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राजस्थान की सहकारी समितियों को नया संबल बीज उत्पादन और जैविक उत्पादों के लिए प्रशिक्षण और विपणन तंत्र होगा मजबूत

दिनांक : 10.07.2025 | Koto News | KotoTrust |RajasthanNews |

सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल ने कहा है कि राज्य की सहकारी समितियों को बीज उत्पादन एवं जैविक उत्पादों के विपणन जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण एवं तकनीकी दक्षता प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दिशा में कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए किसानों और समिति सदस्यों को व्यावहारिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाना समय की मांग है। इससे कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित की जा सकेगी।

श्रीमती राजपाल ने यह बात शासन सचिवालय स्थित अपने कक्ष में भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) एवं राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने राजस्थान राज्य क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफेड) और इन दोनों बहुराज्यीय सहकारी समितियों के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह साझेदारी सहकारिता आंदोलन को नया आयाम देगी।

उन्होंने कहा कि यह समझौता राज्य के किसानों के लिए केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि अवसरों का द्वार है जो उन्हें गुणवत्तापूर्ण बीज, जैविक खेती के प्रसार, विपणन में विशेषज्ञता और बेहतर बाजार तक सीधी पहुंच प्रदान करेगा।

प्रमुख शासन सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस साझेदारी के अंतर्गत एक विस्तृत कार्ययोजना (रोडमैप) जल्द तैयार की जाए। इसके लिए उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर समस्त पक्षों के साथ विचार-विमर्श करने और कार्य को चरणबद्ध रूप से आरंभ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि यह पहल सही दिशा में आगे बढ़ाई जाती है, तो यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है।

उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र सरकार द्वारा गठित एक अन्य प्रमुख बहुराज्यीय सहकारी संस्था, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), के साथ भी 14 जुलाई को एक महत्वपूर्ण समझौता प्रस्तावित है। यह समझौता निर्यात के क्षेत्र में सहकारी समितियों की भूमिका को सशक्त करेगा और प्रदेश के कृषि उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा। इससे किसानों और सहकारी समितियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी।

श्रीमती राजपाल ने कहा कि वर्तमान सरकार का लक्ष्य केवल उत्पादन में वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि विपणन, ब्रांडिंग, मूल्य वर्धन और निर्यात के माध्यम से किसानों की आय को बहुगुणित करना है। NCOL के सहयोग से जैविक उत्पादों को देश-विदेश में एक ब्रांड पहचान मिलेगी और BBSSL के माध्यम से उच्च गुणवत्ता के बीजों की राज्य में सुचारु आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की वैल्यू चेन को मजबूत बनाने और बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन को अनुकूलित करने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों का समावेश आवश्यक है। उन्होंने सहकारी समितियों से आह्वान किया कि वे इन नई राष्ट्रीय समितियों की सदस्यता लें और अपने सदस्यों को भी जोड़ें ताकि वे नई तकनीक, प्रशिक्षण और विपणन सहायता का लाभ उठा सकें।

राजस्थान राज्य क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफेड) के प्रबंध निदेशक श्री नवीन जैन ने बताया कि BBSSL और NCOL के साथ हुए इस करार से किसानों को न केवल गुणवत्तायुक्त बीज और जैविक उत्पादों की सुविधा मिलेगी, बल्कि उन्हें तकनीकी परामर्श और प्रमाणन सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह पहल सहकारिता की आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है।

NCOL के प्रतिनिधियों ने बैठक में बताया कि उनकी समिति जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण, परीक्षण, लेबलिंग, पैकेजिंग और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निर्यात की प्रक्रिया में सहयोग करेगी। इसके तहत राज्य की सहकारी समितियों को समय-समय पर प्रशिक्षण, फील्ड विजिट और वर्कशॉप्स आयोजित कर शिक्षित किया जाएगा।

BBSSL के अधिकारियों ने जानकारी दी कि वे किसानों को उन्नत बीज उत्पादन तकनीकों, बीज प्रसंस्करण, भंडारण और गुणवत्ता परीक्षण जैसी सेवाओं में प्रशिक्षित करेंगे। इसके लिए राज्य के विभिन्न अंचलों में मॉडल बीज प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो किसानों को नवीनतम कृषि विज्ञान और पद्धतियों से अवगत कराएंगे।

