प्रयागराज, 15 दिसम्बर| माघ मेला 2026 के अंतर्गत अखिल भारतीय महर्षि कश्यप निषादराज अखाड़े द्वारा पहली बार एक भव्य और ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन किया जा रहा है, जो 3 जनवरी से 15 फरवरी 2025 तक निरंतर चलेगा। यह आयोजन भारतीय सनातन परंपरा, निषाद समाज की गौरवशाली विरासत तथा संत परंपरा को एक मंच पर लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। आयोजन में महर्षि कश्यप महापुराण, श्री निषाद पुराण एवं शिव महापुराण की पावन कथाओं का वाचन, देशभर से पधारे संत-महात्माओं का सत्संग, और प्रतिदिन अन्न क्षेत्र भंडारे के माध्यम से महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा।
यह माघ मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि यह आयोजन समाज में एकता, समरसता और सेवा भाव को सुदृढ़ करने का कार्य करेगा।
अखिल भारतीय महर्षि कश्यप निषादराज अखाड़ा द्वारा आयोजित यह माघ मेला अपने आप में एक अनूठा और ऐतिहासिक आयोजन है। पहली बार इस अखाड़े के तत्वावधान में इतने बड़े स्तर पर धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। आयोजन का मुख्य उद्देश्य महर्षि कश्यप की सनातन परंपरा, निषाद समाज की आध्यात्मिक विरासत तथा भारतीय संस्कृति के मूल मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाना है। माघ मेले के दौरान प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना जताई जा रही है।
इस माघ मेले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें तीन प्रमुख पुराण कथाओं का आयोजन किया जा रहा है। महर्षि कश्यप महापुराण की कथा के माध्यम से सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म, कर्म और मानव जीवन के आदर्शों का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। वहीं श्री निषाद पुराण की कथा निषाद समाज के इतिहास, उनके योगदान और सांस्कृतिक पहचान को उजागर करेगी। इसके साथ ही शिव महापुराण की कथा में भगवान शिव की महिमा, भक्ति और वैराग्य के संदेश को श्रद्धालुओं तक पहुंचाया जाएगा।
आयोजन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए संत-महात्माओं द्वारा प्रतिदिन सत्संग का आयोजन किया जाएगा। संतों के प्रवचन समाज को नैतिक मूल्यों, सेवा भाव, आपसी भाईचारे और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित करेंगे। सत्संग के माध्यम से युवाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का विशेष प्रयास किया जाएगा। आयोजकों के अनुसार, यह माघ मेला समाज में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक चेतना का संचार करेगा।
माघ मेले के दौरान प्रतिदिन अन्न क्षेत्र भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी श्रद्धालुओं को महाप्रसादी वितरित की जाएगी। आयोजकों ने इसे सेवा और समर्पण का सबसे बड़ा माध्यम बताया है। अन्न क्षेत्र में किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय का भेदभाव नहीं होगा। सभी श्रद्धालु समान रूप से प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। आयोजक समिति ने सभी समाज बंधुओं से तन, मन और धन से अधिक से अधिक सहयोग करने की अपील की है ताकि यह आयोजन सफल और ऐतिहासिक बन सके।
विस्तृत विवरण
माघ मेला क्षेत्र में आयोजन को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। कथा पंडाल, संत निवास, अन्न क्षेत्र, चिकित्सा शिविर, स्वच्छता व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। स्वयंसेवकों की टीम लगातार व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। आयोजन समिति का कहना है कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
यह माघ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक बनेगा। इसमें सभी समाज, वर्ग और समुदाय के लोगों को आमंत्रित किया गया है। आयोजन के माध्यम से समाज में आपसी सहयोग, भाईचारा और सेवा की भावना को मजबूत करने का संदेश दिया जाएगा।
माघ मेला 2026 : प्रमुख आकर्षण
