निषाद आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट रविन्द्र निषाद
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सामाजिक-राजनीतिक संगठन “निषाद आर्मी” के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट रविन्द्र निषाद बिहार में आयोजित एक महागठबंधन कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे, तभी रास्ते में एक भीषण सड़क दुर्घटना हो गई। यह हादसा मुजफ्फरपुर से दरभंगा विधानसभा क्षेत्र के गौड़बौरम के निकट हुआ। बताया जा रहा है कि इस हादसे में उनकी गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, हालांकि गलिमत रही कि सभी सवार लोग बाल-बाल बच गए। स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों की तत्परता से उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।
सूत्रों के अनुसार, एडवोकेट रविन्द्र निषाद अपने काफिले के साथ बिहार वीआईपी पार्टी (विकासशील इंसान पार्टी) के प्रमुख मुकेश सहानी के नेतृत्व में आयोजित महागठबंधन के शक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रहे थे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बिहार में निषाद समाज और मछुआ समुदाय के अधिकारों की आवाज को बुलंद करना था। जैसे ही उनका वाहन दरभंगा जिले के गौड़बौरम मोड़ के पास पहुंचा, अचानक सामने से आ रहे गाड़ी ने उनकी गाड़ी को टक्कर मार दी। जोरदार टक्कर से गाड़ी सड़क किनारे और क्षतिग्रस्त हो गई। उनकी गाड़ी को टक्कर मारने वाली गाड़ी को पकड़ा जा चुका है |
हादसे के बाद वहां स्थानीय ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर । प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, एडवोकेट रविन्द्र निषाद और उनके साथियों को हल्की चोटें आई हैं, लेकिन किसी की स्थिति गंभीर नहीं है। बताया कि दुर्घटना इतनी भयानक थी कि कुछ पल के लिए लगा कि गाड़ी में सवार कोई नहीं बचा होगा। गाड़ी के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए थे। गोरखपुर निषाद आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट रविन्द्र निषाद जी का सड़क हादसे में बाल-बाल बचना ईश्वर की कृपा है। संगठन के लिए उनका योगदान अमूल्य है और मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
जानकारी के अनुसार, निषाद आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट रविन्द्र निषाद लंबे समय से समाजसेवा और संगठनात्मक कार्यों से जुड़े हुए हैं। वे उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों में निषाद समाज के अधिकार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर सक्रिय रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि “बिना राजनीतिक सशक्तिकरण के निषाद समाज का उत्थान संभव नहीं है। इस हादसे की खबर मिलते ही गोरखपुर जिलों के कार्यकर्ताओं में चिंता की लहर दौड़ गई। निषाद आर्मी के सैकड़ों सदस्यों ने सोशल मीडिया पर #GetWellSoonRavindraNishad ट्रेंड कराया। संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि “रविन्द्र निषाद सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि आंदोलन की आत्मा हैं। गोरखपुर के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना निषाद आर्मी की राजनीतिक सक्रियता को और तेज कर सकती है। बिहार में वीआईपी पार्टी के साथ उनकी साझेदारी चुनावों में “निषाद वोट बैंक” को प्रभावित कर सकती है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा यह गठजोड़ सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को संगठित करने की दिशा में बड़ा कदम है। रविन्द्र निषाद की सक्रियता और मुकेश सहनी की राजनीतिक रणनीति दोनों मिलकर उत्तर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया समीकरण बना सकते हैं।
एडवोकेट रविन्द्र निषाद
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के निवासी, एडवोकेट रविन्द्र निषाद का जीवन संघर्ष, सेवा और समाज-निर्माण की एक प्रेरक कहानी है। वे पेशे से एक प्रखर अधिवक्ता (Advocate) हैं, जिन्होंने कानून की पढ़ाई के बाद अपना करियर न्यायालय की चारदीवारी तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे समाज के सबसे वंचित और उपेक्षित वर्गों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका मानना है कि “कानून का असली अर्थ तभी है जब वह समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करे।