भारत सरकार द्वारा गठित तीन प्रमुख बहुराज्यीय सहकारी समितियां—भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL), राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) और राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL)—राज्य के किसानों और सहकारी समितियों के लिए नए युग की शुरुआत कर रही हैं। इन समितियों का उद्देश्य है किसानों की आय में वृद्धि, कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार, और वैश्विक बाजार तक सीधी पहुंच सुनिश्चित करना। राजस्थान सरकार, विशेष रूप से सहकारिता विभाग इन संस्थाओं के साथ मिलकर किसानों को आधुनिक, वैज्ञानिक और बाजारोन्मुख समाधान प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

BBSSL का गठन किसानों को उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने तथा उन्हें बीज उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीकों में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से किया गया है। यह संस्था बहुराज्यीय सहकारी ढांचे के तहत कार्य करती है, जिसका सदस्य कोई भी राज्य की सहकारी समिति बन सकती है। इसकी कार्यप्रणाली निम्नलिखित पहलुओं पर आधारित है:

प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं: किसानों को बीज उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण और गुणवत्ता परीक्षण जैसे विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रमाणन प्रक्रिया: बीज की शुद्धता, अंकुरण क्षमता और रोग प्रतिरोधकता को परखने के लिए वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाई जाती है।

मॉडल बीज केंद्र: विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में बीज उत्पादन के लिए मॉडल फार्म की स्थापना की जाती है।

स्थानीय बीज बैंक: समितियों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे बीज बैंक स्थापित करें, जिससे किसानों को समय पर बीज उपलब्ध हो सकें।

BBSSL के माध्यम से राज्य में बीज आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है, जिससे न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि किसान गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए प्रेरित भी होंगे।

NCOL की स्थापना जैविक खेती को प्रोत्साहन देने और देशभर के किसानों को इसके लाभ से जोड़ने के लिए की गई है। इस समिति की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

जैविक प्रमाणीकरण: यह संस्था किसानों को प्रमाणित जैविक खेती की दिशा में मार्गदर्शन करती है और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रमाण-पत्र दिलाने में सहायता करती है।

तकनीकी मार्गदर्शन: भूमि परीक्षण, जैविक खाद, प्राकृतिक कीटनाशकों और मिश्रित फसल प्रणाली के विषय में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

विपणन एवं ब्रांडिंग: जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मूल्यवर्धन की प्रक्रिया को संस्थागत समर्थन दिया जाता है, ताकि किसान बेहतर कीमत प्राप्त कर सकें।

डिजिटल प्लेटफॉर्म: किसानों और खरीदारों के बीच सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए ई-विपणन प्रणाली विकसित की जा रही है।

NCOL, किसानों को ‘मूल्य आधारित खेती’ की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है, जिसमें लागत कम, उत्पादन टिकाऊ और मुनाफा अधिक होता है। साथ ही, जैविक उत्पादों के लिए तेजी से बढ़ रही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग का लाभ भी किसानों को मिलेगा।

NCEL की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है कि देश के किसानों और सहकारी समितियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा सके। यह संस्था किसानों को वैश्विक व्यापार की आवश्यकताओं से परिचित कराती है और उन्हें निर्यात के योग्य बनाती है। इसके अंतर्गत मुख्य बिंदु निम्न हैं:

निर्यात प्रमाणीकरण और लाइसेंसिंग: किसानों और समितियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्पाद तैयार करने हेतु प्रमाणीकरण और आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करवाना।

प्रशिक्षण और क्षमता विकास: अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता, पैकिंग, लॉजिस्टिक्स, सीमा शुल्क प्रक्रिया और निर्यात प्रलेखन के संबंध में प्रशिक्षण।

बाजार अन्वेषण और समझौते: अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से संपर्क स्थापित करना, व्यापारिक मेलों में भागीदारी, और निर्यात समझौते सुनिश्चित करना।

सहकारी निर्यात हब: राज्य में विशेष निर्यात केंद्रों की स्थापना, जहाँ से किसानों के उत्पादों का प्रसंस्करण और निर्यात किया जा सके।

NCEL के माध्यम से राजस्थान के किसानों को ‘लोकल से ग्लोबल’ की यात्रा का अवसर मिलेगा, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस कदम होगा।

Source : DIPR

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