सुवेश मुखिया निषाद
सम्पादक : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | नेपाल निषाद परिषद के राष्ट्रीय सचिव सुवेश मुखिया निषाद ने इस वर्ष धनतेरस, दीपावली, छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा और भईया दूज जैसे पावन पर्वों के अवसर पर समाज के सभी वर्ग के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने न केवल पर्वों की खुशियों का उल्लेख किया बल्कि समाज में भाईचारे, सहयोग और जनसेवा के महत्व पर भी विशेष जोर दिया।
सुवेश मुखिया निषाद ने कहा कि पर्व केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक आनंद का अवसर नहीं हैं, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के बीच मेल-जोल, सहयोग और समझदारी बढ़ाने का विशेष समय है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने उत्सवों और खुशियों को केवल अपने परिवार तक सीमित न रखें, बल्कि समाज के गरीब, कमजोर और जरूरतमंद वर्गों तक भी प्रसन्नता पहुँचाएँ | उन्होंने बताया कि दीपावली, छठ पूजा और कार्तिक पूर्णिमा केवल आनंद और उत्सव का माध्यम नहीं हैं। ये पर्व हमें यह याद दिलाते हैं कि जब हम दूसरों के जीवन में खुशियाँ फैलाते हैं, तभी समाज में वास्तविक प्रकाश और सांस्कृतिक समृद्धि आती है। समाज में सेवा और सहयोग की भावना ही स्थायी विकास की नींव है। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने हिस्से का योगदान करता है — चाहे वह बच्चों के लिए उपहार हो, वृद्धजनों की देखभाल हो या स्वच्छता अभियान में भागीदारी — तभी समाज में सच्चा भाईचारा और सौहार्द स्थापित होता है।
सुवेश मुखिया निषाद ने कहा कि युवा समाज के सबसे प्रभावशाली बदलावकर्ता हैं। यदि युवा अपनी ऊर्जा और संसाधनों को समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों तक पहुँचाएँ, तो त्योहार केवल खुशी बांटने का माध्यम नहीं बल्कि सहानुभूति और सेवा का संदेश भी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि नेपाल जैसी विविधतापूर्ण संस्कृति में त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में सामूहिक चेतना और एकता को बढ़ाने का अवसर हैं। दीपावली केवल धन और वैभव का प्रतीक नहीं, बल्कि अज्ञान पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं, बल्कि यह प्रकृति और मानव जीवन में संतुलन का संदेश देती है। सुवेश मुखिया निषाद ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझकर समाज में साझा करना चाहिए।
सुवेश मुखिया निषाद ने महिलाओं की समाज में भूमिका पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएँ केवल परिवार की संरक्षक नहीं हैं, बल्कि समाज की नैतिक और सांस्कृतिक ताकत हैं। जब महिलाएँ शिक्षा, सेवा और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय होती हैं, तो पूरे समाज की दिशा बदल जाती है। उन्होंने युवाओं से विशेष अपील की कि वे डिजिटल और सोशल मीडिया का उपयोग कर अपने संदेश को समाज के हर कोने तक पहुँचाएँ। उन्होंने बताया कि त्योहारों के दौरान गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना केवल मानवता की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को मजबूत करने का अवसर भी है। पर्वों के अवसर पर एक-दूसरे की मदद करना और सहयोग करना समाज में स्थायी सौहार्द और शांति की नींव रखता है।
सुवेश मुखिया निषाद ने जोर देकर कहा कि समाज में स्थायी बदलाव बड़े कार्यों से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे प्रयासों से आता है। यदि प्रत्येक व्यक्ति जरूरतमंद बच्चों को उपहार देता है, वृद्धजनों की देखभाल करता है या स्वच्छता अभियानों में हिस्सा लेता है, तो यह समाज में बड़े बदलाव की शुरुआत है। छोटे प्रयास ही बड़े बदलाव की कुंजी हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे पर्वों के दौरान खुशियों को केवल अपने घर तक सीमित न रखें। छोटे प्रयास भी समाज में बड़ा फर्क डाल सकते हैं। हम सभी मिलकर नेपाल को एक सशक्त, सौहार्दपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण समाज बना सकते हैं। सुवेश मुखिया निषाद ने यह भी कहा कि पर्वों का असली उद्देश्य केवल आनंद लेना नहीं है। यह हमें याद दिलाता है कि सेवा, सहयोग और भाईचारे के माध्यम से ही समाज में स्थायी और सार्थक परिवर्तन संभव है।
संदेश सेवा, सहयोग और भाईचारे से समाज में स्थायी बदलाव
