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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एम्स भुवनेश्वर के 5वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को किया संबोधित

राष्ट्रपति

दिनांक : 15.07.2025 | Koto News | KotoTrust |

भुवनेश्वर 14.07.2025– राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भुवनेश्वर के 5वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना की और उत्तीर्ण छात्रों को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा दी। यह समारोह एम्स के प्रांगण में आयोजित हुआ जिसमें राज्य और केंद्र सरकार के कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए।

सेवा, संवेदना और समाज सेवा का आह्वान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा कि एम्स भुवनेश्वर ने 12 वर्षों में जो प्रगति की है, वह सराहनीय है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 2003 में स्थापित इस संस्थान को पूर्वी भारत के चिकित्सा मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाने के लिए संकाय, प्रशासन और छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि “एक चिकित्सक सिर्फ शरीर का नहीं, समाज का भी उपचार करता है। सेवा, करुणा और दायित्व बोध ही चिकित्सा पेशे की आत्मा हैं।”

व्यापक सेवा का दायरा

राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स भुवनेश्वर ने ओडिशा ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी भारत के अन्य राज्यों के मरीजों को भी उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले एक वर्ष में संस्थान में 10 लाख बाह्य रोगी देखे गए, 17 लाख से अधिक नैदानिक परीक्षण हुए और 25,000 से अधिक जटिल सर्जरी संपन्न की गईं।

गुणवत्ता, स्वच्छता और वैश्विक मान्यता

संस्थान की वैश्विक पहचान की ओर संकेत करते हुए राष्ट्रपति ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा एम्स भुवनेश्वर को “एशिया सेफ सर्जिकल इम्प्लांट कंसोर्टियम (ASSIC)” के तहत उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके अलावा, लगातार पांच वर्षों तक संस्थान को राष्ट्रीय कायाकल्प पुरस्कार भी मिला है जो इसकी स्वच्छता, प्रबंधन और सेवा उत्कृष्टता को दर्शाता है।

अनुसंधान और मानवीय सेवा की मिसाल

राष्ट्रपति ने छात्रों और संकाय के शोध कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि एम्स भुवनेश्वर के चिकित्सक चिकित्सा से अधिक एक मिशन का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने चिकित्सा को “ईश्वर की सेवा का माध्यम” बताते हुए कहा कि छात्रों को समाज की जरूरतों के अनुरूप शोध, सेवा और संवेदनशीलता को प्राथमिकता देनी चाहिए।

ओडिशा के राज्यपाल की दृष्टि

ओडिशा के राज्यपाल श्री हरि बाबू कंभमपति ने अपने वक्तव्य में कहा कि एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना भारत में न्यायपूर्ण, समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि एम्स भुवनेश्वर ने खुद को एम्स नई दिल्ली के बाद देश में दूसरा सर्वश्रेष्ठ संस्थान साबित किया है और महामारी के समय इसके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

मुख्यमंत्री की आशा और संकल्प

ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का जो ढांचा तैयार हुआ है, एम्स भुवनेश्वर उसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान में ई-भुगतान, डिजिटल रिकॉर्ड्स और ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवाएं “डिजिटल इंडिया” के सपनों को धरातल पर उतार रही हैं। सिकल सेल एनीमिया जैसे रोगों पर काम करने के लिए एम्स को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है।

केंद्र सरकार की स्वास्थ्य नीति पर बल

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि “अच्छा स्वास्थ्य किसी राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि का मूल है”। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प में ओडिशा भी 2036 तक विकसित राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने एम्स को तकनीकी स्वास्थ्य नवाचारों का केंद्र बनाने की बात भी कही।

रैंकिंग और उत्कृष्टता के आंकड़े

श्री प्रधान ने बताया कि एनआईआरएफ (NIRF) की समग्र रैंकिंग में एम्स भुवनेश्वर को 15वां स्थान मिला है, जबकि मेडिकल कॉलेज कैटेगरी में यह 12वें स्थान पर है। उभरते एम्स की श्रेणी में यह दूसरा सर्वश्रेष्ठ संस्थान है। उन्होंने इसे चिकित्सा नवाचार, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और अनुसंधान का नया केंद्र बताया।

छात्रों के लिए प्रेरणा और जिम्मेदारी

अपने प्रेरणादायी संदेश में मुख्यमंत्री श्री माझी और केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान ने छात्रों से समाज की सेवा में तत्पर रहने, सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करने और जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं जैसे आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) ओडिशा के 3.52 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा दे रही हैं।

दीक्षांत में पुरस्कार और डिग्री वितरण

समारोह में कुल 643 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। इसमें 196 एमबीबीएस, 158 एमएस, 49 एमडी, 116 पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो, 62 बीएससी नर्सिंग और 41 एमएससी नर्सिंग डिग्रियां शामिल थीं। विभिन्न श्रेणियों में 59 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

प्रबंधन की भूमिका और भविष्य की दिशा

इस अवसर पर एम्स भुवनेश्वर के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) शैलेश कुमार और निदेशक प्रो. (डॉ.) आशुतोष विश्वास ने संस्थान की भावी योजनाओं और विस्तार की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान सुपर-स्पेशियलिटी, ट्रांसलेशनल रिसर्च, कैंसर केयर और टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में नए अध्याय रचने जा रहा है।

1. एक वर्ष में 10 लाख से अधिक बाह्य रोगियों का उपचार:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भुवनेश्वर ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करते हुए केवल एक वर्ष की अवधि में 10 लाख से अधिक बाह्य रोगियों (Out-Patient Department – OPD) को चिकित्सा सेवा प्रदान की है। यह आंकड़ा न केवल संस्थान की कार्यक्षमता और संसाधनों की श्रेष्ठता को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि संस्थान में प्रतिदिन हजारों मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सहायता मिल रही है। इस सेवा में सामान्य चिकित्सा से लेकर जटिल रोगों तक की समुचित देखभाल शामिल रही है।

2. 17 लाख से अधिक नैदानिक परीक्षण:
उन्नत पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक लैब सुविधाओं के कारण एम्स भुवनेश्वर में गत वर्ष 17 लाख से अधिक नैदानिक परीक्षण (Diagnostic Tests) किए गए। इनमें रक्त, मूत्र, हॉर्मोन, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, रेडियोलॉजी, एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे और विभिन्न अन्य जांचों की विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इन सेवाओं की उपलब्धता से रोगों की शीघ्र और सटीक पहचान सुनिश्चित हुई, जिससे इलाज की गुणवत्ता और रोगियों का विश्वास दोनों में वृद्धि हुई।

3. 25,000 से अधिक शल्य चिकित्सा (सर्जरी):
एम्स भुवनेश्वर ने एक वर्ष में 25,000 से अधिक सफल शल्य क्रियाएं (Surgeries) संपन्न कीं। इनमें न्यूरोसर्जरी, कार्डियक सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, गाइनेकोलॉजी, यूरोलॉजी, ओंकोसर्जरी एवं अन्य जटिल विभागों की सर्जिकल प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सकीय उत्कृष्टता को दर्शाती है बल्कि यह भी संकेत देती है कि संस्थान में अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर, प्रशिक्षित सर्जन और नवाचार पर आधारित चिकित्सकीय पद्धति अपनाई जाती है।

4. WHO से ASSIC-QIP गुणवत्ता पुरस्कार प्राप्त:
प्रसंस्करण (Reprocessing) और संक्रमण नियंत्रण में उच्च मानकों के पालन के लिए दिया गया है। इस मान्यता से यह सिद्ध होता है कि एम्स भुवनेश्वर की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य कर रही है।

5. पाँच बार राष्ट्रीय कायाकल्प पुरस्कार से सम्मानित:
एम्स भुवनेश्वर को भारत सरकार द्वारा पाँच बार राष्ट्रीय कायाकल्प पुरस्कार से नवाज़ा गया है। यह पुरस्कार भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में स्वच्छता, संक्रमण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और रोगी-केंद्रित सेवाओं के उत्कृष्ट संचालन के लिए प्रदान किया जाता है। निरंतर पाँच वर्षों तक यह पुरस्कार प्राप्त करना यह प्रमाणित करता है कि एम्स भुवनेश्वर अस्पताल स्वच्छता, पर्यावरणीय प्रबंधन और स्वास्थ्य-सुरक्षा में सर्वोत्तम मानकों का पालन करता है।

6. NIRF रैंकिंग में मेडिकल कॉलेजों की श्रेणी में 12वां स्थान:
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) के 2025 के आंकड़ों में एम्स भुवनेश्वर को मेडिकल कॉलेजों की श्रेणी में 12वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह रैंकिंग शिक्षण गुणवत्ता, शोध उत्पादन, संकाय-संबंध, प्लेसमेंट डेटा और संसाधन उपयोग जैसे मानकों पर आधारित होती है। यह उपलब्धि चिकित्सा शिक्षा में एम्स भुवनेश्वर की तेजी से बढ़ती साख का स्पष्ट संकेत है।

7. डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी:
डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत एम्स भुवनेश्वर ने चिकित्सा सेवा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन को पूरी तरह अपनाया है। मरीजों की रजिस्ट्रेशन से लेकर रिपोर्ट वितरण, परामर्श प्रणाली, भुगतान और फॉलोअप तक अधिकांश सेवाएं डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही हैं। ई-हॉस्पिटल सिस्टम, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन अपॉइंटमेंट, ई-फार्मेसी, और हेल्थ रिकॉर्ड मैनेजमेंट जैसे प्रयासों ने इस संस्थान को तकनीकी रूप से अत्याधुनिक बना दिया है।

8. सिकल सेल एनीमिया पर राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र का दर्जा:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में सिकल सेल एनीमिया जैसी गंभीर जनजातीय एवं वंचित समुदायों से जुड़ी बीमारी के उन्मूलन हेतु एम्स भुवनेश्वर को राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है। यह केंद्र शोध, जांच, उपचार और जागरूकता के माध्यम से पूर्वी भारत में इस बीमारी के खिलाफ सशक्त लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। इसके अंतर्गत जेनेटिक काउंसलिंग, सामुदायिक स्क्रीनिंग एवं उपचार कार्यक्रम विशेष रूप से संचालित किए जा रहे हैं।

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