निषाद आर्मी
एडवोकेट रविन्द्र निषाद ने “निषाद आर्मी” नामक संगठन की स्थापना की। यह संगठन शुरू में गोरखपुर और आसपास के जिलों के मछुआ, केवट, बिंद, मल्लाह, तुरहा, और निषाद समुदाय को संगठित करने के उद्देश्य से बना था। परंतु जल्द ही यह आंदोलन एक राष्ट्रीय स्वरूप लेने लगा। आज “निषाद आर्मी” सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का प्रतीक बन चुका है। इसकी शाखाएँ उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। संगठन का उद्देश्य है — “निषाद समाज को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। रविन्द्र निषाद का कहना है हम केवल वोट बैंक नहीं हैं। हम इस देश की नदियों के रखवाले हैं, और अब हमें अपने हक की लड़ाई खुद लड़नी होगी।
समाजसेवा और नेतृत्व का विस्तार
एडवोकेट रविन्द्र निषाद ने अपने नेतृत्व में समाज के पिछड़े वर्गों और मछुआ समुदाय के अधिकारों के लिए कई आंदोलन चलाए। उन्होंने हजारों लोगों को आरक्षण, शिक्षा, और रोजगार के अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उनके नेतृत्व में निषाद आर्मी ने सामाजिक न्याय, आरक्षण, जल-अधिकार, मत्स्य अधिकार, और राजनीतिक भागीदारी जैसे मुद्दों को लेकर कई बड़े प्रदर्शन किए। वे अक्सर कहते हैं कि “समाज को बराबरी का हक सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि जागरूकता और एकजुटता से मिलता है। उनकी सक्रियता और समर्पण ने उन्हें समाज के हर वर्ग में सम्मान दिलाया। लोग उन्हें प्यार से “नदी पुत्र” भी कहते हैं, क्योंकि उन्होंने नदियों से जुड़े समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष की एक नई लहर चलाई है।
संगठन की शक्ति और जनाधार
आज “निषाद आर्मी” के लाख से अधिक सक्रिय सदस्य पूरे उत्तर भारत में हैं। संगठन की ताकत इस बात से झलकती है कि यह केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर पंचायत से संसद तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। संगठन की गतिविधियों में समाज कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और नशा मुक्ति अभियान जैसे कई कार्य शामिल हैं। निषाद आर्मी के माध्यम से वे समाज में “सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता” का संदेश फैला रहे हैं।
राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा
एडवोकेट रविन्द्र निषाद मानते हैं कि समाज का विकास तब तक अधूरा रहेगा जब तक उस समाज को राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। उनके अनुसार, “राजनीति वह माध्यम है जिसके द्वारा समाज अपनी आवाज़ शासन तक पहुँचा सकता है। इसी दृष्टिकोण से वे विभिन्न राजनीतिक मंचों और महागठबंधनों में शामिल होते हैं ताकि निषाद समाज को मुख्यधारा की राजनीति में सम्मानजनक स्थान मिल सके। वे कहते हैं |हमारा समाज जितना मेहनती है, उतना ही उपेक्षित भी रहा है। अब समय आ गया है कि हम अपनी ताकत को पहचानें और एकजुट होकर अपना हक हासिल करें।
नेतृत्व की विशिष्ट शैली और जनप्रियता
रविन्द्र निषाद की सबसे बड़ी ताकत है — उनकी सादगी, संवेदनशीलता और संवाद कौशल। वे भीड़ से ऊपर उठकर आम कार्यकर्ता के बीच बैठते हैं, उनकी समस्याएँ सुनते हैं और समाधान खोजते हैं। उनकी सभाओं में सिर्फ भाषण नहीं होते, बल्कि उनमें लोगों के जीवन की हकीकतें और उम्मीदें झलकती हैं। वे कहते हैं नेता वह नहीं जो आगे चलता है, बल्कि वह है जो सबसे पीछे रहकर अपने साथियों को आगे बढ़ाता है।
सामाजिक प्रभाव और भविष्य की दृष्टि
एडवोकेट रविन्द्र निषाद ने अपने विचारों और कार्यों से निषाद समाज में नई चेतना जगाई है। उनकी नेतृत्व क्षमता ने यह साबित किया है कि यदि संगठन मजबूत हो, तो किसी भी वंचित वर्ग को अधिकार दिलाया जा सकता है। वे युवाओं को समाज सेवा में जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं और मानते हैं कि “युवाओं के बिना परिवर्तन संभव नहीं है। उनका लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में निषाद आर्मी को “राष्ट्र निर्माण में सहयोगी संगठन” के रूप में स्थापित किया जाए।
रिपोर्ट : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |