दिनांक : 21.07.2025 | Koto News | KotoTrust |
ई-श्रम पोर्टल, अब असंगठित कामगारों के लिए एक वन-स्टॉप सॉल्यूशन के रूप में विकसित हो चुका है। इस पोर्टल के माध्यम से घरेलू कामगारों सहित 30.94 करोड़ |
ई-श्रम प्लेटफॉर्म का मूल उद्देश्य असंगठित कामगारों को एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान करके उनका राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना और विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ना रहा है। लेकिन अब इसे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक प्रत्यक्ष और सरल पहुंच सुनिश्चित करने के “वन-स्टॉप-सॉल्यूशन” में बदल दिया गया है।
ई-श्रम पोर्टल की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने वर्ष 2021 में जब इस पोर्टल की शुरुआत की थी, तब लक्ष्य था कि देशभर के असंगठित कामगारों – जैसे घरेलू सहायिका, निर्माण श्रमिक, खेतिहर मज़दूर, स्ट्रीट वेंडर, रिक्शा चालक आदि – को आधार से जुड़े एक डेटाबेस में समाहित कर उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए केवल आधार कार्ड और बैंक खाता आवश्यक है, और इसमें श्रमिकों को एक 12 अंकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) दिया जाता है।
इस पोर्टल की खासियत यह है कि यह एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार करता है जिससे सरकार को योजना निर्माण, नीतिगत निर्णय और आकस्मिक राहत वितरण में सहायता मिलती है।
अब तक 14 प्रमुख योजनाओं को इस पोर्टल से एकीकृत किया जा चुका है, जैसे –
प्रधान मंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM-SVANidhi)
प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)
राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (NFBS)
मनरेगा
प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G)
प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)
प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
प्रधान मंत्री किसान मान-धन योजना (PM-KMY)
यह एकीकरण यह सुनिश्चित करता है कि एक बार रजिस्टर्ड असंगठित श्रमिक पोर्टल पर लॉग इन करके सीधे अपने लिए योग्यता आधारित योजनाओं का लाभ देख और प्राप्त कर सकते हैं।
घरेलू कामगारों की सुरक्षा और विधिक संरक्षण
घरेलू कामगार अक्सर समाज की सबसे अदृश्य लेकिन सबसे आवश्यक श्रेणी होते हैं। इनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। मंत्रालय द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि नव अधिनियमित श्रम संहिताएं, जैसे
वेतन संहिता, 2019,
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर संहिता, 2020,
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020,
घरेलू कामगारों सहित सभी असंगठित श्रमिकों को सभ्य कार्य स्थितियां, नियमित वेतन, व्यावसायिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा लाभ और शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करें।
इसके अतिरिक्त, असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008,
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948,
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013,
अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989,
निजी प्लेसमेंट एजेंसियों का नियमन और अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन
घरेलू कामगारों के शोषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिया है कि वे निजी प्लेसमेंट एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन और नियंत्रण सुनिश्चित करें। साथ ही, अगर ऐसी एजेंसियों से संबंधित कोई शिकायत आती है, तो उसका निवारण संबंधित राज्य सरकार बीएनएस या अन्य उपयुक्त कानूनों के अंतर्गत करे।
इन एजेंसियों के कार्यों की निगरानी के लिए समय-समय पर समितियों का गठन किया गया है और राज्यों को परामर्श जारी किया गया है कि वे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हेतु सख्त कार्रवाई करें।
हालांकि, भारत सरकार ने अभी तक अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कन्वेंशन संख्या 189 का अनुसमर्थन नहीं किया है, जो घरेलू कामगारों के अधिकारों पर आधारित है। इस संबंध में श्रम मंत्री शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में बताया कि भारत की नीति रही है कि जब तक देश के कानून और प्रथाएं पूरी तरह से कन्वेंशन के अनुरूप नहीं हो जातीं, तब तक उस कन्वेंशन को अनुसमर्थित नहीं किया जाता।
ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 26 अगस्त, 2021 को की गई थी। इसका उद्देश्य देश के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का एक केंद्रीकृत और डिजिटल राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना था, ताकि उन्हें योजनाओं और सरकारी सहायता का सीधा लाभ मिल सके। इस पोर्टल को आधार से जोड़ा गया है ताकि हर श्रमिक की पहचान और प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा सके।
इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य असंगठित कामगारों का पंजीकरण करना और उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना है। असंगठित क्षेत्र के कामगारों में घरेलू सहायिका, निर्माण श्रमिक, कृषि मज़दूर, रिक्शा चालक, रेहड़ी-पटरी वाले, ठेला चालक आदि शामिल हैं। यह पोर्टल उन्हें सामाजिक, स्वास्थ्य, वित्तीय और आवासीय सहायता प्रदान करने की एक केंद्रीय व्यवस्था तैयार करता है।
प्रत्येक पंजीकृत श्रमिक को एक विशिष्ट 12 अंकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान किया जाता है। यह UAN श्रमिक की पहचान का स्थायी डिजिटल आधार बनता है, जिसके माध्यम से वे अपने रजिस्ट्रेशन, लाभ प्राप्ति की स्थिति, और योजना पात्रता को ऑनलाइन देख सकते हैं। UAN कार्ड को QR कोड के रूप में भी डाउनलोड किया जा सकता है।
16 जुलाई 2025 तक, ई-श्रम पोर्टल पर 30.94 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण हो चुका है। इसमें घरेलू कामगार, स्ट्रीट वेंडर, प्रवासी श्रमिक, मनरेगा श्रमिक, खेतिहर मजदूर, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, कूड़ा बीनने वाले, फेरीवाले, सफाई कर्मचारी आदि बड़ी संख्या में शामिल हैं। यह संख्या भारत में असंगठित क्षेत्र की विशालता और पोर्टल की स्वीकार्यता को दर्शाती है।
ई-श्रम पोर्टल पर अब तक 14 केंद्रीय योजनाओं को एकीकृत (मैप) किया जा चुका है, जिससे पंजीकृत श्रमिक सीधे उन योजनाओं के लिए पात्रता देख सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रमुख योजनाएं हैं:
• पीएम-स्वनिधि
21 अक्टूबर 2024 को ई-श्रम को “वन-स्टॉप सॉल्यूशन” के रूप में लॉन्च किया गया। इसके तहत अब एक ही पोर्टल पर पंजीकरण, योजनाओं की पात्रता जांच, लाभ प्राप्ति की स्थिति, और रियल-टाइम अपडेट्स की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यह पहल बजट 2024-25 की घोषणा के अनुरूप थी, जिसका उद्देश्य असंगठित श्रमिकों को योजनाओं का सीधा और सरल डिजिटल एक्सेस देना था।
ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड कामगारों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विविध लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
• दुर्घटना बीमा और जीवन बीमा कवरेज
• सस्ती आवास योजना में प्राथमिकता
• निशुल्क/कम लागत स्वास्थ्य सेवाएं (आयुष्मान भारत योजना)
• रोजगार गारंटी और श्रमिक सहायता (मनरेगा)
• वित्तीय सहायता योजनाओं की सीधी ट्रांसफर सुविधा
• सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं में सुविधा
• कोविड जैसे आपातकाल में त्वरित राहत।
पोर्टल उन श्रमिकों पर विशेष ध्यान देता है जो असंगठित क्षेत्र में कम आय वाले और अनौपचारिक रोजगार में संलग्न हैं। प्राथमिकता समूहों में विशेष रूप से शामिल हैं:
• घरेलू सहायिका/कामगार
• निर्माण कार्य में लगे श्रमिक
• फेरीवाले, स्ट्रीट वेंडर्स
• खेतिहर मज़दूर, मनरेगा श्रमिक
• महिला श्रमिक, कूड़ा बीनने वाले, प्रवासी मज़दूर
• गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स
इन सभी को एक साझा डिजिटल पहचान और योजनाओं की आसान पहुंच उपलब्ध कराना उद्देश्य है।
ई-श्रम पोर्टल पूरी तरह से आधार आधारित और डिजिटल एक्सेसिबल है। इसका इंटरफेस सरल और बहुभाषी है, जिससे ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे श्रमिक भी इसका उपयोग कर सकें।
• यह CSC (कॉमन सर्विस सेंटर), राज्य सरकारों के सेंटर, मोबाइल ऐप, और स्वयं पंजीकरण के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
• डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक तकनीकी उपाय अपनाए गए हैं।
• भविष्य में इसे स्टेट पोर्टल्स और अन्य योजनाओं से भी जोड़ा जाएगा।
Source : PIB