूमियों के पुनर्स्थापन और ज्ञान साझेदारी पर विशेष फोकस किया गया।
CITES (वन्य वनस्पतियों और जीवों के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन), CMS (प्रवासी प्रजातियों का संरक्षण सम्मेलन), और रामसर सचिवालय के अधिकारियों के साथ सहयोग की दिशा में महत्त्वपूर्ण वार्ताएं संपन्न हुईं।
भारत ने अन्य देशों को अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस (IBCA), आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और मिशन लाइफ जैसी वैश्विक पहलों में भागीदारी का आमंत्रण भी दिया।
प्रौद्योगिकी और डेटा
वेटलैंड हेल्थ कार्ड (Wetland Health Card):
यह नवाचार भारत सरकार द्वारा विकसित किया गया एक उपकरण है जो विभिन्न वेटलैंड्स की पारिस्थितिकीय, सामाजिक और भौतिक स्थिति का मूल्यांकन करता है। इसके ज़रिए जल गुणवत्ता, जैव विविधता, मानव हस्तक्षेप, और संरक्षण स्तर जैसे मानकों पर निगरानी रखी जाती है।
वेटलैंड इन्वेंट्री पोर्टल
यह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पूरे देश की आर्द्रभूमियों का डिजिटल डेटाबेस तैयार करता है। इस पोर्टल में नक्शे, सीमांकन डेटा, जैविक स्थिति, जोखिम प्रोफाइल और प्रबंधन योजनाएं एकीकृत की गई हैं। यह न केवल नीति-निर्माताओं बल्कि स्थानीय प्रशासनों और आम जनता के लिए भी पारदर्शिता और जागरूकता बढ़ाने का साधन बन गया है।
Source : PIB