
BRICS 2025 भारत की बहुपक्षीय कूटनीति का नया अध्याय रियो से नामीबिया तक मोदी की विदेश नीति की निर्णायक यात्रा
दिनांक : 08.07.2025|Koto News|KotoTrust|Brazil|PM Modi|Brics|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित बहुपक्षीय व द्विपक्षीय विदेश यात्रा इस सप्ताह अपने निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है। 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री अब ब्राज़ील की राजधानी ब्रासीलिया के लिए रवाना हो गए हैं, जहाँ वे राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा से मुलाक़ात कर भारत-ब्राज़ील द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाई देने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। यह भारत-ब्राजील मैत्री के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि लगभग छह दशकों के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री ब्राज़ील की राजकीय यात्रा पर जा रहा है।
यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के पांच देशों के दौरे का एक अहम हिस्सा है जिसमें वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का भ्रमण कर रहे हैं।
ब्रासीलिया यात्रा को कूटनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति लूला के बीच बैठक में कृषि, रक्षा, जैव-ऊर्जा, अंतरिक्ष सहयोग, डिजिटल अर्थव्यवस्था और वैश्विक दक्षिण के एजेंडे पर गहन चर्चा होने की संभावना है। दोनों नेताओं के बीच जलवायु परिवर्तन, संयुक्त राष्ट्र में सुधार, और बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होगा।
अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा:
“अब राजकीय यात्रा के लिए ब्रासीलिया जा रहा हूं। राष्ट्रपति लूला के साथ भारत-ब्राज़ील संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत बातचीत करूंगा।”
ब्राजील के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी IBSA (इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका), G20 और अब BRICS+ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर लगातार मजबूत हुई है।
ब्रासीलिया रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रियो डी जेनेरो में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जहाँ उन्होंने बहुपक्षीय व्यवस्था में वैश्विक दक्षिण की अधिक भागीदारी, आर्थिक समावेशिता, डिजिटल संप्रभुता, और आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
PM मोदी ने शिखर सम्मेलन के समापन पर कहा:
“मेरी ब्राज़ील यात्रा का रियो चरण बहुत ही सफल रहा। BRICS शिखर सम्मेलन में हमने व्यापक विचार-विमर्श किया। मैं राष्ट्रपति लूला और ब्राजील सरकार को उनके BRICS प्रेसीडेंसी के दौरान इस मंच को और भी अधिक प्रभावी बनाने के लिए किए गए काम के लिए बधाई देता हूं।”
BRICS में इस वर्ष से ग्रीन टूरिज़्म, जल मंत्री सम्मेलन, और डिजिटल हेल्थ मिशन जैसे विषयों पर भी सहमति बनी। भारत ने जलवायु परिवर्तन बीमा ढांचे, डिजिटल करेंसी पायलट, और हरित+डिजिटल ऋण योजना का भी समर्थन किया।
प्रधानमंत्री मोदी की बहुपक्षीय कूटनीति का अगला चरण 9 जुलाई को नामीबिया की यात्रा के रूप में सामने आएगा। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नामीबिया की पहली आधिकारिक यात्रा होगी। इस दौरान प्रधानमंत्री नामीबियाई राष्ट्रपति नेता नंदी-नदैतवा के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और नामीबियाई संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित भी करेंगे।
भारत और नामीबिया के बीच हाल के वर्षों में बढ़ती सहयोग की दिशा में यह यात्रा ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, अफ्रीकी शेर पुनर्वास परियोजना और प्रौद्योगिकी साझेदारी को नई ऊँचाई प्रदान करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा:
“मुझे विश्वास है कि मेरी यह यात्रा भारत और नामीबिया के बीच मैत्री को और सशक्त बनाएगी, और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक प्रभावी बनाएगी।”
वैश्विक दक्षिण में भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री की यह यात्रा उस समय हो रही है जब विश्व व्यवस्था में बहुध्रुवीयता की माँग तेज हो रही है। भारत की रणनीति स्पष्ट है—वैश्विक दक्षिण के देशों की एकजुटता और साझेदारी को नई दिशा देना।
BRICS सम्मेलन और द्विपक्षीय यात्राओं के माध्यम से भारत साझा चुनौतियों, जैसे टिकाऊ विकास, स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानता पर समन्वय बनाने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
ब्राज़ील, अर्जेंटीना और नामीबिया जैसे देशों के साथ भारत की सक्रिय कूटनीति इस दिशा में एक मजबूत संदेश है कि भारत केवल एक सहयोगी नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
भारत अब केवल अपने लिए नहीं, बल्कि वैश्विक दक्षिण के लिए भी सोचता है।
भारत की कूटनीति बहुपक्षीय मंचों पर संवाद और द्विपक्षीय स्तर पर परिणाम दोनों चाहती है।
भारत वैश्विक स्थिरता, समावेशन और विकास के लिए एक सक्रिय निर्माता की भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत के “विश्व बंधुत्व” के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम साबित हुई। उन्होंने प्रत्येक देश में साझेदारी को नई दिशा देने की पहल की। विशेषकर ब्राज़ील और नामीबिया में उनकी गतिविधियाँ कूटनीति के नए अध्याय लिखने वाली रहीं।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला के साथ हुई बातचीत में भारत-ब्राज़ील व्यापार, रक्षा और जैव-ऊर्जा सहयोग जैसे मुद्दे शामिल रहे। नामीबिया में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा संसद को संबोधित किया गया, जहाँ उन्होंने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूती देने की बात कही।
ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल करेंसी पायलट, हरित वित्तपोषण, और जलवायु जोखिम बीमा जैसे विषयों को ज़ोरदार तरीके से प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा:
“भारत, वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बनकर उभर रहा है। हमें मिलकर एक समावेशी और उत्तरदायी विश्व व्यवस्था की दिशा में काम करना होगा।”
9 जुलाई को पीएम मोदी ने नामीबिया संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने शेर पुनर्वास परियोजना, डिजिटल स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, और शिक्षा में सहयोग जैसे विषयों पर भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
यह संबोधन भारत और अफ्रीका के संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ।
इस यात्रा का सबसे बड़ा और प्राथमिक उद्देश्य था—वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के बीच एकजुटता और सहयोग को मज़बूत करना। वैश्विक दक्षिण उन विकासशील या नवोन्मेषशील देशों का समूह है, जो अक्सर पश्चिमी देशों के वर्चस्वपूर्ण ढांचे में हाशिए पर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में यह स्पष्ट किया कि भारत केवल एक भागीदार नहीं है, बल्कि वह इन देशों की आवाज़ को वैश्विक मंचों पर सशक्त करने के लिए नेतृत्व देने को तत्पर है।
BRICS शिखर सम्मेलन में भारत ने डिजिटल समावेशन, वित्तीय न्याय और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने के लिए वैश्विक दक्षिण को एक साझा रणनीति अपनाने की अपील की।
नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों के साथ भारत ने यह दर्शाया कि वह अफ्रीका के साथ एक समानाधिकार साझेदार के रूप में आगे बढ़ना चाहता है।
प्रधानमंत्री के भाषणों और बैठकों में यह भावना प्रमुख रूप से झलकी कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग अब विकल्प नहीं, बल्कि नवाचार आधारित स्थायी भविष्य की आवश्यकता बन चुका है।
इस यात्रा के माध्यम से भारत ने केवल बहुपक्षीय मंचों पर भाषण नहीं दिया, बल्कि मूलभूत द्विपक्षीय साझेदारियों का विस्तार और निर्माण किया।
ब्राज़ील के साथ कृषि, ऊर्जा, जलवायु तकनीक, अंतरिक्ष सहयोग और रक्षा विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में नए समझौते और सहयोग की संभावनाओं पर काम हुआ।
नामीबिया के साथ भारत ने डिजिटल स्वास्थ्य, अफ्रीकी शेर पुनर्वास परियोजना, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में गहरे सहयोग की नींव रखी।
घाना, त्रिनिदाद व टोबैगो, और अर्जेंटीना के साथ आर्थिक, तकनीकी और मानव संसाधन विकास के क्षेत्रों में सहमति बनी।
इन सभी बैठकों और समझौतों से यह स्पष्ट हुआ कि भारत की विदेश नीति अब केवल भू-राजनीतिक समीकरणों पर केंद्रित नहीं है, बल्कि स्थायी विकास, तकनीकी हस्तांतरण और मानव-संरचना सहयोग जैसे विषयों पर आधारित हो चुकी है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब विश्व में बहुध्रुवीयता की आवश्यकता को लेकर चर्चा तेज हो रही है। पश्चिमी वर्चस्व वाले वैश्विक संस्थानों की पुनर्संरचना की मांग जोरों पर है, और भारत इस विमर्श में सबसे आगे खड़ा है।
BRICS शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वैश्विक संस्थानों को सभी देशों की समान सहभागिता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए।
भारत ने BRICS के माध्यम से विकासशील देशों के लिए वित्तीय समावेशन, तकनीकी स्वतंत्रता और जलवायु वित्त जैसे विषयों पर ठोस पहल की।
डिजिटल करेंसी पायलट, जलवायु बीमा तंत्र, और ग्रीन फाइनेंस जैसे मुद्दों पर भारत ने नीतिगत दिशा देने वाली भूमिका निभाई।
इससे यह संकेत मिला कि भारत केवल ‘उभरती हुई शक्ति’ नहीं, बल्कि एक उत्तरदायी और सक्रिय वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में प्रवेश कर चुका है।
Source :DD News