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हरदीप सिंह पुरी ने वियना में 9वें ओपेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भारत

दिनांक: 10.07.2025 | Koto News | KotoTrust | PM Modi |

वियना में आयोजित 9वें ओपेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी ऊर्जा नीति, हरित संक्रमण की दिशा में किए गए प्रयासों और ओपेक के साथ परस्पर लाभकारी संबंधों को जोरदार तरीके से प्रस्तुत किया। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने इस सम्मेलन में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि भारत और ओपेक (तेल निर्यातक देशों का संगठन) के बीच एक “विशिष्ट और सहजीवी” (Symbiotic) संबंध है, जो वैश्विक ऊर्जा संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

पुरी ने ओपेक महासचिव हैथम-अल-घैस के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी की, जिसमें वैश्विक तेल बाजार की स्थिरता, मूल्य नियंत्रण, और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई। पुरी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इस मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “हमने ओपेक के साथ भारत की मजबूत साझेदारी और तेल बाजार को स्थिर बनाए रखने के उपायों पर चर्चा की।” उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, अपने नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति के तहत काम कर रहा है।

हरदीप सिंह पुरी ने ओपेक मंच से भारत की ऊर्जा नीति की मजबूती को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए प्रयासरत है, बल्कि हरित और नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में भी ठोस कदम उठा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार “ऊर्जा तक न्यायसंगत और सुलभ पहुंच” की नीति पर जोर देती है और इसके लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू की गई हैं।

पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्वच्छ ईंधन की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के अंतर्गत अब तक 10.3 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन गरीब और वंचित वर्ग की महिलाओं को दिए जा चुके हैं। इससे न केवल रसोईघर में क्रांति आई है, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान हुआ है।

उन्होंने बताया कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली, उस समय देश में एलपीजी की पहुंच केवल 55% आबादी तक थी। आज यह लगभग 100% हो चुकी है। उज्ज्वला योजना की सफलता का श्रेय उस लक्ष्य को जाता है जिसमें हर घर तक स्वच्छ ईंधन पहुंचाने की परिकल्पना की गई थी।

पुरी ने यह भी उल्लेख किया कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सब्सिडी के कारण भारत में एलपीजी सिलेंडर की कीमतें विश्व में सबसे कम हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी कीमतों में 58% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन भारत में उज्ज्वला योजना के तहत लाभार्थियों को केवल $6-7 (लगभग 500-585 रुपये) में 14.2 किलो का सिलेंडर उपलब्ध कराया गया। जबकि इसी अवधि में वैश्विक बाजार में इसकी कीमत $10-11 (लगभग 840-925 रुपये) तक पहुँच चुकी थी।

पुरी ने यह स्पष्ट किया कि भारत ‘ऊर्जा न्याय’ (Energy Justice) की अवधारणा में विश्वास करता है, जिसमें हर व्यक्ति, विशेषकर गरीब और वंचित समुदाय, को सुरक्षित, सुलभ और सस्ती ऊर्जा प्रदान की जाए। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल आयात पर निर्भरता घटाना नहीं है, बल्कि एक ऐसी ऊर्जा प्रणाली का निर्माण करना है जो न्यायसंगत, समावेशी और सतत विकास आधारित हो।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत आने वाले वर्षों में अपने ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन, बायोफ्यूल और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश कर रही है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सके और जलवायु लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।

सेमिनार के दौरान हरदीप सिंह पुरी ने ओपेक से यह आग्रह किया कि वह नीतिगत फैसले लेते समय भारत जैसे विकासशील देशों की आवश्यकताओं का ध्यान रखे। उन्होंने कहा कि वैश्विक ऊर्जा नीति तभी सफल हो सकती है जब वह केवल आपूर्ति और मांग के आंकड़ों तक सीमित न होकर, उपभोक्ताओं के सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य को भी समझे।

उन्होंने ओपेक देशों को याद दिलाया कि भारत जैसे विशाल बाजार में ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है, और यदि कच्चे तेल की कीमतें अनियंत्रित रहीं, तो इसका असर न केवल उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बल्कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर भी पड़ेगा। इसलिए तेल उत्पादक देशों को चाहिए कि वे मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए सामूहिक और पूर्वानुमेय रणनीति अपनाएं।

10.3 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन वितरित
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की शुरुआत 2016 में महिलाओं के स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और स्वच्छ ईंधन की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी। योजना के तहत अब तक 10.3 करोड़ से अधिक मुफ्त एलपीजी कनेक्शन गरीब और वंचित वर्ग की महिलाओं को प्रदान किए जा चुके हैं। यह विश्व की सबसे बड़ी स्वच्छ ऊर्जा वितरण योजनाओं में से एक है।

रसोईघर तक एलपीजी पहुंच 2014 में 55% से बढ़कर 2025 में लगभग 100% तक
2014 तक भारत में मात्र 55 प्रतिशत परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन था। उज्ज्वला योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और जनभागीदारी के चलते यह आंकड़ा 2025 में लगभग सार्वभौमिक पहुँच (100 प्रतिशत) तक पहुँच चुका है। यह परिवर्तन ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में ऊर्जा पहुंच का ऐतिहासिक विस्तार है।

उज्ज्वला लाभार्थियों को रियायती दर पर एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध
केंद्र सरकार उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को सब्सिडी प्रदान करती है, जिसके चलते उन्हें 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर की कीमत केवल ₹500 से ₹585 के बीच चुकानी पड़ती है। यह दर अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में काफी कम है और गरीबों को ऊर्जा महंगाई से सुरक्षित रखती है।

वैश्विक बाजार में 58% वृद्धि के बावजूद भारत में मूल्य नियंत्रण
पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी कीमतों में 58 प्रतिशत तक की भारी वृद्धि हुई थी, जिसके चलते वैश्विक स्तर पर सिलेंडर की कीमतें $10-11 (₹840-₹925) तक पहुँच गई थीं। इसके बावजूद भारत सरकार ने सब्सिडी और मूल्य नियंत्रण नीति के माध्यम से उज्ज्वला लाभार्थियों को केवल $6-7 (₹500-₹585) में सिलेंडर उपलब्ध कराए, जिससे करोड़ों गरीब परिवारों को राहत मिली।

महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण में क्रांतिकारी योगदान
परंपरागत ईंधन (जैसे लकड़ी, गोबर) से उत्पन्न धुएं के कारण महिलाओं को श्वसन रोग, आंखों में जलन, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। उज्ज्वला योजना ने इस स्थिति को बदल दिया है। स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता से महिलाओं का स्वास्थ्य सुधरा है, खाना पकाने में लगने वाला समय घटा है और उनका सामाजिक सशक्तिकरण भी बढ़ा है। यह योजना महिलाओं को गरिमा, सुरक्षा और सम्मान प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।

Source : DD News

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