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गोरखपुर में निषाद समाज के दो प्रमुख समाजसेवकों की ऐतिहासिक मुलाकात शिक्षा रोजगार और संस्कृति पर चर्चा

युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशिल चन्द साहनी (अधिवक्ता), और समाजसेवी शिवचरन केवट निषाद

युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशिल चन्द साहनी (अधिवक्ता), और समाजसेवी शिवचरन केवट निषाद

सम्पादक : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | दिनांक 09 अक्टूबर 2025 को गोरखपुर के भरता क्षेत्र में एक विशेष अवसर पर निषाद समाज के दो प्रमुख चेहरों की ऐतिहासिक मुलाकात हुई। इस अवसर पर निषाद युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशिल चन्द साहनी (अधिवक्ता) और नेपाल के प्रख्यात समाजसेवी शिवचरन केवट निषाद आमने-सामने आए। दोनों समाजसेवियों की यह भेंट न केवल सामाजिक एकता का प्रतीक बनी, बल्कि इसने सीमा पार निषाद समाज के बीच एक नई ऊर्जा और जागरूकता का संचार किया। इस मौके पर शिवचरन केवट निषाद को समाजसेवा और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए निषाद युवा वाहिनी की ओर से सम्मानित किया गया।

समारोह का विवरण और माहौल सम्मान समारोह गोरखपुर के भरता में आयोजित किया गया था, जहाँ स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और निषाद समाज के युवा सदस्यों की बड़ी उपस्थिति देखी गई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद निषाद युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया, जिसमें समाज की एकता और जागरूकता का संदेश था।
राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशिल चन्द साहनी ने अपने संबोधन में कहा,

समाज की तरक्की तभी संभव है जब हमारे युवा शिक्षा, रोजगार और संस्कृति के क्षेत्र में आगे बढ़ें। हमें अपनी परंपराओं को सशक्त बनाते हुए आधुनिक शिक्षा से जुड़ना होगा। समाज को मजबूत बनाने के लिए एकता और अनुशासन सबसे जरूरी हैं। उनके इस उद्बोधन पर सभा में उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।

शिवचरन केवट निषाद के विचार और सामाजिक संदेश सम्मान ग्रहण करने के बाद समाजसेवी शिवचरन केवट निषाद ने भावुक शब्दों में कहा निषाद समाज की पहचान मेहनत एकता और संस्कारों से है। यदि हम शिक्षित और संगठित बनें तो किसी भी क्षेत्र में पिछड़े नहीं रहेंगे। हमें अपने बच्चों को पढ़ाना होगा, अपने युवाओं को आगे बढ़ाना होगा और अपनी संस्कृति को जीवित रखना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि समाज की तरक्की केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि आत्मबल और सामूहिक प्रयासों से संभव है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे सामाजिक न्याय, समानता और भाईचारे की भावना को अपनाकर समाज को नई दिशा दें।
उनकी इस बात से कार्यक्रम स्थल पर मौजूद सैकड़ों लोग प्रेरित हुए। कई युवाओं ने इस अवसर पर समाजसेवा की शपथ ली और शिक्षा के प्रसार के लिए अभियान चलाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दौरान दोनों समाजसेवियों के बीच लंबी बातचीत हुई, जिसमें निषाद समाज की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति पर गंभीर चर्चा हुई।

निषाद समाज भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैला एक प्राचीन और ऐतिहासिक समुदाय है। इस समाज की जड़ें भारतीय सभ्यता के प्राचीन जल परिवहन और मत्स्य पालन पर आधारित अर्थव्यवस्था से गहराई तक जुड़ी हुई हैं। ऐतिहासिक रूप से निषाद समाज का संबंध नदियों और जलमार्गों से रहा है, जहां उन्होंने मछली पालन, नाव संचालन और जल संसाधनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सामूहिक मेहनत, संगठनात्मक कौशल और पारंपरिक ज्ञान ने उन्हें ग्राम्य अर्थव्यवस्था में एक अनिवार्य योगदानकर्ता बनाया।

समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना में एकता, अनुशासन और परंपराओं का गहरा प्रभाव रहा है। निषाद समाज की लोक परंपराओं में गीत, नृत्य और उत्सवों के माध्यम से शिक्षा, जीवन मूल्यों और नैतिक संस्कारों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का अद्भुत प्रयास देखा जाता है। इसके अलावा, समाज ने ऐतिहासिक नायकों और वीरों की कहानियों को संरक्षित करके अपनी पहचान और गौरवशाली परंपराओं को जीवित रखा।

वर्तमान समय में निषाद समाज कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। सीमित शिक्षा के अवसर, बेरोजगारी और सामाजिक भेदभाव ने युवाओं के सामने नई बाधाएं खड़ी की हैं। इसके बावजूद, समाज ने कभी संघर्ष की भावना को खोया नहीं। पिछले कुछ वर्षों में, निषाद युवा वाहिनी और अन्य सामाजिक संगठनों ने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में व्यापक अभियान चलाए हैं। इन पहलों के तहत गाँव-गाँव में शिक्षा केंद्र स्थापित किए गए, युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए।

इन प्रयासों के परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में निषाद समाज की स्थिति में सुधार देखा जा रहा है। आज युवा शिक्षा के महत्व को समझ रहे हैं, व्यवसाय और सरकारी नौकरी की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं और सामाजिक चेतना के माध्यम से अपनी पहचान को सुदृढ़ कर रहे हैं। यह बदलाव केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी समाज को सशक्त बना रहा है।

विशेष रूप से यह कहा जा सकता है कि निषाद समाज का इतिहास और संघर्ष केवल उनके अतीत या वर्तमान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रहा है। जब समाज के युवा शिक्षित और संगठित होंगे, तभी समाज की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति पूर्ण रूप से संभव होगी।

इस पहल का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि नेपाल और भारत में रहने वाले निषाद समाज के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध गहरे हैं। दोनों देशों में जीवन शैली, उत्सव, परंपराएँ और सामाजिक संरचनाएँ कई मामलों में समान हैं। इस मंच के माध्यम से, दोनों देशों के युवा और समाजसेवी एक-दूसरे के अनुभवों और सफल पहलों से सीख सकते हैं। इससे न केवल सामूहिक पहचान को मजबूती मिलेगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक अवसरों का सृजन भी संभव होगा।

मंच के गठन पर चर्चा के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि प्रारंभिक सम्मेलन नवंबर 2025 में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में प्रमुख विषय होंगे — शिक्षा के नए अवसर, रोजगार सृजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आदान-प्रदान, और युवा नेतृत्व को सक्रिय बनाना। इसके अलावा, मंच यह सुनिश्चित करेगा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले निषाद समाज के लोग अपने अधिकारों, संसाधनों और सामाजिक अवसरों के प्रति सजग रहें।

यह पहल केवल एक औपचारिक संगठन नहीं होगी, बल्कि यह निषाद समाज के लिए एक नई दिशा और सामूहिक पहचान का प्रतीक बनेगी। युवा, समाजसेवी और बुद्धिजीवी इस मंच के माध्यम से आपसी सहयोग, ज्ञान का आदान-प्रदान और सामाजिक सुधार के लिए मिलकर कार्य करेंगे। इससे निषाद समाज के युवा शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अधिक संगठित और सक्षम होंगे।

विशेष रूप से, इस मंच के माध्यम से दो देशों के निषाद समाज के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाएगा। नेपाल और भारत दोनों में निषाद समाज की लोक कला, गीत-संगीत, परंपराएँ और उत्सव साझा किए जाएंगे, जिससे पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने में मदद मिलेगी। यह पहल निषाद समाज के लिए एक नया युग स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंततः यह कहा जा सकता है कि नेपाल-भारत निषाद एकता मंच न केवल समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक मजबूती के लिए आवश्यक है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व के अवसरों का एक स्थायी मंच भी प्रदान करेगा।

रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)

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