नेपाल निषाद परिषद के राष्टीय सचिव सुवेश मुखिया निषाद ने इस वर्ष दीपावली, छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा और भईया दूज के पावन अवसर पर समाज के सभी वर्गों के लिए संदेश दिया कि पर्व केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक आनंद का माध्यम नहीं हैं। उनका मानना है कि समाज में वास्तविक बदलाव केवल बड़े कार्यों या सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की छोटी-छोटी पहल और योगदान से आता है। सुवेश मुखिया निषाद ने कहा कि जब प्रत्येक व्यक्ति सेवा, सहयोग और भाईचारे की भावना के साथ समाज में योगदान देता है, तभी समाज में स्थायी और सार्थक बदलाव संभव होता है। छोटे प्रयास जैसे गरीब बच्चों को उपहार देना, वृद्धजनों की देखभाल करना, समाज में स्वच्छता अभियान में भाग लेना या जरूरतमंद परिवारों तक सहायता पहुँचाना, केवल व्यक्तिगत खुशी का माध्यम नहीं हैं बल्कि समाज में सहानुभूति और भाईचारे की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण अवसर हैं। उनका यह संदेश इस बात पर जोर देता है कि पर्वों के अवसर पर खुशी बाँटना और दूसरों की मदद करना ही असली उद्देश्य है। केवल अपने घर तक खुशियाँ सीमित रखना समाज में स्थायी सौहार्द और सामूहिक समृद्धि को नहीं बढ़ाता। इसलिए प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वे पर्वों के अवसर पर अपने छोटे-छोटे योगदान से समाज में स्थायी बदलाव की नींव रखें।
प्रमुख अपील युवाओं और महिलाओं को सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करना
सुवेश मुखिया निषाद ने युवाओं और महिलाओं के समाज में भूमिका पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। उनका कहना है कि युवा अपनी ऊर्जा, उत्साह और नवीन सोच के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सबसे प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। यदि युवा अपने उत्सवों और खुशियों को केवल व्यक्तिगत आनंद तक सीमित न रखते हुए उन्हें सेवा, सहयोग और भाईचारे के संदेश के रूप में साझा करें, तो यह समाज में स्थायी सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। वहीं, महिलाएँ समाज की नैतिक और सांस्कृतिक संरचना की रीढ़ हैं। जब महिलाएँ शिक्षा, सामाजिक गतिविधियों और सेवा कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं, तो पूरे समाज की दिशा बदल जाती है। सुवेश मुखिया निषाद ने कहा कि युवाओं और महिलाओं की संयुक्त भागीदारी समाज में स्थायी भाईचारा और सहयोग की भावना को मजबूत करती है। उन्होंने डिजिटल और सोशल मीडिया का भी उपयोग करने की अपील की ताकि यह संदेश समाज के हर हिस्से तक पहुँच सके। उनका यह अपील विशेष रूप से इस बात पर जोर देती है कि युवा और महिलाएँ समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों तक मदद पहुँचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएँ। यही समाज में स्थायी बदलाव की नींव रखता है।
मुख्य उद्देश्य खुशियाँ बांटना और जरूरतमंद तक प्रसन्नता पहुँचाना
सुवेश मुखिया निषाद ने अपने संदेश में स्पष्ट किया कि पर्वों का मुख्य उद्देश्य केवल आनंद और उत्सव मनाना नहीं है। पर्व हमें यह याद दिलाते हैं कि सेवा, सहयोग और भाईचारे के माध्यम से ही समाज में स्थायी प्रसन्नता और सामूहिक सौहार्द स्थापित होता है। छोटे-छोटे योगदान जैसे गरीब बच्चों को उपहार देना, वृद्धजनों और असहाय लोगों की देखभाल करना, या सामाजिक सुरक्षा और स्वच्छता अभियानों में भाग लेना, समाज में स्थायी सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम हैं। उनका कहना है कि जब प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर योगदान देता है, तब छोटे प्रयास सामूहिक रूप से बड़े बदलाव में बदल जाते हैं।
सुवेश मुखिया निषाद ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे पर्वों के अवसर पर खुशियों को केवल अपने घर तक सीमित न रखें। अपने छोटे योगदान और मदद के माध्यम से समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों तक प्रसन्नता पहुँचाएँ। यही पर्वों का असली संदेश है। सांस्कृतिक महत्व परंपरा और धार्मिक रीति-रिवाजों के माध्यम से समाज की मजबूतीसुवेश मुखिया निषाद ने पर्वों और परंपराओं के सांस्कृतिक महत्व पर भी विशेष जोर दिया। उनका कहना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज केवल रीति-रिवाज नहीं हैं, बल्कि वे समाज की पहचान, नैतिकता और सहयोग की भावना को बनाए रखने का माध्यम हैं।
दीपावली केवल धन और वैभव का प्रतीक नहीं है; यह अज्ञान पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं, बल्कि यह प्रकृति और मानव जीवन में संतुलन और सामंजस्य का संदेश देती है। जब हम अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को समझकर समाज में साझा करते हैं, तब यह समाज में एकता, सामूहिक चेतना और स्थायी सौहार्द को विकसित करता है। सुवेश मुखिया निषाद ने कहा कि युवाओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी, छोटे-छोटे सामाजिक योगदान और सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होना ही समाज को मजबूत और सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है। पर्वों का असली महत्व तभी समझा जा सकता है जब हम उन्हें सेवा, सहयोग और भाईचारे के माध्यम के रूप में अपनाएँ।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)