माघ मेला 2026 के अंतर्गत आयोजित होने वाला यह भव्य धार्मिक एवं सामाजिक आयोजन अखिल भारतीय महर्षि कश्यप निषादराज अखाड़े के तत्वावधान में पहली बार इतने व्यापक स्वरूप में संपन्न किया जा रहा है। यह आयोजन 3 जनवरी से 15 फरवरी 2025 तक निरंतर चलेगा, जिसमें देशभर से श्रद्धालु, संत-महात्मा और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग बड़ी संख्या में सहभागिता करेंगे। यह माघ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि समाज में एकता, समरसता और सेवा भावना को भी सुदृढ़ करेगा।
3 जनवरी से 15 फरवरी 2025
लगभग डेढ़ माह तक चलने वाला यह माघ मेला निरंतर धार्मिक अनुष्ठानों, कथाओं और सेवा कार्यों से परिपूर्ण रहेगा। प्रतिदिन विविध धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को बार-बार आने और अधिक समय तक जुड़ने का अवसर मिलेगा। लंबे समय तक चलने वाला यह आयोजन साधना, सेवा और संस्कारों का एक सशक्त केंद्र बनेगा।
अखिल भारतीय महर्षि कश्यप निषादराज अखाड़ा
अखिल भारतीय महर्षि कश्यप निषादराज अखाड़ा सनातन परंपरा, निषाद समाज की गौरवशाली विरासत और संत परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य करता रहा है। इस माघ मेले के माध्यम से अखाड़ा समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने, धार्मिक चेतना जागृत करने और सेवा कार्यों को विस्तार देने का संकल्प लेकर आगे आया है। आयोजन समिति का उद्देश्य है कि यह माघ मेला आने वाले समय में एक स्थायी और प्रेरणादायक परंपरा बने।
महर्षि कश्यप महापुराण की कथा
महर्षि कश्यप महापुराण की कथा के माध्यम से सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म और कर्म के सिद्धांत, तथा मानव जीवन के आदर्शों का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। यह कथा श्रद्धालुओं को नैतिकता, संयम और कर्तव्यबोध का संदेश देगी तथा जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करेगी।
श्री निषाद पुराण की कथा
श्री निषाद पुराण की कथा निषाद समाज के इतिहास, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक योगदान को उजागर करेगी। इसके माध्यम से समाज के गौरवशाली अतीत, संघर्षों और उपलब्धियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे समाज में आत्मगौरव और एकता की भावना मजबूत हो।
शिव महापुराण की कथा
शिव महापुराण की कथा भगवान शिव की महिमा, भक्ति, वैराग्य और कल्याणकारी स्वरूप को श्रद्धालुओं तक पहुंचाएगी। यह कथा जीवन में संतुलन, त्याग और भक्ति के महत्व को समझाने का कार्य करेगी तथा मानसिक और आध्यात्मिक शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।
प्रतिदिन संतों का सत्संग
माघ मेले के दौरान प्रतिदिन देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे संत-महात्माओं द्वारा सत्संग आयोजित किए जाएंगे। संतों के प्रवचन समाज को सत्य, अहिंसा, सेवा और भाईचारे के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देंगे। विशेष रूप से युवाओं को अपनी संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने पर जोर दिया जाएगा। सत्संग श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक सोच और आत्मिक बल का संचार करेगा।
अन्न क्षेत्र भंडारा – प्रतिदिन महाप्रसादी
सेवा को सर्वोच्च धर्म मानते हुए माघ मेले में प्रतिदिन अन्न क्षेत्र भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसमें सभी श्रद्धालुओं को बिना किसी भेदभाव के महाप्रसादी वितरित की जाएगी। यह अन्न क्षेत्र समाज में समानता, सहयोग और करुणा का संदेश देगा। आयोजकों के अनुसार, अन्नदान सबसे बड़ा दान है और इसके माध्यम से हजारों लोगों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
सभी समाज बंधुओं से तन, मन, धन से सहयोग की अपील
आयोजन समिति ने सभी समाज बंधुओं, श्रद्धालुओं और धर्मप्रेमी नागरिकों से अपील की है कि वे इस पावन आयोजन को सफल बनाने के लिए तन, मन और धन से अधिक से अधिक सहयोग करें। कोई सेवा कार्यों में सहयोग कर सकता है, कोई व्यवस्थाओं में श्रमदान दे सकता है और कोई आर्थिक सहयोग के माध्यम से इस आयोजन का हिस्सा बन सकता है। सामूहिक सहयोग से ही यह माघ मेला एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक आयोजन बन सकेगा।
रिपोर्ट : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |

